web of ‘Terror Tunnel’: दक्षिणी लेबनान में मिली लगभग 80 फीट गहरी दर्जनों सुरंगें, इस्राइल को दे रही टेंशन
- 07 अक्टूबर को इस्राइल पर हुए हमले में हिज्बुल्लाह भी था शामिल!
एक ओर जहां हमास की सुरंगों ने इजरायल को काफी परेशान कर रखा था। वहीं ऐसी ही सुरंगे दक्षिणी लेबनान में भी मिली, जिन्हें हिज्बुल्लाह का माना जा रहा है। खास बात ये है कि जहां हमास ने 90 के दशक के अंत में मिस्र में सुरंगों का इस्तेमाल शुरू किया था। वहीं हिज्बुल्लाह ने इस रणनीति को 2006 में इस्राइल के साथ युद्ध के बाद अपनाया। इसमें भी सर्वाधिक चौंकाने वाली बात ये है कि हिज्बुल्लाह का सुरंग नेटवर्क उत्तर कोरिया की मदद से बनाया गया।
दरअसल डेलीमेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्राइल की रीच-मैन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अंडरग्राउंड वारफेयर के रायटर डॉ. डैफने रिचमोंड-बराक का कहना है कि, ‘उन सुरंगों में वेंटिलेशन और बिजली तो है ही। साथ ही नींद या आराम के लिए क्वार्टर, गद्दे, किचन व फ्रिज भी हैं। इसके अलावा सभी जरूरी उपकरणों सहित सैन्य अड्डे तक हैं। ऐसे में यह इसलिए तैयार किया गया है, जिससे लंबे समय तक भूमिगत रहा जा सके।’
उनका कहना है कि इसमें मुझे कोई शक नहीं है कि लेबनान में जमीनी आक्रमण इस समय सुरंगों से गठा हुआ है। प्रमुख शहरों को भी ये सुरंगें जोड़ती हैं। ऐसे में आईडीएफ के लिए इस नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल होगा।
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मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर
ज्ञात हो कि तनाव मिडिल ईस्ट में इन दिनों अपने चरम पर है। गाजा के पश्चात अब लेबनान व ईरान से इस्राइल संघर्ष के मुकाम पर है। इस्राइल लेबनान में लगातार हिज्बुल्लाह (आतंकवादी संगठन) को निशाने पर ले रहा है। इसी दौरान उन ‘आतंकी सुरंगों’ का खुलासा हुआ है, जो हिज्बुल्लाह की हैं। ये सुरंगें देखने में हुबहु किसी गुफा जैसी प्रतीत होती हैं। वहीं इन सुरंगों को लेकर एक रिपोर्ट में विस्तृत जानकारी बताई गई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने ही इन सुरंगों को बनाने में हिज्बुल्लाह की सहायता की थी।
हमले हवा से ही नहीं, जमीन के नीचे से भी
इसके अलावा साल 2023 में 7 अक्टूबर को इस्राइल पर हुए हमलों के एक साल बाद यह बात भी सामने आ रही है कि उस समय हमले सिर्फ हवा से ही नहीं वरन जमीन के अंदर से भी किए गए थे। इन सुरंगों को लेकर डेलीमेल ने एक रिपोर्ट में भी जानकारी दी हैं अभी पिछले हफ्ते ही आईडीएफ (इस्राइली डिफेंस फोर्स) ने खुलासा करते हुए बताया था कि इस्राइली विशेष बलों ने सैनिकों के 1 अक्टूबर को लेबनान सीमा में प्रवेश करने से पहले हिज्बुल्लाह की सुरंगों को नष्ट करने के लिए देश के साउथ में कई दर्जन ऑपरेशन चलाए थे।
इस्राइली सेना का दावा
तनाव के बीच अब इस्राइल अपने उत्तर में एक बड़े खतरे से निपटने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस्राइली सेना ने कुछ दिनों पूर्व ही दावा किया था कि इस्राइल पर 7 अक्टूबर को हुए हमले में हिज्बुल्लाह भी भागीदार था। रिपोर्ट के अनुसार, इस्राइल दूसरी बार हिज्बुल्लाह के हाथों ऐसी तबाही का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है।
अभी भी अछूती हैं हिज्बुल्लाह की सुरंगें
माना जा रहा है कि हमास की लगभग 80 प्रतिशत सुरंगों को इस्राइली रक्षा बलों (IDF) ने खत्म कर दिया है। लेकिन गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से हिज्बुल्लाह की सुरंगें, काफी हद तक अछूती ही रहीं हैं। ऐसे में अनुमान है कि वे कहीं ज्यादा परिष्कृत होने के साथ ही काफी बड़ी भी हैं, जिससे दक्षिणी लेबनान के आसपास हिज्बुल्लाह बड़ी संख्या में मिसाइलों और वाहनों को पकड़े जाने के बिना ही ले जा सकता है।
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वहीं हिज्बुल्लाह की साइलो लॉन्च क्षमता जो इन अटैक सुरंगों में मौजूद है पर अल्मा रिसर्च एंड एजुकेशन सेंटर ने प्रकाश डाला है। ज्ञात हो कि इन सुरंगों से ऊर्ध्वाधर शाफ्ट की मदद से कम दूरी जैसे फतेह 110 की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया जाता है। यहां एक ट्रक को उस स्थान तक ले जाने में भूमिगत अवसंरचना सक्षम बनाती है जहां से मिसाइल दागनी है।
सुरंगों के निर्माण में मदद : ईरान की कंपनियों ने की
वहीं रिचमोंड-बराक के मताबिक, ‘बड़े पैमाने पर आक्रमण सुरंगों के रूप में हिजबुल्लाह की सुरंगें बनी हैं। ये सुरंगें जो चीज याद दिलाती हैं वह है दक्षिण कोरिया के लिए उत्तर कोरिया की प्लानिंग… इस बात के हमारे पास सबूत हैं कि हिज्बुल्लाह से उत्तर कोरिया के लोगों ने मुलाकात की और उसका परिणाम यहां साफ हैं।’ अल्मा के मुताबिक, ईरानी कंपनियों की मदद से सुरंगों का निर्माण किया गया था, जिनमें वे कंपनियां भी शामिल थीं जो रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी—ईरान) से जुड़ी हैं।
सुरंगों की खुदाई : उत्तर कोरिया की मदद से…
1980 के दशक में उत्तर कोरिया की सहायता से ही लेबनान में सुरंगों की खुदाई, आक्रामक और बुनियादी ढांचे का काम शुरू किया गया था और 90 के दशक के अंत में खास तौर पर। पहाड़ी और चट्टानी इलाकों में सुरंगों की खुदाई में उत्तर कोरिया के पास ऐतिहासिक विशेषज्ञता है।
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दूसरे लेबनान युद्ध के बाद, साल 2006 में हिज्बुल्लाह ने अपने संबंध उत्तर कोरिया के साथ बनाए रखे और ईरान से भी सहायता ली। वहीं हिज्बुल्लाह को 2014 तक, ट्रेनिंग, जानकारी और तकनीक इस हद तक मिल गई थी कि वह सुरंगों को खुद खोदने और बनाने का कार्य कर सकता था।