सैनिकों के लिए खास वर्दी जो एक मिनट में रोकेगी खून बहना, हो रही तैयार

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  • आईआईटी दिल्‍ली की हेल्थकेयर में हो रहे कई नवाचार, इनमें लैब में ऑर्गन निर्माण जैसे शोध शामिल

बिलासपुर। आईआईटी दिल्ली की टीम ने आयुर्वेदिक और हर्बल तकनीक से मानवीय स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत की है। टीम देश केसैनिकों के लिए ऐसी विशेष ड्रेसिंग तैयार कर रही है, जो सर्जरी और गोली लगने की स्थिति में एक मिनट में खून बहना रोक देती है। टीम हेल्थकेयर में ऐसे नवाचार कर रही है, जिससे मरीजों को न केबल बेहतर इलाज मिलेगा, बल्कि सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं भी मिलेंगी।

आईआईटी दिल्‍ली के प्रोफेसर भुवनेश गुप्ता ने बताया कि उनकी टीम अब आयुर्वेदिक और हर्बल बायो इंजीनियरिंग पर भी काम कर रही है। विशेष रूप से सेना के जवानों के लिए ऐसी ड्रेसिंग तैयार की जा रहीं है, जो सर्जरी के दौरान या गोली लगने की स्थिति में एक मिनट में खून बहना रोक देती है। इस तकनीक से सैनिकों की जान बचाईं जा सकती है, जो घायल होने के बाद एयरलिफ्ट के दौरान या अन्य परिस्थितियों में मौत का शिकार हो जाते थे। टीम ने एक ऐसी तकनीक भी विकसित की है, जिससे अब ट्रांसप्लांट के लिए ऑर्गन लैब में तैयार किए जा सकते हैं।

इसमें मरीज के अपने सेल और ऊतक का इस्तेमाल करके नया ऑर्गन तैयार किया जाता है, जिससे ट्रांसप्लांटेशन में कोई समस्या नहीं आती। इसमें डोनर के इंतजार को भी जरूरत नहीं होती हैं। मरीज का ही शरीर अपना डोनर बन जाता है। अब तक ब्लड वैसेश, यूरेनरी ब्लैडर और स्किन जैसी चीजों का लैब में निर्माण हो चुका है, जो खासकर झुलसे मरीजों के लिए राहत की बात है। प्रोफेसर गुप्ता बिलासपुर कॉलेज में चल रही अंतरराष्ट्रीय विज्ञान शिविर की संगोष्ठी में भाग लेने पहुंचे हैं।

नेनो तकनीक से हेल्‍थकेयर में क्रांति
प्रोफेसर गुप्ता ने बताया कि अब नैनो तकनीक से मानवीय स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में क्रांति आई है। इस तकनीक से स्वास्थ्य सेवाएं अधिक सुलभ और सस्ती बन सकती हैं। हर्बल उपचार के साथ तकनीकी नवाचार भी किए जा रहे हैं, ताकि मरीजों को लाभ हो सके। यह तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन के तहत विकसित का जा रहा है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को आम आदमी तक पहुंचाना है।

झुलसे मरीजों के लिए प्राकृतिक स्किन तकनीक
प्रोफेसर गुप्ता ने बताया कि झुलसे मरीजों के लिए लैब में प्राकृतिक स्किन तैयार हो रही है। इस स्किन का निर्माण मरीज के अपने शैल से किया जाता है, जिससे स्किन ग्राफ्ट की जरूरत समाप्त हो जाती है। यह स्किन प्राकृतिक होती है। इसका सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है। टीम में एक नई ड्रेसिंग विकसित को है, जो घावों में इन्फेक्शन की संभावना को कम करती है और घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। इससे अंगों को काटने की आवश्यकता भी कम हो सकती है।

 

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