Uttarakhand Earthquake: उत्तरकाशी में भूकंप के झटकों के बीच सुबह-सुबह दो बार हिली धरती

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  • वरुणावत पर्वत से गिरा मलबा

देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी और आसपास के कई इलाकों में आज यानि शुक्रवार सुबह दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। दहशत के चलते लोग घरों से बाहर निकल आए। लोगों में भय का माहौल है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सभी तहसीलों से जानकारी जुटाई जा रही है। बताया जा रहा है कि पहले सुबह करीब 7 बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप के कारण वरुणावत पर्वत के भूस्खलन जोन से मलबा और पत्थर गिरे। इसके बाद दोबारा 8 बजकर 20 मिनट पर फिर झटके महसूस हुए।

भूकंप के झटकों से घबराए लोग ठंड में बाहर निकल आए। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है। साथ ही, प्रशासन भूकंप के कारण हुए नुकसान का आकलन कर रहा है। राहत और बचाव दलों को अलर्ट किया गया है, हालांकि अब तक किसी भी प्रकार के नुकसान या हताहत होने की खबर नहीं है।

उत्तरकाशी भूकंप के लिए संवेदनशील एरिया

ज्ञात हो कि उत्तरकाशी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है, और यहां पर अक्सर हल्के झटके आते रहते हैं। प्रशासन ने नागरिकों को अफवाहों से बचने और सतर्क रहने की सलाह दी है।

भूकंप के झटकों की तीव्रता

आज आए इन भूकंप के झटकों की रही तीव्रता 2.7 और 3.5 बताई जा रही है।

भूंकप के केंद्र और तीव्रता को ऐसे समझें

भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।

भूकंप की तीव्रता को मापने का पैमाना?

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

म्यांमार में भी हिली धरती

इस बीच, म्यांमार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, म्यांमार में 4.8 तीव्रता का भूकंप गुरुवार—शुक्रवार की दरमियानी रात 12:53 बजे आया। म्यांमार का भूकंप 106 किलोमीटर की गहराई पर था और इसके बाद उत्तरकाशी में जो झटके महसूस हुए, उन्हें आफ्टरशॉक माना जा रहा है। म्यांमार भूकंप में भी किसी के हताहत होने या बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है। भूकंप के बाद लोग सतर्क हैं और प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

भूकंप: क्यों आता है ?
पृथ्वी के अंदर की प्लेट्स जिनकी संख्या 7 बताई जाती है, वे लगातार घूमती रहती हैं। लगातार इस गति के चलते जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

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