पाषाण देवी मंदिर: हकलाने से लेकर त्वचा रोग तक, कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं यहां

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  • नैनीताल के इस मंदिर में सिर्फ आने मात्र से होता है चमत्कार

देवभूमि उत्तराखंड अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां का हर पर्वत, हर नदी और हर स्थल किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा हुआ है। नैनीताल की ठंडी सड़क पर स्थित पाषाण देवी मंदिर भी एक ऐसा ही दिव्य स्थल है, जहां मां दुर्गा स्वयं चट्टान से प्रकट हुई हैं।

एक साथ मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के दर्शन
पाषाण देवी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मां भगवती के नौ स्वरूपों के दर्शन एक साथ होते हैं। मंदिर के पुजारी जगदीश भट्ट के अनुसार, ये नौ पिंडियां या मूर्तियां किसी व्यक्ति द्वारा नहीं बनाई गईं, बल्कि चट्टानों पर स्वाभाविक रूप से उभरी हुई हैं। यही कारण है कि इस मंदिर की स्थापना का कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन श्रद्धालुओं की अटूट आस्था इसे विशेष मान्यता देती है।

दिव्य जल : दूर होती हैं कई बीमारियां
यह मंदिर नैनी झील के किनारे स्थित है, जहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि, यहां की चट्टानों से निकले अभिमंत्रित जल का सेवन करने या इससे स्नान करने से हकलाना, त्वचा रोग, सफेद दाग और जोड़ों की सूजन जैसी कई बीमारियों से राहत मिलती है।

इस जल की खासियत यह है कि मां की पिंडियों को प्रतिदिन शंख से निकाले गए जल से स्नान कराया जाता है और फिर उसी जल को भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। पहले यह जल महीने में एक बार निकाला जाता था, लेकिन अब भक्तों की बढ़ती मांग को देखते हुए हर 10 दिन में एक बार यानी महीने में तीन बार जल निकाला जाता है। हर बार लगभग 20 से 25 लीटर जल भक्तों को वितरित किया जाता है।

श्रद्धालु: देशभर से आ रहे हैं
इस चमत्कारी जल की ख्याति अब नैनीताल से निकलकर दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और लखनऊ जैसे शहरों तक पहुंच गई है। श्रद्धालु दूर-दूर से इस जल को प्राप्त करने के लिए मंदिर आते हैं।

आस्था और चमत्कार का अद्भुत केंद्र
नैनीताल का पाषाण देवी मंदिर ना सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह मां दुर्गा के चमत्कारों का प्रत्यक्ष उदाहरण भी है। यहां भक्तों की श्रद्धा और विश्वास हर दिन और मजबूत होता जा रहा है। जो लोग एक बार यहां दर्शन के लिए आते हैं, वे जीवन भर इस अद्भुत स्थल को नहीं भूल पाते।

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