लंबे समय चले अध्ययन में हुआ खुलासा, महिलाओं को होता है हार्ट डिसीज का ज्यादा खतरा

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नई दिल्‍ली, हाल ही में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक विज्ञान सम्मेलन में एक नए शोध पर चर्चा हुई। इस शोध में कनाडा के लगभग 1,75,000 हजार वयस्क महिलाओं ने भाग लिया था। ओंटेरियो हेल्थ स्टडी ने इस अध्ययन की शुरुआत 2009 में की थी। लंबे समय तक चले इस अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि एक जैसी जीवनशैली के बावजूद महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दिल की बीमारी और हृदयाघात के मामले लगभग 2.5 प्रतिशत अधिक होते हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि अगर एक स्त्री अपने समकक्ष पुरुष की ही तरह धूम्रपान करती है, असंतुलित खानपान लेती है, पूरी नींद नहीं लेती, तनाव में रहती है तो उसे दिल की बीमारी होने की आशंका पांच गुना बढ़ जाती है। इस शोध में शामिल डॉक्टर पामेला एंड्रूज ने बताया कि औरतों के शरीर की संरचना पुरुषों से अलग होती है। उनके शरीर के अवयव अलग तरह से काम करते हैं, इसलिए खराब जीवनशैली का उन पर ज्यादा और जल्दी बुरा असर पड़ता है। इस शोध में यह बात भी सामने आई कि पिछले दो दशकों में महिलाओं में कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के मामलों में 43 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। महिलाओं को अपने दिल की सेहत दुरुस्त रखने के लिए अपनी जीवनशैली को संतुलित रखना होगा और तनाव से भी दूर रहना होगा।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना शिष्टाचार

दिल्ली में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और दुव्र्यवहार की घटनाएं अकसर सामने आती रहती हैं। इससे निबटने के लिए दिल्ली पुलिस ने ‘शिष्टाचार’ नाम से पुलिसकर्मियों का एक दल बनाया है, जो सड़क और सार्वजनिक परिवहन में आने-जाने वाली लड़कियों की हिफाजत करेगा। इसके तहत दिल्ली के हर जिले में दो स्क्वॉड तैनात रहेगी। क्राइम अगेंस्ट वुमन सेल के एसीपी इन स्क्वॉड के प्रमुख होंगे। हर स्क्वॉड में एक इंस्पेक्टर, एक सब इंस्पेक्टर, 8 कॉन्स्टेबल और हेड कॉन्स्टेबल होंगे, जिनमें 4 महिला पुलिसकर्मी शामिल रहेंगी। स्पेशल यूनिट से एक पुलिसकर्मी तकनीकी मदद के लिए हर एक स्क्वॉड के साथ रहेगा। इस स्क्वॉड के पास कार और दुपहिया वाहन की सुविधा भी होगी। स्क्वॉड की अधिकतर तैनाती स्कूलों, कॉलेज, मार्केट और सभी संवेदनशील इलाकों में होगी। पुलिसकर्मी सादा कपड़ों में रहेंगे, जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी र्चेंकग करेंगे और पीड़ितों को शिकायत दर्ज करने के लिए प्रेरित भी करेंगे।

मीठे से दूर रहना यानी मोटापे से दूर रहना

डेली मेल में प्रकाशित एक खबर के अनुसार केट डैनियर अपने 135 किलो के शरीर से बेहद त्रस्त थीं। एक वक्त ऐसा आया, जब वो चलने और अपने पैंट का बटन लगाने जैसे नियमित काम भी मोटापे के कारण नहीं कर पा रही थीं। बस कर पा रही थीं, तो खाना खाना। कैट ने खबर में कहा है कि बचपन से वो गदबदी थीं। पर्र ंजदगी के ऊहापोह, तलाक और बच्चों को अकेले पालने की जिम्मेदारी के बाद उनके खाने की ललक और बढ़ गई। डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि वे सर्जरी करके अपना वजन कम करें। उन्होंने यह भी किया। इससे 30 किलो वजन कम तो हुआ, पर छह महीने में खाने की आदत के चलते फिर से बढ़ गया। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि वो जिंदगी की डोर अपने हाथ में लेंगी। केट ने हर तरह से मीठा खाना छोड़ दिया। खानपान संतुलित होते ही और मीठा छोड़ते ही उनका वजन घटने लगा। इसके बाद व्यायाम और बेहतर जीवनशैली से उन्होंने अपना वजन 70 किलो घटा लिया। केट कहती हैं, ‘वजन घटाना मुश्किल है और यह पर्याप्त समय भी लेता है। पर काम यह नामुमकिन नहीं है।’

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