# पूजन सूत्र: आज बात मां आदिशक्ति की …
@डॉ.आशीष द्विवेदी की कलम से…
नमस्कार,
आज बात मां आदिशक्ति की …
इन नौ दिनों कौन सी पूजा करते हैं ?
पूजा दो प्रकार की – सात्विक और तामसिक। नवरात्रि के इस सत्र मे हम सभी पूजन तो करते हैं। एक पूजन जिसमें माता की आराधना होती है, व्रत, उपवास, घट स्थापना , हवन, संयम। इसमें हम स्व कल्याण और जग कल्याण के लिए माता से वरदान मांगते हैं। माता यदि आपकी निर्मल भक्ति से प्रसन्न हुईं तो मनोवांछित फल भी देती हैं। वहीं दूसरे प्रकार की पूजा जिसमें तंत्र- मंत्र विधी से तामसिक ढंग से माता को प्रसन्न किया जाता है।
ऐसे लोग कहीं श्मशान में तो कहीं किसी अघोरी, तांत्रिक की शरण में जाते हैं। कभी जीवित पशुओं की बलि तो कभी सांकेतिक बलि। नाना तरह के टोने – टोटके । समय – असमय दरगाहों पर पीर – फकीरों के पास भी। उनका उनका उद्देश्य सर्वथा विपरीत होता है वह यह सब किसी के जीवन में व्यवधान, अशांति और अनिष्ट हेतु करते हैं। किसी का उच्चाटन करा देना, किसी स्थान को बांध देना, किसी के परिवार में कलह तो कोई बीमार बना रहे ऐसे उपक्रम करना। दरअसल उन्हें अपने उत्थान से अधिक किसी दूसरे के पतन में और कष्ट पहुंचाने में आनंद प्राप्ति होती है। अजीब किस्म की मनोवृत्ति।
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माता दोनों तरह के भक्तों को देखती हैं, पूजन से प्रसन्न हो कामना भी पूरी करती हैं किंतु भाव समझ लेती हैं। समय आने पर ऐसे लोगों का यथोचित दंड का भी प्रावधान है। एकदम व्यवहारिक सी बात है कि दूसरे के जीवन में तमस करने वाले भला ज्योर्तिमय कैसे हो सकते हैं ? दूसरे के पथ को अवरूद्ध करने वालों के मार्ग भला कैसे सुगम हो सकते हैं ? दूसरे को अपमानित और प्रताड़ित करने वाले भला सम्मान कहा पाएंगे ? दूसरों को उलझाने वाले भला सुलझा जीवन कैसे जिएंगे ?
सूत्र यह है कि माता की आराधना का पर्व आत्मबोध, आत्मोत्कर्ष और आत्मोद्धार का पर्व है इसकी सात्विकता बनाए रखिये। आसुरी प्रवृत्तियों की आयु बहुत लंबी नहीं होती। कृपया किसी के जीवन के विनाश हेतु उपक्रम न रचिए। ऊपरवाले के सीसीटीवी में सब दृश्यमान है।
शुभ मंगल
#पूजन सूत्र