हरियाणा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस में 49 सीटों पर फंसा पेंच
चंडीगढ़. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत ठीक नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस में 49 सीटों पर फंसा मामला सुलझता नहीं लग रहा है. नामांकन के लिए सिर्फ तीन दिन का समय बाकी है, लेकिन राजनीतिक दलों ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. बीजेपी ने 67 सीटों पर टिकट घोषित किए हैं तो कांग्रेस ने सिर्फ 41 सीट पर ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. इस तरह से दोनों ही दलों की बची हुई सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर लोगों की निगाहें लगी हुई है. बीजेपी की पहली लिस्ट आने के बाद उभरे सियासी हालात के चलते स्थिति को समझा जा सकता है, लेकिन कांग्रेस में हो रही देरी की वजह रहस्य बनी हुई है.
कांग्रेस के 41 उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी करने के बाद 49 सीटों पर टिकट घोषित होने हैं. कांग्रेस का पेंच आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की मजबूरी के चलते नहीं अटका है बल्कि यह पार्टी नेताओं की खेमाबंदी मानी जा रही है. इनमें कई ऐसी सीटें हैं, जहां पर दावेदार अधिक हैं और अलग-अलग खेमों से जुड़े हुए हैं. इन सीटों पर हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला अपने-अपने नेताओं को टिकट दिलाने की कोशिश में है, जिसके चलते पेंच फंसा हुआ है. हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की बातचीत चल रही है, जिसके चलते टिकट का मामला नहीं उलझा है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट बंटवारे में सिर्फ पांच से सात सीटों का मामला है, लेकिन होल्ड पर 49 सीटें है. हरियाणा में कांग्रेस बहुत ज्यादा आम आदमी पार्टी को पांच से छह सीटें ही देना चाहती है. इसीलिए गठबंधन से ज्यादा मामला कांग्रेस नेताओं की खेमेबंदी है, क्योंकि वो सभी अपने-अपने करीबियों को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे.
हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्डा के अलावा कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, अजय सिंह यादव और चौधरी बीरेंद्र सिंह के गुट सक्रिय हैं. भूपेंद्र हुड्डा के विरोध में सैलजा, सुरजेवाला और कैप्टन अजय यादव एक साथ हैं, जबकि बीरेंद्र सिंह अभी दोनों खेमे पर हाथ रखे हुए हैं. कांग्रेस के 41 उम्मीदवारों की लिस्ट में हुड्डा का दबदबा दिखा है. तीनों ही नेता अपने चहेतों को टिकट दिलाने पर अड़े हैं. कांग्रेस हाईकमान कई बार मंथन के बाद बढ़ते विवाद को खत्म करने का रास्ता तलाश रहे हैं. कुमारी सैलजा अपने चार करीबी नेताओं को प्रत्याशी बनवाने में कामयाब रही है तो अजय यादव और बीरेंद्र सिंह ने अपने-अपने बेटे को टिकट दिला दिया है. कांग्रेस के घोषित प्रत्याशियों की लिस्ट देखें तो कुमारी सैलजा के करीबी प्रदीप चौधरी को कालका, शैली चौधरी को नारायणगढ़, रेनु बाला को सढौरा से और शमशेर गोगी को असंध सीट से प्रत्याशी बनाया है. अजय सिंह यादव अपने बेटे चिरंजीव राव को फिर से टिकट दिलवाने में कामयाब रहे हैं. ऐसे ही चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भी अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को कांग्रेस से उम्मीदवार बनवा दिया है.
कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला के न ही बेटे को अभी टिकट मिला और न ही उनके किसी करीबी को उम्मीदवार बनाया गया है. इसके चलते ही कांग्रेस के बचे प्रत्याशियों के टिकट घोषित नहीं हो रहे हैं. कांग्रेस की पांच बार स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकें हो चुकी है. सूबे की दो दर्जन सीटों पर प्रत्याशी तय करने के लिए सब कमेटी का गठन किया गया था. कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव और मधुसूदन मिस्त्री के नेतृत्व वाली सब कमेटी इन सीटों को लेकर कई बैठकें कर चुकी हैं, लेकिन हरियाणा के नेताओं में सहमति नहीं बन पा रही. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली में डेरा डाल रखा है. वहीं, सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने हाईकमान के सामने अपने चेहतों की मजबूत पैरवी की. वे दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए बकायदा नामों की सूची भी सौंप चुके हैं. कांग्रेस की जिन सीटों पर पेंच फंसा हुआ है, उसमें हिसार, सिरसा, कैथल, पानीपत और जींद जिले की विधानसभा सीट शामिल हैं.
कुमारी सैलजा की नजर हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिले की विधानसभा सीटों पर है, जहां से अपने करीबी नेताओं को कांग्रेस से टिकट दिलाने के लिए पैरवी कर रही हैं. इस तरह से रणदीप सुरजेवाला कैथल और जींद जिले की सीटों पर अपने समर्थक नेताओं को टिकट दिलाना चाहते हैं. ऐसे ही अजय यादव भी दक्षिण हरियाणा खासकर अहीर बेल्ट वाली सीटों पर अपने करीबी नेताओं को टिकट दिलाने के लिए जोर लगा रहे हैं. कांग्रेस सांसदों को विधानसभा चुनावों में टिकट के लिए पहले ही इनकार कर चुकी है, लेकिन कुमारी सैलजा लगातार चुनाव लड़ने का दावा करती रही हैं. कांग्रेस की आई तीन सूचियों में किसी सांसद का नाम शामिल नहीं था. ऐसे में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है. ऐसे में सुरजेवाला पहले खुद चुनाव लड़ने के जुगत में थे, लेकिन किसी भी सांसद को टिकट न दिए जाने की स्थिति में अब अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला के लिए टिकट मांग रहे हैं. कांग्रेस की आई लिस्ट में सुरजेवाला के बेटे का नाम शामिल नहीं है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस अपनी बची हुई 49 सीटों पर कब उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करती है?