डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने, भारत से एस जयशंकर आज जाएंगे अमेरिका
नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री एस। जयशंकर 24 दिसंबर को संयुक्त राज्य अमेरिका की छह दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट किए गए अपडेट में, विदेश मंत्रालय ने बताया है, कि यह यात्रा 24 से 29 दिसंबर के बीच की जाएगी। विदेश मंत्रालय ने कहा है, कि विदेश मंत्री प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने अमेरिकी समकक्षों से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मंगलवार से शुरू हो रही अपनी यात्रा में जयशंकर, अमेरिका में भारत के महावाणिज्यदूतों के सम्मेलन की अध्यक्षता भी करेंगे। आपको बता दें, कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद यह भारत की ओर से अमेरिका की पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी।
हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि विदेश मंत्री ट्रंप खेमे के किसी अधिकारी से मुलाकात करेंगे या नहीं। डोनाल्ड ट्रंप, 20 जनवरी को दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप पर एस जयशंकर ने क्या कहा?
5 दिसंबर को दिल्ली में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा था, कि ट्रंप का भारत के प्रति सकारात्मक राजनीतिक दृष्टिकोण रहा है और भारत उनके प्रशासन के साथ “गहरे” संबंध बनाने के लिए कई अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा लाभप्रद स्थिति में है। साथ ही, जयशंकर ने कहा था, कि कई अन्य देशों की तरह भारत के भी कुछ मुद्दे हो सकते हैं और वह उनसे निपटेगा।
2017 से 2021 तक अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में बड़ी तेजी देखी गई थी। हाई टेक्नोलॉजी और डिफेंस सहित विविध क्षेत्रों में बाइडेन प्रशासन के तहत दोनों देशों के बीच संबंधों का और विस्तार हुआ। द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के लिए शुरू किए गए सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी पर यूएस-इंडिया पहल iCET था, जिसे दोनों देशों के बीच के रिश्तों के लिए गेमचेंजर माना जाता है।
iCET को मई 2022 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच ज्यादा सहयोग बनाने के मकसद से लॉन्च किया गया था। वहीं, अक्टूबर महीने भारत ने विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग के तहत अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ एक मेगा डील पर हस्ताक्षर किए थे, जिसकी लागत लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
भारतीय वायु सेना और सेना को आठ-आठ स्काई गार्जियन ड्रोन मिलेंगे।
भारत चीन के साथ विवादित सीमाओं पर अपनी सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए ड्रोन खरीद रहा है। नौसेना को जहां 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, वहीं भारतीय वायु सेना और सेना को आठ-आठ स्काई गार्जियन ड्रोन मिलेंगे।
उच्च ऊंचाई वाले लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन 35 घंटे से ज्यादा समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं। सी गार्जियन ड्रोन इसलिए खरीदे जा रहे हैं, क्योंकि वे समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और ओवर-द-हॉरिजन टारगेटिंग सहित कई तरह की भूमिकाएं निभा सकते हैं।