Uttarakhand Earthquake: उत्तरकाशी में फिर महसूस हुए भूकंप के झटके

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  • 24 घंटे में चौथी बार डोली धरती

देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में शनिवार सुबह फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। बीती शुक्रवार को भी तीन बार किए भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। 24 घंटे में चौथी बार भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए। जानकारी के अनुसार, सुबह करीब 5 बजकर 48 मिनट पर भूकंप का झटका महसूस किया गया। भूकंप की तीव्रता 2.04 मापी गई। वहीं इसका केंद्र तहसील डुण्डा के ग्राम खुरकोट और भरणगांव के मध्य के वन क्षेत्र में था। फिलहाल जिले में कहीं से भी जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।

 

महीने भर में चार बार आ चुका भूकंप

उत्तरकाशी में शु्क्रवार को तीन बार भूंकप के झटके महसूस किए गए थे। इस महीने राज्य की बात करें तो बागेश्वर जिले में भी भूंकप आ चुका है। पिछले महीने भी राज्य में भूंकप के झटके महसूस किए गए थे।

 

Uttarakhand Earthquake: उत्तरकाशी में भूकंप के झटकों के बीच सुबह-सुबह दो बार हिली धरती

नेशनल सेंटर फार सिस्मोलॉजी के अनुसार उत्तरकाशी में सुबह 7:41 पर भूकंप आया था। इसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 2.7 थी, इसके कुछ देर बात 8:19 पर फिर झटका महसूस किया गया। इस बार तीव्रता 3.5 रिएक्टर स्केल पर महसूस की गई। स्थानीय लोगों के अनुसार पौने ग्यारह बजे भी झटके महसूस किए गए थे। इन झटकों से लोगों में भय व्याप्त हो गया।इस महीने की बात करें तो राज्य में बागेश्वर में 10 जनवरी को रात एक बजे के बाद भूंकप आया था, उसकी तीव्रता 2.2 थी।

 

 

भूंकप: पिछले महीने भी पांच बार

राज्य में पिछले महीने भी कई भूंकप आ चुके हैं। नेशनल सेंटर फार सिस्मोलॉजी ने पिछले महीने आए भूंकप को लेकर रिपोर्ट तैयार की है। उसमें बताया गया कि दिसंबर के महीने में देश में 44 भूंकप आया। इसमें सर्वाधिक मणिपुर में छह और उसके बाद उत्तराखंड और असम में पांच-पांच आए।

वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए पांच करोड़ जारी होंगे

आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन कहते हैं कि आपदा की दृष्टि से भी कदम उठाए जा रहे हैं। आपदा की पूर्व सूचना देेने के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर कार्य हो रहा है। वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए जिला प्रशासन ने पांच करोड़ की राशि मांगी है। उसका परीक्षण कर जल्द जारी कर दिया जाएगा।

भूकंप : क्यों आता है ?

पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
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