अपने कार्यकाल खत्म होने से पहले जो बाइडन ने 37 अपराधियों को दिया नया जीवन, मौत की सजा को किया माफ
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नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने कार्यकाल के खत्म होने से पहले सोमवार (23 दिसंबर) को 40 में से 37 अपराधियों की मौत की सजा को माफ करके उन्हें आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया। वहीं, इसमें से मात्र 3 अपराधियों की मौत की सजा को बरकरार रखा गया है। जो बाइडन ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से पहले यह आदेश दिया है।डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर बैठने में अब एक महीने से भी कम का समय बचा है। बता दें कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान बहुत कम लोगों की मौत की सजा को माफ की थी।
37 अपराधियों की मिली जिंदगी, 3 की सजा बरकरार
बाइडन के इस फैसले के बाद मौत की सजा पाए 40 में से 37 अपराधियों को आजीवन कारावास के रूप में नई जिंदगी मिल गई। वहीं, मात्र 3 हाई-प्रोफाइल हत्यारे ही संघीय मृत्युदंड का सामना कर रहे हैं। जिन्हें घृणा या आतंकवाद के कारण मौत की सजा सुनाई गई है। बाइडन ने अपने एक बयान में कहा, “मैं संघीय मृत्युदंड की सजा पर मौजूद 40 लोगों में से 37 की सजा को पैरोल के बिना आजीवन कारावास में बदल रहा हूं।”
इन अपराधियों को सजा नहीं हुई माफ
संघीय मृत्युदंड की सजा पर बने रहने वाले 3 अपराधियों में एक जोखर त्सरनेव शामिल है, जिसने 2013 के बोस्टन मैराथन बम विस्फोट को अंजाम देने में मदद की थी। वहीं, डायलन रूफ एक श्वेत वर्चस्ववादी है, जिसने 2015 में दक्षिण कैरोलिना के चार्ल्सटन में 9 अश्वेत चर्च जा रहे लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा पिट्सबर्ग में ट्री ऑफ लाइफ सिनेगॉग में 2018 में सामूहिक गोलीबारी के दौरान 11 यहूदी उपासकों को मारने वाले रॉबर्ट बॉवर्स की भी मौत की सजा बरकरार रही।
फैसले के बाद बाइडन ने क्या कहा?
जो बाइडन के फैसले के बाद जिन लोगों की सजा को कम किया गया है। उनमें साथी कैदियों की हत्या के लिए दोषी 9 लोग, बैंक डकैती के दौरान की गई हत्या के लिए 4 और जेल गार्ड की हत्या करने वाला एक अपराधी शामिल है। अपराधियों की सजा में बदलाव के आदेश के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, “कोई गलती न करें, मैं इन हत्यारों की निंदा करता हूं, उनके घृणित कृत्यों के पीड़ितों के लिए शोक व्यक्त करता हूं और उन सभी परिवारों के लिए दुखी हूं जिन्होंने अकल्पनीय और अपूरणीय क्षति को झेला है। लेकिन मेरी अंतरात्मा और मेरे अनुभव से प्रेरित होकर मैं पहले से कहीं अधिक आश्वस्त हूं कि हमें संघीय स्तर पर मृत्युदंड के उपयोग को रोकना चाहिए।”