# व्यवस्थित सूत्र : आज बात व्यवस्थित रहने की…

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@डॉ.आशीष द्विवेदी की कलम से…

नमस्कार,

आज बात व्यवस्थित रहने की…
जीवन में सबकुछ व्यवस्थित करना क्या संभव है?

एक मित्र हैं – व्यवस्थित कुमार। उनका यह मूल नाम नहीं है बस हम लोग यही नाम रखे हैं। उनकी एक- एक चीज अत्यंत व्यवस्थित होती है। कभी घर से निकले तो कपड़ों की इस्त्री से लेकर जेब में रखे रुमाल तक। पर्स में आधार,पेन, लाइसेंस से लेकर जरुरत के हिसाब से कलदार भी। मोबाइल का पावर बैंक, चश्में का कवर, पानी की बोतल, घड़ी। आवश्यकतानुसार कुछ रोजमर्रा की दवाई भी। व्यवस्थित कुमार की बात निराली होती है। कभी कमरे में जाओ तो एक-एक किताब, फाइल, पेन , टेबल सब करीने से यथावत। रैक में कपड़े टंगे हुए यहां तक कि कब क्या पहना जाएगा उसका भी हिसाब रखते हैं।

समय पर सारे बिल अदा करना, पाॅलिसी अपडेट रखना, डायरी में प्रत्येक चीज का उल्लेख मिलेगा। एक-एक तारीख का हिसाब!

देखकर अच्छा लगता है कि आखिर कोई कैसे इतने सलीके से रह सकता है। किंतु जब भी इनमें से कोई चीज इधर -उधर हो जाए तो फिर वह बिफर जाते हैं, अनेक बार तो घर में विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है कि आखिर कैसे किसी ‌ने उनकी चीज को हाथ लगाया। उनका यह विचित्र स्वरूप देख मन में हैरत होती है कि कोई जरुरत से ज्यादा व्यवस्थित होने का प्रयास करेगा तो उसके क्या परिणाम होंगे। रिश्तों को व्यवस्थित रखने के फेर में भी वह अपनी संपूर्ण ऊर्जा झोंक देते हैं। अलबत्ता गच्चा खा जाते हैं।


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जीवन में व्यवस्थित रहने के अपने सुख हैं, पलभर में आप सबकुछ प्राप्त कर लेते हैं। अफरा- तफरी नहीं होती। किंतु जो यह दावा करें कि वह प्रत्येक क्षेत्र में व्यवस्थित रहते हैं तो यह संभव नहीं है। आप लाख जतन कर लीजिए किंतु पूर्णतः व्यवस्थित नहीं रह सकते। आप चाहेंगे भी तो कोई होने न देगा। किसी का शरीर अव्यवस्थित होगा तो किसी के कागजात, कोई कोर्ट में उलझा होगा तो किसी के रिश्ते अव्यवस्थित होंगे। बाहृय तौर पर सबकुछ व्यवस्थित कर भी लिया तो आंतरिक अव्यवस्था बैचेन कर देंगी। सबकुछ समेटने और व्यवस्थित करने के उपरांत भी कुछ न कुछ बेतरतीब रह ही जाता है। विरले ही होंगे जो सभी दृष्टि से अपने को व्यवस्थित कहने के अधिकारी हों।


LIFE COACH Dr ASHISH DWIVEDI


सूत्र यह है कि व्यवस्थित होना और रहना उत्तम है किंतु संपूर्ण रूप से व्यवस्थित तो चाहकर भी कोई हो नहीं सकता। इसलिए जितना संभव हो, और जितने में असहज न हों उतने ही व्यवस्थित होने में लाभ हैं।

शुभ मंगल

# व्यवस्थित सूत्र

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