मैदानी क्षेत्रों में जनसंख्या के आधार पर और पर्वतीय क्षेत्रों में भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएं योजनाएं

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  • 16वें वित्त आयोग की टीम दौरे पर नैनीताल पहुंची

उत्तराखंड पहुंची 16 वें वित्त आयोग की टीम मंगलवार दो दिवसीय दौरे पर नैनीताल पहुंची। इस दौरान टीम ने भीमताल विकास खंड के ग्राम चाफी और अलचोना का भ्रमण किया। साथ ही वहां कि भौगोलिक स्थिति चुनौतियों को भी जाना। जिसके बाद प्रदेश के विकास के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से संवाद स्थापित कर क्षेत्रीय मुद्दों और आवश्यकताओं को जाना। इस दौरान स्थानीय लोगों के द्वारा समिति के सामने सुझाव भी रखे गए।

विकास खंड भीमताल के चाफी-अलचौना पहुंचने पर आयोग की टीम के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया, आयोग के अन्य सदस्य ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डा. मनोज पाण्डा, डा. सौम्या कांति घोष, सचिव ऋत्विक पाण्डेय, संयुक्त सचिव केके मिश्रा, पी अमरुथ वर्षेणी, पीएस सदस्य कुमार विवेक आदि का आय़ुक्त कुमाऊं दीपक रावत और जिलाधिकारी वंदना ने स्वागत किया। यहां छोलिया नृत्य और महिला समूहों ने लोक गीतों व फूल मालाओं के साथ टीम का भव्य स्वागत किया।

आय़ोग की टीम ने सबो पहले मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना और उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा पालीहाउस नर्सरी का निरीक्षण किया। जहां टीम ने नर्सरी में लिलियम के फूलों के आय़ात निर्यात से जुड़ी जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर टीम के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में खेतीबाड़ी की अपार संभावना है। जिसके लिए सरकार भी विभिन्न प्रकार की योजना संचालित कर रही है। साथ ही पलायन रोकने की दिशा में भी कार्य कर रही है।

इसके बाद आयोग की टीम ने पूर्णानंद तिवारी राजकीय इंटर कॉलेज चाफी में जन प्रतिनिधियों, ग्रामीणों और महिलाओं से सीधे संवाद किया। यहां अनेक गांव से आए प्रतिनिधियों ने आयोग को क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में बताया साथ ही उनके सामने कई सुझाव भी रखे। जिसमें कृषि, सड़क और शिक्षा के संबंध में सुझाव सबसे अधिक रहे।

आयोग की टीम को मिले ये सुझाव…

ऐसे बनाई जाएं योजनाएं
अपने सुझावों में ग्रामीणों ने बताया कि मैदानी क्षेत्रों की योजनाएं जनसंख्या के आधार पर बनाई जाएं, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए योजनाएं वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएं। उन्होंने यह भी बताया गया कि तीन वन पंचायतों की ओर से स्थानीय झरनों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसी पहलों को प्रोत्साहन देने के लिए वन पंचायतों को भी वित्तीय सहायता दिए जाने की आवश्यकता बताई गई।
विधायक राम सिंह कैड़ा का कहना था कि पंचायतों से प्राप्त सुझाव देश की दिशा और दशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने पंचायतों को और अधिक सशक्त बनाने, योजनाओं को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार ढालने औऱ स्थानीय पहलुओं को नीति-निर्माण में स्थान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
वहीं अलचौना के ग्राम प्रधान पूरन भट्ट ने किसानों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने, ग्रामीण सड़कों के निर्माण एवं सुधार कार्यों में तेजी लाने, तथा पंचायत योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत जताई। कमला देवी ने नेटवर्क की अनुपलब्धता को एक गंभीर समस्या बताया, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। उन्होंने डिजिटल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देने की मांग की।

भीमताल में कृषि की अपार संभावना: ग्रामीणों ने बताया कि विकास खंड भीमताल में कृषि की अपार संभावना है, लेकिन जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिस कारण काश्तकार निराश हो रहा है, उन्होंने खेतों में ताडबाड़ फेंसिंग,सोलर लाइट लगाने के सुझाव दिए।कोटाबाग के बलबीर सिंह ने कहा कि क्षेत्र में फूल-बागवानी बेहतर होता है, लेकिन कोल्ड स्टोर नहीं होने के कारण फल-फूल जल्दी खराब हो जाते है। उन्होंने कोल्ड वैन,कोल्ड स्टोरेज लगाने की बात कही।

हिमांशु पांडे ने प्रस्ताव रखा कि पर्वतीय क्षेत्रों में योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता जनसंख्या के बजाय क्षेत्रफल के आधार पर दी जाए, ताकि संसाधनों का न्यायसंगत वितरण हो सके। उन्होंने बागवानी को प्रोत्साहित करने हेतु कोल्ड चेन सुविधाओं की स्थापना, जल जीवन मिशन को और मजबूती देने, तथा वन्य जीवों द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान की समस्या के स्थायी समाधान की आवश्यकता पर भी बल दिया।

वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखंड 16वें वित्त आयोग के भ्रमण का 26वां राज्य है। उन्होंने कहा कि आयोग सभी सुझावों को गंभीरता से सुन रहा है। ग्रामीणों की समस्या और समाधान के लिए पंचायत स्तर से सुझाव मांगे गए हैं। पंचायतों की समस्याओं के आधार पर आयोग की टीम बेहतर निर्णय लेते हुए जून माह तक केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।

उन्होंने बताया कि कुछ समस्याएं राष्ट्रीय स्तर की हैं, जिसके समाधान के लिए आयोग बेहतर रिपोर्ट केंद्र को प्रस्तुत करेगा, जबकि कुछ समस्या जिला स्तर और प्रदेश स्तर की होती है, जिसके लिए जिला स्तर के अधिकारी ग्रामीणों के समस्या का तत्काल रुप से संज्ञान लेते निस्तारण कर सकते हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से एक विकसित भारत के निर्माण में सहभागी बनने का आह्वान किया।

इंटर कालेज में विभिन्न विभागों और सहायता समूहों द्वारा स्टाल लगाए गए। आयोग की टीम ने इनका निरीक्षण कर स्थानीय उत्पादों की जानकारी प्राप्त की। वहीं स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी ने नारी सशक्तिकरण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल का परिचय दिया।

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