यूएपीए न्यायाधिकरण ने तहरीक-ए-हुर्रियत, मुस्लिम लीग जम्मू और कश्मीर गुट पर पांच साल का प्रतिबंध बढ़ाया
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अध्यक्षता में गठित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण ने मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर और तहरीक-ए-हुर्रियत पर गृह मंत्रालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के जारी रहने की पुष्टि की। दोनों संगठन पर अगले पांच साल का प्रतिबंध जारी रहेगा। गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत लेफ्टिनेंट एसए गिलानी द्वारा गठित मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर (मसरत आलम गुट) और तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर को गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। आदेश के तहत इन संगठनों का सदस्य या समर्थक होने का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति पर अगले पांच वर्षों तक यूएपीए के कड़े प्रविधानों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
जनवरी में कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सचिन दत्ता की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया गया था, ताकि यह आकलन किया जा सके कि प्रतिबंध लगाने के पीछे पर्याप्त कारण थे या नहीं। प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि दोनों संगठन जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में विलय को साकार करने और केंद्र शासित प्रदेश में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए सीमा पार से मदद लेकर घाटी में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
न्यायाधिकरण ने केंद्र की इस दलील को भी बरकरार रखा कि ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों की ओर से काम कर रहे थे और घाटी में आतंकवादी अभियानों को अंजाम देने के लिए लगातार जमीनी समर्थन दे रहे थे। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अधिवक्ता रजत नायर ने न्यायाधिकरण के समक्ष सरकार का प्रतिनिधित्व किया। केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को सरकार ने 27 दिसंबर 2023 को यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित घोषित किया था।
दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा स्थापित तहरीक-ए-हुर्रियत (टीईएच) को 31 दिसंबर 2023 को पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। संगठन पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत विरोधी दुष्प्रचार करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि तहरीक-ए-हिन्द के नेता और सदस्य पाकिस्तान और उसके छद्म संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों से धन जुटाने में संलिप्त रहे हैं, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और सुरक्षा बलों पर लगातार पथराव करने सहित गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देना है।