जल्द ही आ सकते हैं लोगों की संपत्ति लेकर बांटने व भर्ती के दौरान नियम बदलने को लेकर बड़े फैसले
Supreme Court: सरकार लोगों की संपत्ति लेकर क्या उसे अन्य लोगों में बांट सकती है? भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद क्या नियमों में बदलाव किया जा सकता है? ऐसे ही कुछ ज्वलंत मुद्दों पर अगले कुछ दिनों में देश का सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है।
दरअसल, देश के 50वें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आगामी 10 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। आठ नवंबर को उनका अंतिम कार्यदिवस है। करीब दो साल से देश की न्यायपालिका के मुखिया सीजेआइ चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान बेंच ने ऐसे ही कुछ मामलों में सुनवाई पूरी कर फैसले सुरक्षित रखे हुए हैं।
दीपावली एवं अन्य अवकाशों के चलते सुप्रीम कोर्ट में सीजेआइ के रिटायर होने तक केवल 15 कार्यदिवस शेष हैं, ऐसे में इन दिनों में ये फैसले सुनाए जाने हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें से कुछ मामलो में संविधान बेंच करीब आठ-नौ माह पूर्व सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख चुकी है।
ये फैसले लंबित-
क्या केंद्र के पास धन को पुन: बांटने का अधिकार है?
सीजेआइ की अगुवाई वाली नौ जजों की संविधान बेंच फैसला करेगी कि क्या सरकार को निजी संपत्ति अधिग्रहित कर इसे लोगों में पुन: बांटने (री-डिस्ट्रीब्यूट) करने का अधिकार है? क्या निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत समाज का संसाधन माना जाए? संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के तहत अनुच्छेद 39(बी) कहता है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह से वितरित किया जाए कि यह आम लोगों के हित में हों।
क्या प्रक्रिया शुरू होने के बाद भर्ती नियमों में संशोधन वैध?
यह मामला राजस्थान से निकला है लेकिन इसका प्रभाव क्षेत्र देशव्यापी है। पांच जजों की संविधान बेंच तय करेगी कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं? राजस्थान में 2013 में अनुवादकों पदों पर भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था। जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें बताया गया कि केवल वे उम्मीदवार ही नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, जिन्होंने न्यूनतम अर्हता परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों। यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच तक पहुंचा है। इस मामले में जुलाई 2023 में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा गया था।
एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान बेंच ने फरवरी में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट यह तय करने के लिए अपना आदेश सुनाएगा कि एएमयू को भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है या नहीं? संविधान के अनुच्छेद 30 में प्रावधान है कि सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म या भाषा के आधार पर हों, अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार होगा।
क्या असम एनआरसी वैध है?
असम एनआरसी से जुड़े इस मामले में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच फैसला सुनाएगी। धारा 6ए के तहत 1 जनवरी 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले और राज्य में सामान्य रूप से रहने वाले विदेशियों को मतदान के अलावा भारतीय नागरिकों के सभी अधिकार और दायित्व प्राप्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि संसद को नागरिकता कानून बनाने का अधिकार किस सीमा तक है। इस मामले में दिसंबर, 2023 में आदेश सुरक्षित रखा गया था।
औद्योगिक एल्कोहल पर नियंत्रण किसका?
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन और वित्तीय निहितार्थों के संबंध में फैसला सुनाएगी कि राज्यों या केंद्र में से औद्योगिक शराब को रेग्युलेट करने का अधिकार किसका है? इस मामले में अप्रैल 2024 में फैसला सुरक्षित रखा गया था।
बायजू और आरजी कर मामले में भी फैसला
सीजेआइ चंद्रचूड़ के रिटायर होने से पहले बायजू के विदेशी निवेशकाें की याचिका तथा कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर से दरिंदगी के बाद डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित स्वत: प्रसंज्ञान मामले में नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिशों पर सुनवाई कर भी फैसला आ सकता है।