शारदीय नवरात्र 2024: पालकी पर सवार होकर आ रहीं हैं मां दुर्गा, जानें इसका असर
- आस्था: नवरात्र में मां दुर्गा भवानी का प्राकट्य, तीन गुना समृद्धि का बन रहा योग…
इस बार नवारात्र में मां दुर्गा भवानी का प्राकट्य दुर्लभ शुभ संयोग में होने से धर्म ध्वज की तीन गुना समृद्धि का योग बन रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र, ऐंद्र योग, और जयद योग बना रहेगा। इस दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि इस योग में पूजा करने से व्रती को सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार नवरात्र की शुरुआत गुरुवार से होने पर मां दुर्गा डोली या पालकी पर सवार होकर आती हैं। जब नवरात्र की शुरुआत गुरुवार को होती है तो इसे शुभ नहीं माना जाता है।
इससे देश-दुनिया को आंशिक महामारी या फिर प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता हैं। वहीं माता रानी का चरणायुध (मुर्गे) प्रस्थान करने से जीवन में दुख और अशांति बढ़ सकती है।
ऐसे में इस साल मां दुर्गा भवानी पालकी पर सवार होकर आएंगी और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होंगी। वहीं देवी पुराण के मुताबिक, पालकी पर सवार होकर आना शुभ माना जाता है। शारदीय नवतात्र के दौरान मां दुर्गा भवानी की पूजा-उपासना करने से जीवन में खुशियां आती हैं और दुख-संताप दूर होते हैं।
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विशेष योग:
नवरात्र के दौरान पांच अक्तूबर को सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग बना रहेगा। इसके बाद 11 और 12 अक्टूबर को भी ये दोनों योग जन रहे हैं। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ योगों में पूजा-अर्चना और खरीदारी कश्ना फलदायी होता है। शारदीय नवरात्र का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के बाद ही शुरू होता है। सर्व पितृ अमावस्या ग्रानी अश्विन अमावस्या के खत्म होने के अगले दिन से शारदीय नवरात्र कलश स्थापना के साथ प्रारंभ होते हैं। नवरात्र में नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाई जातो है। आश्विन शुक्ल प्रतिषदा तिथि को शारदीय नवरात्र का पहला दिन होता है। उस दिन सुबह में स्वान आदि से निवत् होने के बाद कलश स्थापना की जाती है। मां दुर्गा का आह्वान होता है। फिर व्रत और पूजन आदि करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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इस बार क्या है खास?
ज्योतिष के जानकार पं. सुनील शर्मा का कहना है कि विभिन्न पंचांग के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि को वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय होने पर भी पूरा पक्ष 15 दिनों का होगा और नवरात्र नौ दिन के होंगे। भक्तजन नौ दिन पाठ करेंगे। परंतु 10 अक्टूबर को सप्तमी और अष्टमी की पूजा एक साथ होगी। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी का मेल महाअष्टमी के व्रत को निषेध मानता है। श्रद्धालु इस दिन महागौरी को पूजा करेंगे। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 06:24 से 07:24 कन्या लग्न और दोपहर 11:55 से 12:41 के बीच रहेगा।
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कब कौन से दिन, माता के किस रूप की पूजा : और उस दिन की विशेषता
पहला दिन (03 अक्टूबर ): मां शैलपुत्री
: मां शैलपुत्री पूजा – यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
दिन का रंग: प्रतिपदा- पीला रंग
दूसरा दिन (04 अक्टूबर ): मां ब्रह्मचारिणी
: मां ब्रह्मचारिणी पूजा – ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: द्वितीया- हरा रंग
तीसरा दिन (05 अक्टूबर ): मां चंद्रघंटा
: मां चंद्रघंटा पूजा – देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: तृतीया- भूरा रंग
चौथा दिन (06-07 अक्टूबर ): मां कृष्पांडा
: मां कूष्मांडा पूजा – मां कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
दिन का रंग: चतुर्थी- नारंगी रंग
पांचवां दिन (08 अक्टूबर): मां स्कंदमाता
: मां स्कंदमाता पूजा – देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: पंचमी- सफेद रंग
छठा दिन (09 अक्टूबर ): मां कात्यायनी
: मां कात्यायनी पूजा – देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: षष्टी- लाल रंग
सातवां दिन (10 अक्टूबर ): मां कालरात्रि
: मां कालरात्रि पूजा – देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: सप्तमी- नीला रंग
आठवां दिन (11 अक्टूबर): मां महागौरी
: मां महागौरी पूजा – देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: अष्टमी- गुलाबी रंग
नौवां दिन (11 अक्टूबर ): मां सिद्धिदात्री
: मां सिद्धिदात्री पूजा – देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: नवमी- बैंगनी रंग
नोट : नवमी का हवन और विजयादशमी 12 अक्टूबर को होगी। जबकि अष्टमी और नवमी की पूजा 11 अक्टूबर को होगी।