Kedarnath News: रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराना रास्ता होगा पुर्नजीवित

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  • अगले साल से वन-वे होगी पैदल यात्रा
  • गरुड़चट्टी फिर होगी गुलजार

साल 2025 से केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग को उत्तराखंड़ सरकार वन-वे करने जा रही है। इसके लिए केदारनाथ के पुराने पैदल मार्ग को रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुर्नजीवित करने का काम भी शुरू हो गया है।
ज्ञात हो कि मौजूदा समय में केदारनाथ जाने के लिए रामबाड़ा से लिनचोली होते हुए पैदल मार्ग है। इस मार्ग में कई बड़े एवलांच आते हैं, जो यात्रा के दौरान बड़ा खतरा पैदा करते हैं।

इसके चलते ही अब 5.35 किमी लंबे और 1.8 मीटर लंबे मार्ग के बनने से पैदल यात्रा सुलभ और सरल हो जाएगी। साथ ही गरुड़चट्टी में फिर से बहार आ जायेगी। इस रास्ते के बनने से केदारनाथ धाम पर आसानी से पहुंचा जा सकेगा और वर्तमान मार्ग पर बढ़ते मानवीय दबाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।

ज्ञात हो कि साल 2013 में केदारनाथ धाम में भीषण आपदा आई थी, जिसमें न केवल मंदिर के आसपास बल्कि केदारनाथ धाम तक जाने वाला पुराना पैदल मार्ग भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। विशेषज्ञों ने पुराने पैदल मार्ग को दोबारा तैयार करने की बात कई बार कही थी, लेकिन इस पर मंजूरी नहीं मिली थी, लेकिन अब इसे मंजूरी मिल गई है और उत्तराखंड का लोक निर्माण विभाग इस रास्ते को बनाने जा रहा है।

प्रतिवर्ष यात्रियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है जिससे पैदल मार्ग पर भी दबाव बढ़ रहा है। बीते 31 जुलाई को आई आपदा से इस नए मार्ग को व्यापक क्षति भी पहुंची है। बता दें कि इन दिनों मार्ग का सुधारीकरण भी किया जा रहा है, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते भूस्खलन के कारण यहां अभी भी लगातार खतरा बना हुआ है। इसके चलते ही पुराने मार्ग को पुनर्जीवित किया जा रहा है।

सर्वेक्षण के आधार पर रास्ता निर्माण के लिए बीते दो सप्ताह से यहां रामबाड़ा से गरुड़चट्टी पर लोक निर्माण विभाग की टीम कटान कर रही है।
जिससे मार्ग को सरल बनाया जा सके, और यात्रियों को गरुड़चट्टी तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो।
इस रास्ते के पूरा बनते ही यात्रियों को केदारनाथ तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि गरुड़चट्टी केदारनाथ तक 3.5 किमी रास्ता पहले ही बन चुका है। साथ ही इस रास्ते को मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर पुल भी बनकर तैयार हो चुका है।

पुराने रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ पैदल यात्रा को वन वे किया जाएगा। जिसके तहत नए रास्ते से यात्री केदारनाथ धाम भेजे जाएंगे और दर्शन कर पुराने रास्ते से वापस लौटेंगे। बताया जाता है कि नए रास्ते से घोड़े खच्चरों का संचालन और पुराने रास्ते से पैदल आवाजाही भी कराई जा सकती है। ऐसे में गरुड़चट्टी में आपदा के बाद से पसरा सन्नाटा भी खत्म हो जाएगा और गरुड़चट्टी फिर से गुलजार हो जायेगा।

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 कार्यवाही: लंबे समय से चल रही थी

वर्ष 2015 से पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने की कार्यवाही शुरू हो गई थी। तीन चरणों में भूमि सर्वेक्षण के बाद अन्य औपचारिकताएं पूरी की गईं। इस वर्ष के शुरू में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने के लिए 0.983 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति दी गई।

इसके बाद मार्च अप्रैल में वन संपदा क्षतिपूर्ति की राशि जमा की गई और रास्ता पुनर्जीवित कार्य के लिए निविदा आमंत्रित की गई। अगस्त के तीसरे सप्ताह से लोक निर्माण विभाग ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने का काम शुरू कर दिया।

निर्माण विभाग (गुप्तकाशी) के अधिकारियों के अनुसार रामबाड़ा गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी रास्ते को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
अभी तक लगभग एक किमी कटान हो चुका है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस रास्ते का निर्माण किया जाएगा। दूसरे चरण में रास्ते को सुरक्षित करने के लिए रेलिंग और अन्य कार्य भी किए जाएंगे। इस रास्ते के बनते ही केदारनाथ पैदल यात्रा सरल व सुलभ हो जाएगी।

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