RBI की रिपोर्ट: एक दशक में दुनियाभर की तुलना में हमारे बैंकों का प्रदर्शन बेहतर

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  • भारतीय बैंकों का एनपीए प्रमुख देशों में सबसे कम, छठे वर्ष भी बढ़ेगा मुनाफा

भारतीय बैंकों ने पिछले एक दशक में दुनियाभर के बैंकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसका असर यह हुआ कि 20 प्रमुख देशों में शुद्ध रूप से बुरे फंसे कर्जों यानी शुद्ध एनपीए के मामले में हमारे बैंक सबसे आगे हैं। सितंबर तिमाही में इनका शुद्ध एनपीए घटकर 0.57% रह,गया है। जबकि सकल एनपीए 13 साल के निचले स्तर 2.5% पर आ गया है।

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एनपीए को कम करने में सबसे बेहतर प्रयास ग्रीस का रहा है। 2015 में इसका एनप्रीए 35.71 फीसदी था जो अब 6.65 फीसदी पर आ गया है। हालांकि, प्रमुख 20 देशों में यह अभी भी सबसे ज्यादा है। ग्रीस ने अपने ऐतिहासिक रूप से उच्च एनपीए अनुपात को कम करने में 2018 से उल्लेखनीय प्रगति की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एडवांस देशों में 2015 से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक एनपीए, स्थिर रहा है, ऑस्ट्रेलिया का शुद्ध,एनपीए 2015 में 0.89 फीसदी था, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 0.05 प्रतिशत रहा है। कनाडा का 0.02 फीसदी से 0.48 फीसदी, डेनमार्क का 0.38 फीसद से 0.93 फीसदी, यूके का 1.01 फीसदी से 0.99 फीसदी व अमेरिका का एनपीए 1.47 से 0.90 फीसदी पर आ गया है।

बैंकों की स्थिति मजबूत

कर्ज और जमा में लगातार विस्तार से भारतीय बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी हुई है। शुद्ध एनपीए कम होकर सितंबर अंत तक 0.57 फीसदी रह या है। मार्च में यह 0.62 फीसदी रहा था। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी ) के भी बुरे फंसे कर्ज, में सुधार आया है। इनका खाता बही 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है।

जोखिम प्रबंधन और आईटी को सुधारने की जरुरत

वित्त वर्ष 2023-24 में लगातार छठे वर्ष लाभप्रदता में सुधार हुआ। केंद्रीय बैंक ने कहा, बैंकों को जोखिम प्रबंधन व आईटी मानको को मजबूत करने की जरूरत है। संदिग्ध व असामान्य लेनदेन सहित बेईमान की जांच पर ध्यान देना होगा। एनबीएफसी को ग्राहक शिकायत प्रथाओं को मजबूत करने अत्यधिक ब्याज दरों से बचने की जरूरत है।

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