चोपता और तुंगनाथ में चहक रहे कजाकिस्तान के हिमालयन बजर्ड
- परदेसी परिंदे: शीतकाल में चार माह तक उड़ान भरेंगे परिदे और बढ़ाएंगे अपना वंश
धीरे-धीरे बढ़ती ठंड के बीच कजाकिस्तान के हिमालयन बजर्ड पक्षी हिमालय की वादियों में चहकने लगे हैं। यह पक्षी अगले चार माह तक मक्कू,चोपता से चंद्रशिला तक उड़ान भरेंगे और अपना वंश भी बढ़ाएंगे। कई अन्य प्रजातियों के पक्षी भी क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। वहीं, हिमालय क्षेत्र से उतरकर कई पक्षी प्रजातियां निचले इलाकों में प्रवास के लिए जाने लगी हैं। जिले में 3,900 फीट से 14,000 फीट की ऊंचाई तक रुद्रप्रयाग, पुनाड़ गदेरा, काकड़ागाड़, मक्कू, मस्तूरा,यलद्वाड़ी, चिरबटियाल, चोपता, तुंगनाथ, चंद्रशिला सहित अन्य स्थानों पर पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं।
पहाड़ों में मौसम के हिसाब से प्रवास करती हैं पक्षियों की कई प्रजातियां
यहां रेड हेडेड बुलफिंच, डार्क-ब्रेस्टेड रोजफिंच, पिंक ब्राउड रोज फिंच, स्पॉट फिंच,हिमालयन ग्रीन फिंच, चीर फीजेंट, माउंटेन हॉक इगल, स्टेपी इमल, नट कैकर,यूरीशन जे सहित कई प्रजातियां मौसम के हिसाब से यहां प्रवास करती हैं। पहाड़ों पर ठंड बढ़ने से हिमालय क्षेत्र से कई पक्षी प्रजातियां मैदानों की तरफ निकल जाती हैं।
मैदान से कई पक्षी नेस्टिंग के लिए सर्दियों में आते हैं
वहीं, मैदान से कई प्रजातियां नेस्टिंग के लिए यहां पहुंच जाती हैं। इन्हीं में कजाकिस्तान का हिमालयन बजर्ड भी है, जो चोपता-तुंगनाथ तक पहुंच चुका है। मार्च तक यह पक्षी तुंगनाथ घाटी के गांवों व आसपास के क्षेत्र में प्रयास करेगा। इस दौरान यह अपना वंश भी बढ़ाएगा। वहाँ, रंड हंडेंड बुलफिंच,डार्क-ब्रेस््टेड रोजफिंच सहित अन्य कई पक्षी प्रजातियां ऊपरी क्षेत्रों से निचले इलाकों में पहुंच गए हैं। पक्षी विशेषज्ञ वायएस नेगी बताते हैं कि एक सप्ताह से मक्कू से तुंगाथ तक हिमालयन बजर्ड उड़ान भर रहा है। यह क्षेत्र पक्षियों की नेस्टिंग के लिए अनुकूल है, इसलिए यह पक्षी इस क्षेत्र में नेस्टिंग भी करेगा।