जल अभियान: गढ़वाल ओर कुमाऊं में लोगों और समूहों ने बनाए 4,107 जलकुंड
- ‘कल के लिए जल अभियान’ रंग लाने लगा है जल बचाने का भगीरथ प्रयास
- जाड़ी संस्था की पहल पर जल संरक्षण में जुटे पहाड़ों के ग्रामीण
देहरादून। जलवायु परिवर्तन से दिनों-दिन नदियों और गाड-गदेरों के आकार भी सिमटने लग गए हैं। ऐसे में इनके संरक्षण की पहल नहीं की गई, तो भविष्य में इसके घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसी को देखते हुए हिमालयन पर्यावरण जड़ी-बूटी संस्थान (जाड़ी) ने तीन वर्ष पूर्व कल के लिए जल अभियान गढ़वाल और कुमाऊं में शुरू किया, जिसका असर पर अब धरातल पर दिखने भी लग गया है। जल संरक्षण के लिए लोगों ने अपने पितरों की स्मृति में और महिला समूह ने जगह-जगह 4,107 जलकुंड और तालाब बनाए हैं।
अभियान से अब स्कूलों को भी जोड़ा जा रहा है, जिसमें छात्र गांवों को गोद लेकर कुंड और तालाब बनाने के साथ ही ग्रामीणों को जल संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं। जाड़ी संस्था ने वर्ष 2021 में कल के लिए जल अभियान की शुरुआत की। अभियान में सबसे पहले लोगों को जोड़ने को उनके पूर्वजों की स्मृति में जलकुंड और तालाब बनाने को प्रेरित किया गया।
तीन साल में ही चार हजार से अधिक तालाब और कुंड बनकर हुए तैयार- पूर्वजों की स्मृति में कई लोगों ने कुंड और तालाब बनाने जब शुरू तो इसके बाद महिला स्वयं सहायता समूहों को भी अभियान से जोड़कर जगह-जगह तालाब और कुंड बनाए गए। इसका नतीजा यह रहा कि महज तीन साल में ही 4000 से अधिक तालाब और कुंड तैयार हो गए हैं।
पीएम मोदी ने की थी तारीफ
उत्तरकाशी जिले का चामकोट एक ऐसा गांव है, जिसने वर्ष 2022 में अभियान से प्रेरित होकर 3,500 जलकुंड बनाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन को बात कार्यक्रम में भी ग्रामीणों की तारीफ कीं। इसके अलावा जिले के गंगा सखी संगठन से जुड़ी 80 महिलाओं ने गीता बिष्ट व प्रीति के नेतृत्व में 400 जल कुंड बनाए हैं।
भावनात्मक रुप से अभियान को जोड़ा
नैनीताल के भियाल गांव के जलनायकों के सहयोग से जगदीश ने अपने पिता की स्मृति में 140 जलकुंड और चार तालाब बनाए। जाड़ी के सचिव और उत्तराखंड राज्य ब्रांड एंबेसडर द्वारिका सेमवाल ने बताया कि ज्यादा लोगों को भावनात्मक रूप से जल संरक्षण अभियान से जोड़ा जा रहा हैं। उन्होंने कहा, राज्यभर में कई स्थानों पर लोग अपने प्रियजनों की बाद में श्रमदान कर जलकुंड बना रहे हैं। बताया, सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग हो इस दिशा में कार्य नहीं कर रहे हैं, बल्कि स्कूल भी अब इस अभियान का हिस्सा वन गए हैं। कहा, अभियान से पांच लाख जल नायक बनाने का लक्ष्य है।