Uttarakhand Weather Update: पहाड़ में पाला, मैदान में कोहरे का येलो अलर्ट

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  • बर्फबारी के बाद बदरीनाथ-मलारी हाईवे बंद

देवभूमि उत्तराखंड में हर पल बदलते मौसम के बीच गुरुवार को तीन दिन बाद मौसम में अचानक बदलाव हुआ तो पहाड़ से लेकर मैदान तक ठंड बढ़ गई। बारिश-बर्फबारी के चलते दिन का अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि रात के समय तापमान सामान्य रहा। वहीं, आज दिन की शुरुआत कड़कती धूप के साथ हुई। मौसम की बात करें तो शुक्रवार को प्रदेश के पर्वतीय जिलों में पाला पड़ने और मैदानी इलाकों में घना कोहरा छाने से ठंड बढ़ सकती है। पर्वतीय जिलों में पाला पड़ने और हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले में घना कोहरा छाने का येलो अलर्ट जारी किया गया है।

बदरीनाथ और मलारी हाईवे बंद : गुरुवार को पहाड़ों में खूब बर्फबारी हुई। जिसके चलते बदरीनाथ, मलारी हाईवे बंद पड़ा है। औली की सड़क पर टीवी टावर से आगे बर्फ और पाला गिरने से छोटे वाहनों की आवाजाही बंद रही।

मौसम (आईएमडी / IMD): 157 साल के इतिहास में कई नए रिकॉर्ड

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार के स्थापना के 150 साल वर्ष पूरे हो चुके हैं। मौसम विज्ञान के इस लंबे इतिहास में बीते साल 2024 में दून में हर मौसम के कई नए रिकॉर्ड बने। अपने ठंडे और हसीन मौसम के लिए मशहूर दून घाटी साल 2024 में जमकर झुलसी। 31 मई 2024 के दिन दून का अधिकतम तापमान सात डिग्री की बढ़ोतरी के साथ 43.2 दर्ज किया गया। दून में पारा कभी इतना ऊपर नहीं गया।

मौसम विभाग एक जनवरी 1867 से देहरादून में तापमान की गणना कर रहा है, इसमें 43.2 डिग्री मई में अब तक का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। जून के शुरूआत में भी गर्मी ने खूब सताया। इसके बाद बारिश ने भी इसी साल नया रिकॉर्ड बनाया। हालांकि बारिश का रिकॉर्ड में साल का इतना अंतर देखने को नहीं मिला। सर्दियों की बात करें तो साल 2014 में अब तक की सबसे अधिक बर्फबारी हुई। 2014 में प्रदेश भर के पर्वतीय इलाकों में 57.5 इंच बर्फबारी हुई, जो मौसम के 157 साल के इतिहास में सबसे अधिक है। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम के बदले पैटर्न के चलते मौसम में बदलाव देखने को मिली। इसकी वजह से कई बार बहुत अधिक बारिश हुई तो कई बार गर्मी ने नया रिकॉर्ड भी बनाया।

कालापानी में माइनस 30 डिग्री पहुंचा तापमान

ज्ञात हो एक दिन पहले ही कालापानी का तापमान माइनस 30 डिग्री पहुंच गया था। जिससे नदी का पानी जम गया, ऐसे में नदी के उद्गम स्थल से गुंजी तक तीन किमी दायरे में नदी का जलप्रवाह रुक गया था। भारी ठंड के चलते कुमाऊं के अन्य पहाड़ी जिलों में भी बर्फबारी से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। वहीं उस दिन हर्षिल घाटी और ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी से गंगोत्री हाईवे सुक्की से गंगोत्री तक आठ घंटे बंद रहा था। ऐसे में हर्षिल से आगे गंगोत्री धाम तक आवाजाही बंद रही। बर्फबारी की वजह से गंगनानी से गंगोत्री धाम तक बिजली गुल रही। केदारनाथ धाम में भी जमकर बर्फबारी से धाम में दो फीट तक बर्फ जम गई थी।

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