पूरा विश्व शरीर और भारत उसकी आत्मा : भागवत

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मध्यप्रदेश के खंडवा में ओकारेश्वर के नर्मदा किनारे स्थित मार्कडेय आश्रम पर चल रही कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक का रविवार को अंतिम दिन रहा।इसकी शुरुआत भारत माता के पूजन से हुई। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत माता एवं आदिशंकाराचार्य का पूजन किया। उसके बाद भारत माता पूजन के महत्व और उद्देश्य को बताते हुए कहा कि भारत भूमि हमारा पालन-पोषण, संरक्षण और संवर्धन करती है और इसमें जन्म लेने वाले प्रत्येक जन में सेवा का स्वाभाविक संस्कार है। भारत माता का पूजन मतलब भारत में रहने वाले जन, जमीन, जंगल, जल और जानवरों की सेवा और सुरक्षा करना है। साथ ही पर्यावरण और जैव विविधता का संरक्षण और संवर्धन भारत माता के पूजन से मिलने वाली प्रेरणा है। यह पूरा विश्व एक देह है हर उसकी आत्मा हमारा भारत देश।

नर्मदा आरती के बाद हुए भारत माता पूजन में मोहन भागवत ने एकांत में अध्यात्म साधना और लोकांत में समाज सेवा का आह्वान भी किया। गृहस्थ आश्रम को धर्म की धुरी बताते हुए कहा कि जो जिस भी स्थित में हो उसे समाज की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। जिस प्रकार गरूड़ ने माता की सेवा से देवता का वाहन बनने का आशीर्वाद पाया, उसी प्रकार हम भी भारत माता की सेवा के आशीर्वाद से धर्म के वाहक बनने में समर्थ हों।

कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक में बीते तीन दिनों से समर्थ कुटुंब व्यवस्था को लेकर विभिन्‍न प्रकार के विषयों पर चर्चा हुई। उसके अंतर्गत बताया गया कि सृष्टि की सबसे अनुपम रचनाओं में एक भारतीय परिवार की रचना है। भारतीय परिवारों को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्‍न प्रकार के कार्यकुटुंब प्रबोधन गतिविधि द्वारा किए जाते हैं। कुटुंब मित्रों का परिवारों में आना जाना, परिवारों से सकारात्मक चर्चा करना, ऐसे कई अलग-अलग क्रियाकलापों द्वारा कुटुंब व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का काम किया जाता है।

छह प्रकार के ‘भ’ पर काम करना बताया

कुदुंब प्रवोधन गतिविधि द्वारा परिवार को मजबूत बनाए रखने के लिए छह प्रकार के ‘भ’ पर काम करने के लिए बताया कि जिसमें भोजन,भजन, भाषा, भूषा, भ्रमण और भवन इन सभी बातों को लेकर प्रत्येक परिवार को काम करना होगा। साथ ही साथ आज के वर्तमान समय में बच्चों में जो विकृति दिखाई देती है, उसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल का बड़ी मात्रा में उपयोग ध्यान में आता है। उसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार में आपसी संवाद बढ़ानी की आवश्यकता है, जिससे घर के बच्चे अपने मन की बात बोल सकें और निश्चित ही परिवार के वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

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