जोखिम : चिंताग्रस्त बुजुर्गों में डिमेंशिया का तीन गुना अधिक होता है खतरा

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Dementia risk  : चिंता हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक नए अध्ययन में बताया गया है कि चिंताग्रस्त बुजुर्गों में चिंतामुक्त लोगों की अपेक्षा डिमेंशिया विकसित होने का जोखिम तीन गुना अधिक होता है। इसके साथ ही शोध दल ने सुझाव दिया कि चिंता का समाधान कर इस जोखिम को कम किया जा सकता है।

ब्रिटेन की न्यूकेशल यूनिवर्सिटी समेत अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि  60-70 वर्ष की आयु के लोगों में क्रोनिक (लगातार) चिंता से मानसिकविकार की स्थिति विकसित हो जाती है। यह उनकी नियमित गतिविधियों के साथ याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करती है। शोध का निष्कर्ष जर्नल आफ द अमेरिकन गेरिएट्रिक्स सोसायटी में प्रकाशित हुआ है। न्यूकैशल यूनिवर्सिटी से जुड़े शोध के लेखक के खैंग ने कहा कि डिमेंशिया से निपटने के लिए चिंता एक नया जोखिम कारक है।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए दो हजार से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनकी औसत आयु 76 वर्ष थी। इसमें से 450 लोग यानि 21 प्रतिशत पहले से ही चिंताग्रस्त थे। इस समूह की 10 वर्ष तक निगरानी की गई। इस दौरान पांच वर्ष बाद मध्यर्ती फालोअप के दौरान जिन लोगों में लगातार चिंता बनी रही उन्हें क्रोनिक चिंता और जिन लोगों में इस दौरान चिंता का विकास हुआ उन्हें नई शुरुआती चिंता कहा गया। पुरानी और नई चिंता वाले दोनों लोगों में डिमेंशिया विकसित होने के सभी कारक पाए गए।

चिंता के द्वारा डिमेंशिया के जोखिम की प्रक्रिया में सूजन, मृत कोशिकाएं और शारीरिक निष्क्रियता व धूमपान जैसे अस्वास्थ्यकर व्यवहार शामिल थे।

डिमेंशिया की बीमारी को कम कर सकती हैं ये आदतें

1. एक्टिव रहना
एक्टिव रहने से आपके ब्रेन सेल्स हेल्दी रहते हैं और इनमें ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। साथ ही ब्रेन को लगातार ऑक्सीजन और न्यूट्रीएंट्स मिलते रहते हैं जिससे ब्रेन एक्टिव रहता और आप इस बीमारी से बचे रहते हैं।

2. हेल्दी डाइट लेना
हेल्दी डाइट जैसे कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 से भरपूर फूड्स आपके ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं। ये मस्तिष्क को हेल्दी रखते हैं और दिमागी बीमारियों से बचाते हैं।

3. वजन कम करना
वजन कम करने से आप डिमेंशिया की बीमारी से बच सकते हैं। दरअसल, मोटापा शरीर के साथ दिमाग को भी स्लो कर देता है और मस्तिष्क की कई बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है।

4. धूम्रपान न करना
धूम्रपान डिमेंशिया के जोखिम को और बढ़ा देता है। ये आपके ब्रेन सेल्स को डिस्टर्ब करने लगता है और न्यूरल गतिविधियों को प्रभावित करता है। इस तरह ये कई समस्याओं का कारण बनता है।

5. हेल्दी ब्लड प्रेशर
हेल्दी ब्लड प्रेशर यानी कि आपका ब्लड प्रेशर न ज्यादा होना चाहिए ना कम होना चाहिए। क्योंकि अगर आपका ब्लड प्रेशर ज्यादा होगा तो ये आपके ब्रेन सेल्स के काम काज को प्रभावित कर सकता है और न्यूरल समस्याएं पैदा कर सकता है।

6. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना
कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना ब्रेन को हेल्दी रखने के लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि हाई कोलेस्ट्रॉल ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाता है और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है जिससे ब्रेन हेल्थ भी प्रभावित होता है।

7. ब्लड शुगर को कम करना
हाई ब्लड शुगर डायबिटीज का कारणबनता है और डायबिटीज धीमे-धीमे न्यूरॉन्स को प्रभावित करने लगती है। इससे दिमाग पर भी असर पड़ता है। तो, इन तमाम समस्याओं से बचने के लिए आपको इन चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए।

डिमेंशिया के जोखिम कारक

वैसे तो डिमेंशिया होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन स्टडी के मुताबिक उम्र भी इसके पीछे का बड़ा कारण मानी जाती है। यही नहीं अगर आपको पहले कभी डायबिटीज या फिर डिप्रेशन की समस्या रही है तो ऐसे में डिमेंशिया होना भी संभव हो सकता है। ऐसे में एजुकेशन की कमी या फिर स्ट्रोक रहने के इतिहास को भी डिमेंशिया होने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। वहीं अगर आप किसी प्रकार की शारीरिक समस्या या क्रॉनिक डिजीज जैसे हाई ब्लड प्रेशर या फिर कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं तो भी डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं स्टडी के मुताबिक अगर आप पुरुष हैं और अकेले रह रहे हैं तो यह आदत भी आपको डिमेंशिया का शिकार बना सकती है।

डिमेंशिया कितने प्रकार के होते हैं

अल्जाइमर (Alzheimer)
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का ही एक आम प्रकार है। डब्लूएचओ के अनुसार 60 से 70 फीसदी बुजुर्गों को यह समस्या हो सकती है। इस समस्या में मरीज के लक्षण समय के साथ गंभीर होने लगते हैं। इस समस्या में मरीज को कंफ्यूजन होने लगता है, वह चीजों को सही ढंग से समझ नहीं पाता है। उसके मूड में बदलाव आने लगता है। वह घर के लोगों को पहचान नहीं पाता है। साथ ही, ऐसे व्यक्ति को खाने पीने में भी परेशानी होने लगती है।

वैस्कुलर डिमेंशिया (Vascular Dementia)
वैस्कुलर डिमेंशिया में व्यक्ति का ब्लड सर्कुलेशन ब्रेन तक सही तरह से नहीं पहुंच पाता है, जिससे ब्रेन के सेल प्रभावित होते हैं। कुछ समय के बाद सेल डैमेज होने लगते हैं। इसके वजह से व्यक्ति को स्ट्रोक, ब्रेन की नसों का सुकड़ना, नसों का ब्लॉक होना, आदि परेशानियां हो सकती हैं। किसी व्यक्ति को एक ही समय में अल्जाइमर और वैस्कुलर डिमेंशिया एक साथ हो सकते हैं। वैस्कुलर डिमेंशिया में दवाओं से मरीज की गंभीरता को कम किया जा सकता है।

पार्किंसंस रोग डिमेंशिया (Parkinson’s Disease Dementia)
पार्किंसंस रोग डिमेंशिया (पीडीडी) में याददाश्त में कमी आती है, जो पार्किंसंस रोग वाले व्यक्तियों में हो सकती है। एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है, जो ब्रेन के फंक्शन को प्रभावित करता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कुछ व्यक्तियों में ज्यादा समस्या होने लगती है।

डिमेंशिया लीयू बॉडीज (Dementia With Lewy Bodies – DLB)
लीयू बॉडी डिमेंशिया (एलबीडी) में व्यक्ति के मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन इकट्ठा होता जाता है, जिसे लीयू बॉडी कहा जाता है। इसके लक्षण अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग दोनों के समान होते हैं। लेकिन इस स्थिति में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होती है। साथ ही उसकी नींद में कमी, किसी चीज पर एकाग्र न हो पाना, व हाथ-पैरों को चलाने में मुश्किल होने लगती है।

डिमेंशिया से बचने के उपाय:

ध्याान रहे डिमेंशिया एक मस्तिष्क से संबंधित रोग हैं। इसके लक्षणों को दवाओं के माध्यम से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। अगर, व्यक्ति को ज्यादा समस्या हो, तो उसे तुरंत इलाज कराना चाहिए।

डिमेंशिया का निदान किसी एक टेस्ट से नहीं किया जा सकता है। अक्सर, डिमेंशिया की पुष्टि करने के लिए, रोगी के स्वास्थ्य और चिकित्सा के इतिहास को ध्यान में रखते हुए रोगी के व्यवहार और लक्षणों को सावधानीपूर्वक समझने के लिए एक विस्तृत जांच प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। मनोभ्रंश के लक्षण मस्तिष्क की अन्य स्थितियों के इतने करीब होते हैं कि मनोभ्रंश का निदान करना काफी कठिन हो जाता है।

डिमेंशिया के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू करने के लिए यह आवश्यक है कि लक्षण कम से कम छह महीने तक बने रहें। अक्सर, प्रलाप को मनोभ्रंश समझ लिया जाता है क्योंकि लक्षण समान दिखाई देते हैं। लेकिन प्रलाप कम अवधि/एपिसोड तक सीमित होता है, डिमेंशिया के विपरीत जो लगातार मौजूद रहता है। इस अंतर के कारण कोई यह समझ सकता है कि लक्षण मनोभ्रंश या प्रलाप का संकेत देते हैं। प्रलाप के विपरीत, डिमेंशिया में आमतौर पर लक्षणों की शुरुआत लंबी और धीमी होती है।

 

डिमेंशिया के लिए खाद्य पदार्थ- Foods For Dementia

1. बेरी
बेरी एंथोसायनिन का समृद्ध स्रोत है, जो मनोभ्रंश और अल्जाइमर को रोकता है। इसके अलावा, बेरीज में विटामिन सी, ई और एंटीऑक्सिडेंट जैसे पोषक तत्‍व भी होते हैं, जो बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। बेहतर परिणाम के लिए ब्लूबेरी, चेरी और स्ट्रॉबेरी की खपत को बढ़ाएं।

2. ब्रोकली
ब्रोकली का सेवन मस्तिष्क के कार्य को बढ़ाता है। ब्रोकली में कोलीन होता है, जो स्मृति और बेहतर संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाता है। डिमेंशिया से बचाव के लिए ब्रोकली का सेवन करें।

3. मछली
मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो आपके दिमाग को तेज रखता है। बेहतर परिणामों के लिए अपने आहार में मछली को शामिल करें। यदि आप मछली का सेवन नहीं कर सकते हैं तो आप फ्लैक्ससीड्स का भी सेवन कर सकते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है।

4. बीन्‍स
बीन्स और फलियां आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और फोलेट का समृद्ध स्रोत हैं जो न्यूरॉन्स और अन्य शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं। मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को बढ़ाने और मनोभ्रंश को रोकने के लिए अपने आहार में अधिक बीन्स और फलियां शामिल करें।

5. करी
डिमेंशिया से बचाव के लिए करी का सेवन फायदेमंद होता है। करी मस्तिष्क में प्‍लाक के प्रसार को रोकता है। मनोभ्रंश को रोकने के लिए इन खाद्य पदार्थों का सेवन फायदेमंद है। ये खाद्य पदार्थ न केवल मनोभ्रंश को रोकते हैं बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता में भी सुधार करते हैं।

डिमेंशिया से बचने के अन्‍य उपाय

डिमेंशिया जैसी समस्‍याओं से बचने के लिए आपको रोजाना एक्‍सरसाइज करना चाहिए। जो लोग एक्‍सरसाइज नहीं करते हैं उनमें एक उम्र के बाद डिमेंशिया और अल्‍जाइमर जैसी बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा आपको मस्तिष्‍क से जुड़े खेलों में हिस्‍सा लेना चाहिए। किताबें पढ़ें और पानी पर्याप्‍त मात्रा में पीएं, क्‍योंकि मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ रखने के लिए पानी की आवश्‍यकता होती है।

कुछ जाने-माने डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति: अमरीकन प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन, इंग्लेंड की पूर्व प्रधान मंत्री मार्गरेट थैचेर । और भारत से: तेजी बच्चन (अमिताभ बच्चन के माँ), जोर्ज फर्नांडीस, अटल बिहारी वाजपई, नानी पालखीवाला, उद्योगपति श्रीचंद परमानंद हिंदुजा, सीमा देव।

चिंता हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक नए अध्ययन में बताया गया है कि चिंताग्रस्त बुजुर्गों में चिंतामुक्त लोगों की अपेक्षा डिमेंशिया विकसित होने का जोखिम तीन गुना अधिक होता है। इसके साथ ही शोध दल ने सुझाव दिया कि चिंता का समाधान कर इस जोखिम को कम किया जा सकता है।

ब्रिटेन की न्यूकेशल यूनिवर्सिटी समेत अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि 60-70 वर्ष की आयु के लोगों में क्रोनिक (लगातार) चिंता से मानसिकविकार की स्थिति विकसित हो जाती है। यह उनकी नियमित गतिविधियों के साथ याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करती है। शोध का निष्कर्ष जर्नल आफ द अमेरिकन गेरिएट्रिक्स सोसायटी में प्रकाशित हुआ है। न्यूकैशल यूनिवर्सिटी से जुड़े शोध के लेखक के खैंग ने कहा कि डिमेंशिया से निपटने के लिए चिंता एक नया जोखिम कारक है।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए दो हजार से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनकी औसत आयु 76 वर्ष थी। इसमें से 450 लोग यानि 21 प्रतिशत पहले से ही चिंताग्रस्त थे। इस समूह की 10 वर्ष तक निगरानी की गई। इस दौरान पांच वर्ष बाद मध्यर्ती फालोअप के दौरान जिन लोगों में लगातार चिंता बनी रही उन्हें क्रोनिक चिंता और जिन लोगों में इस दौरान चिंता का विकास हुआ उन्हें नई शुरुआती चिंता कहा गया। पुरानी और नई चिंता वाले दोनों लोगों में डिमेंशिया विकसित होने के सभी कारक पाए गए।

चिंता के द्वारा डिमेंशिया के जोखिम की प्रक्रिया में सूजन, मृत कोशिकाएं और शारीरिक निष्क्रियता व धूमपान जैसे अस्वास्थ्यकर व्यवहार शामिल थे।

डिमेंशिया की बीमारी को कम कर सकती हैं ये आदतें

1. एक्टिव रहना
एक्टिव रहने से आपके ब्रेन सेल्स हेल्दी रहते हैं और इनमें ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। साथ ही ब्रेन को लगातार ऑक्सीजन और न्यूट्रीएंट्स मिलते रहते हैं जिससे ब्रेन एक्टिव रहता और आप इस बीमारी से बचे रहते हैं।

2. हेल्दी डाइट लेना
हेल्दी डाइट जैसे कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 से भरपूर फूड्स आपके ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं। ये मस्तिष्क को हेल्दी रखते हैं और दिमागी बीमारियों से बचाते हैं।

3. वजन कम करना
वजन कम करने से आप डिमेंशिया की बीमारी से बच सकते हैं। दरअसल, मोटापा शरीर के साथ दिमाग को भी स्लो कर देता है और मस्तिष्क की कई बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है।

4. धूम्रपान न करना
धूम्रपान डिमेंशिया के जोखिम को और बढ़ा देता है। ये आपके ब्रेन सेल्स को डिस्टर्ब करने लगता है और न्यूरल गतिविधियों को प्रभावित करता है। इस तरह ये कई समस्याओं का कारण बनता है।

5. हेल्दी ब्लड प्रेशर
हेल्दी ब्लड प्रेशर यानी कि आपका ब्लड प्रेशर न ज्यादा होना चाहिए ना कम होना चाहिए। क्योंकि अगर आपका ब्लड प्रेशर ज्यादा होगा तो ये आपके ब्रेन सेल्स के काम काज को प्रभावित कर सकता है और न्यूरल समस्याएं पैदा कर सकता है।

6. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना
कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना ब्रेन को हेल्दी रखने के लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि हाई कोलेस्ट्रॉल ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाता है और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है जिससे ब्रेन हेल्थ भी प्रभावित होता है।

7. ब्लड शुगर को कम करना
हाई ब्लड शुगर डायबिटीज का कारणबनता है और डायबिटीज धीमे-धीमे न्यूरॉन्स को प्रभावित करने लगती है। इससे दिमाग पर भी असर पड़ता है। तो, इन तमाम समस्याओं से बचने के लिए आपको इन चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए।

डिमेंशिया के जोखिम कारक
वैसे तो डिमेंशिया होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन स्टडी के मुताबिक उम्र भी इसके पीछे का बड़ा कारण मानी जाती है। यही नहीं अगर आपको पहले कभी डायबिटीज या फिर डिप्रेशन की समस्या रही है तो ऐसे में डिमेंशिया होना भी संभव हो सकता है। ऐसे में एजुकेशन की कमी या फिर स्ट्रोक रहने के इतिहास को भी डिमेंशिया होने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। वहीं अगर आप किसी प्रकार की शारीरिक समस्या या क्रॉनिक डिजीज जैसे हाई ब्लड प्रेशर या फिर कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं तो भी डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं स्टडी के मुताबिक अगर आप पुरुष हैं और अकेले रह रहे हैं तो यह आदत भी आपको डिमेंशिया का शिकार बना सकती है।

डिमेंशिया कितने प्रकार के होते हैं

अल्जाइमर (Alzheimer)
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का ही एक आम प्रकार है। डब्लूएचओ के अनुसार 60 से 70 फीसदी बुजुर्गों को यह समस्या हो सकती है। इस समस्या में मरीज के लक्षण समय के साथ गंभीर होने लगते हैं। इस समस्या में मरीज को कंफ्यूजन होने लगता है, वह चीजों को सही ढंग से समझ नहीं पाता है। उसके मूड में बदलाव आने लगता है। वह घर के लोगों को पहचान नहीं पाता है। साथ ही, ऐसे व्यक्ति को खाने पीने में भी परेशानी होने लगती है।

वैस्कुलर डिमेंशिया (Vascular Dementia)
वैस्कुलर डिमेंशिया में व्यक्ति का ब्लड सर्कुलेशन ब्रेन तक सही तरह से नहीं पहुंच पाता है, जिससे ब्रेन के सेल प्रभावित होते हैं। कुछ समय के बाद सेल डैमेज होने लगते हैं। इसके वजह से व्यक्ति को स्ट्रोक, ब्रेन की नसों का सुकड़ना, नसों का ब्लॉक होना, आदि परेशानियां हो सकती हैं। किसी व्यक्ति को एक ही समय में अल्जाइमर और वैस्कुलर डिमेंशिया एक साथ हो सकते हैं। वैस्कुलर डिमेंशिया में दवाओं से मरीज की गंभीरता को कम किया जा सकता है।

पार्किंसंस रोग डिमेंशिया (Parkinson’s Disease Dementia)
पार्किंसंस रोग डिमेंशिया (पीडीडी) में याददाश्त में कमी आती है, जो पार्किंसंस रोग वाले व्यक्तियों में हो सकती है। एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है, जो ब्रेन के फंक्शन को प्रभावित करता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कुछ व्यक्तियों में ज्यादा समस्या होने लगती है।

डिमेंशिया लीयू बॉडीज (Dementia With Lewy Bodies – DLB)
लीयू बॉडी डिमेंशिया (एलबीडी) में व्यक्ति के मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन इकट्ठा होता जाता है, जिसे लीयू बॉडी कहा जाता है। इसके लक्षण अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग दोनों के समान होते हैं। लेकिन इस स्थिति में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होती है। साथ ही उसकी नींद में कमी, किसी चीज पर एकाग्र न हो पाना, व हाथ-पैरों को चलाने में मुश्किल होने लगती है।

डिमेंशिया से बचने के उपाय:

ध्याान रहे डिमेंशिया एक मस्तिष्क से संबंधित रोग हैं। इसके लक्षणों को दवाओं के माध्यम से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। अगर, व्यक्ति को ज्यादा समस्या हो, तो उसे तुरंत इलाज कराना चाहिए।

डिमेंशिया का निदान किसी एक टेस्ट से नहीं किया जा सकता है। अक्सर, डिमेंशिया की पुष्टि करने के लिए, रोगी के स्वास्थ्य और चिकित्सा के इतिहास को ध्यान में रखते हुए रोगी के व्यवहार और लक्षणों को सावधानीपूर्वक समझने के लिए एक विस्तृत जांच प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। मनोभ्रंश के लक्षण मस्तिष्क की अन्य स्थितियों के इतने करीब होते हैं कि मनोभ्रंश का निदान करना काफी कठिन हो जाता है।

डिमेंशिया के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू करने के लिए यह आवश्यक है कि लक्षण कम से कम छह महीने तक बने रहें। अक्सर, प्रलाप को मनोभ्रंश समझ लिया जाता है क्योंकि लक्षण समान दिखाई देते हैं। लेकिन प्रलाप कम अवधि/एपिसोड तक सीमित होता है, डिमेंशिया के विपरीत जो लगातार मौजूद रहता है। इस अंतर के कारण कोई यह समझ सकता है कि लक्षण मनोभ्रंश या प्रलाप का संकेत देते हैं। प्रलाप के विपरीत, डिमेंशिया में आमतौर पर लक्षणों की शुरुआत लंबी और धीमी होती है।

 

डिमेंशिया के लिए खाद्य पदार्थ- Foods For Dementia

1. बेरी
बेरी एंथोसायनिन का समृद्ध स्रोत है, जो मनोभ्रंश और अल्जाइमर को रोकता है। इसके अलावा, बेरीज में विटामिन सी, ई और एंटीऑक्सिडेंट जैसे पोषक तत्‍व भी होते हैं, जो बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। बेहतर परिणाम के लिए ब्लूबेरी, चेरी और स्ट्रॉबेरी की खपत को बढ़ाएं।

2. ब्रोकली
ब्रोकली का सेवन मस्तिष्क के कार्य को बढ़ाता है। ब्रोकली में कोलीन होता है, जो स्मृति और बेहतर संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाता है। डिमेंशिया से बचाव के लिए ब्रोकली का सेवन करें।

3. मछली
मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो आपके दिमाग को तेज रखता है। बेहतर परिणामों के लिए अपने आहार में मछली को शामिल करें। यदि आप मछली का सेवन नहीं कर सकते हैं तो आप फ्लैक्ससीड्स का भी सेवन कर सकते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है।

4. बीन्‍स
बीन्स और फलियां आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और फोलेट का समृद्ध स्रोत हैं जो न्यूरॉन्स और अन्य शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं। मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को बढ़ाने और मनोभ्रंश को रोकने के लिए अपने आहार में अधिक बीन्स और फलियां शामिल करें।

5. करी
डिमेंशिया से बचाव के लिए करी का सेवन फायदेमंद होता है। करी मस्तिष्क में प्‍लाक के प्रसार को रोकता है। मनोभ्रंश को रोकने के लिए इन खाद्य पदार्थों का सेवन फायदेमंद है। ये खाद्य पदार्थ न केवल मनोभ्रंश को रोकते हैं बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता में भी सुधार करते हैं।

डिमेंशिया से बचने के अन्‍य उपाय

डिमेंशिया जैसी समस्‍याओं से बचने के लिए आपको रोजाना एक्‍सरसाइज करना चाहिए। जो लोग एक्‍सरसाइज नहीं करते हैं उनमें एक उम्र के बाद डिमेंशिया और अल्‍जाइमर जैसी बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा आपको मस्तिष्‍क से जुड़े खेलों में हिस्‍सा लेना चाहिए। किताबें पढ़ें और पानी पर्याप्‍त मात्रा में पीएं, क्‍योंकि मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ रखने के लिए पानी की आवश्‍यकता होती है।

कुछ जाने-माने डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति: अमरीकन प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन, इंग्लेंड की पूर्व प्रधान मंत्री मार्गरेट थैचेर । और भारत से: तेजी बच्चन (अमिताभ बच्चन के माँ), जोर्ज फर्नांडीस, अटल बिहारी वाजपई, नानी पालखीवाला, उद्योगपति श्रीचंद परमानंद हिंदुजा, सीमा देव।

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