वक्फ संशोधन बिल पर बहस के दौरान राहुल-प्रियंका की अनुपस्थिति पर उठे सवाल, BRS ने बताया चुनावी गांधी

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) पर हो रही बहस के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition in Lok Sabha) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी (Wayanad MP Priyanka Gandhi) के उपस्थित न होने को लेकर राजनीति तेज हो गई है। बीआरएस नेत्री के कविता (BRS leader K. Kavitha) ने इन दोनों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया और इसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा गंभीरता और जिम्मेदारी की कमी का प्रदर्शन बताते हुए कड़ा बयान जारी किया।
बीआरएस नेत्री ने कहा कि तेलंगाना के लोग इन दोनों भाई-बहनों को अच्छी तरह से पहचानते हैं। यह दोनों चुनावों के दौरान यहां आते हैं और बड़े-बड़े नारे लगाते हुए पूरे देश में घूमते हैं लेकिन वहीं जब असली समय आता है.. जब लाखों लोगों के अधिकारों की बात आती है.. खास तौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की बात आती है तो यह दोनों कहीं भी नजर नहीं आते हैं।
के कविता ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद पर बैठे गांधी एक ऐसे मुद्दे पर बोलने में विफल रहे, जो सीधे तौर पर भारत के 30 करोड़ लोगों को प्रभावित करने वाला है। आज पूरे अल्पसंख्यक समुदाय को गांधी परिवार की यह चुप्पी खल रही है।
बीआरएस नेत्री ने कहा कि तेलंगाना के लोग गांधी परिवार की इन नाटकीयताओं से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। वे जानते हैं कि अगर किसी मुद्दे से कांग्रेस को चुनावी फायदा नहीं होगा तो यह भाई-बहन लोगों के अधिकारों के लिए बोलने से ज्यादा चुप रहना पसंद करेंगे। आज जब लोगों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत हैं तो चुनावी गांधी वहां थे ही नहीं.. लेकिन मैं उन लोगो से कह देना चाहती हूं कि नेतृत्व दिखावे की चीज नहीं है। यह तब सामने आने के बारे में हैं, जब इसकी जरूरत सबसे ज्यादा होती है।
कविता ने कहा कि राहुल गांदी शांति की बात करते हैं, वे अपने आप को मोहब्बत की दुकान चलाने वाला कहते हैं तो फिर आखिर क्यों उन्होंने इस महत्वपूर्ण विधेयक पर अपनी बात नहीं रखी? उन्हें बोलना चाहिए था। यह देखना बहुत निराशाजनक है कि हमारे देश के मुख्य विपक्षी नेता इस देश की 30 करोड़ जनता के लिए खड़े ही नहीं हुए। यह तो तब भी ठीक है लेकिन प्रियंका गांधी तो वहां पर उपस्थित भी नहीं थी.. वह वहां क्यों नहीं थीं इसकी जानकारी मुझे या अल्पसंख्यक समाज को नहीं है लेकिन इससे सभी लोग निराश जरूर हैं।
यहीं वजह हैं कि हम लोग उन्हें चुनावी गांधी कहते हैं। मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि अगर कल चुनाव होता तो वहां गांधी परिवार के तीनों सदस्य मौजूद होते और तीनों ही इस मुद्दे पर बोलते भी। आपको बता दें कि लोकसभा और राज्य सभा में भारी बहस के बाद यह बिल पास हो गया और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। हालांकि कई राज्यों में इसे लेकर विरोध किया गया है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर स्पष्ट मंशा दिखाई गई है।