देवभूमि में जल जीवन मिशन की 212 करोड़ रुपये की लागत की परियोजनाएं वन कानूनों की वजह से कई सालों से लटकी हुई हैं। लगातार पत्राचार के बाद भी इन परियोजनाओं को अभी तक अनुमति नहीं मिल पाईं। इन परियोजनाओं से कई गांवों की आबादी को पेयजल मिलना था।
ये है मामला
जल जीवन मिशन के तहत 5 करोड़ से ऊपर की 268.19 करोड़ की 12 ऐसी परियोजनाएं थीं, जिनका निर्माण या तो रिजर्व फॉरेस्ट के क्षेत्र में होना था या जिनके लिए वन भूमि की दरकार थी।
इनमें से हाल ही में उत्तरकाशी की 12.63 करोड़ की खान्सी पौटी ग्राम समूह पेयजल योजना 16.84 करोड़ की देवराना ग्राम समूह पंपिंग पेयजल योजना और 26.24 करोड़ लागत की कंडारी ग्राम समूह पेयजल योजना को अब वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति मिल गई है।
अब इन परियोजनाओं का काम शुरू होना है, लेकिन अभी भी 9 परियोजनाओं को कोई स्वीकृति नहीं मिली है।
एक परियोजना को वन विभाग से तो स्वीकृति मिली है, लेकिन नैना देवी पक्षी विहार से अनुमति नहीं मिल पाई है।
जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाओं की पाइपलाइन जंगलों के बीच बिछा दी गई। लेकिन जमीन न होने के कारण पंपिंग स्टेशन या वेल निर्माण का कार्य अभी तक नहीं हो पाया है। पेयजल निगम के अफसरों का कहना है कि इस संबंध में वन विभाग से लगातार बातचीत की जा रही है।
किस परियोजना के लिए कितनी वन भूमि की दरकार
परियोजना का नाम : वन भूमि (हेक्टेयर में)
चोपता ग्राम समूह पंपिंग पेयजल योजना रुद्रप्रयाग : 0.934
क्वीलाखाल सौंदा समूह पंपिंग पेयजल योजना रुद्रप्रयाग : 0.93
नवासी खेड़ाखाल पंपिंग योजना रुद्रप्रयाग : 0.642
कंडारस्यूं ग्राम समूह पंपिंग योजना श्रीनगर : 2.89
बिडोली ग्राम समूह पंपिंग योजना श्रीनगर : 1.64
कथी कोठार ग्राम समूह पंपिंग योजना कोटद्वार : 0.851
खत्याड़ी ग्राम समूह पंपिंग योजना अल्मोड़ा : 1.685
भागादेवली ग्राम समूह पंपिंग योजना अल्मोड़ा : 0.691
बगड़ ग्राम समूह पंपिंग योजना रामनगर : 0.4868 (आंशिक स्वीकृत)