DevBhoomi: पहली बार रानीखेत में दिखी फायर ब्रेस्टेड फ्लावर पैकर

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  • पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अहम यह पक्षी, परागण क्रिया में होता है सहायक

रानीखेत (अल्मोड़ा)। रानीखेत में दुर्लभ एवं आकर्षक पक्षी फायर ब्रेस्टेड फ्लावर पैकर पहली बार दिखा है। आकार में छोटे इस रंग-बिरंगे पक्षी को निकटवर्ती तल्ला बधाण गांव के पक्षी प्रेमी भारत जोशी ने अपने कैमरे में कैद किया है। छाती में ओऔन मैसा स्वरूप और फूरसों से रस लेते कौ प्रकृति ने हो इसे फायर ब्रेस्टेड पलावर पैकर नाम दिया है।

इस पक्षी की लंबाई लगभग सात सेंटीमीटर और वजन सात से 9 ग्राम होता है। यह आमतौर पर 1,000 से 2,500 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ों वन क्षेत्र में रहना पसंद करता है। विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां फल फूल वाले वृक्ष और झाड़ियां बहुतायत में हों। इसका आहार अंजीर, फूलों का रस और नन्हे कीट-पतंगे होते हैं। यह परागण क्रिया में भी सहायक है। इस वजह से इसे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अहम माना जाता है।

भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र में दिखता है ये पक्षी

यह पक्षी मुख्य रूप से उप हिमालयी क्षेत्रों और पहाड़ के जंगलों में पाया जाता है। बगीचों और खेती वाले क्षेत्रों में भी इसे देखा जा सकता है। इसका उत्पत्ति क्षेत्र भारत में मुख्यतः हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य और पश्चिम बंगाल के पहाड़ी इलाके माने जाते हैं। इसे नेपाल, भूटान, म्यानमार, चीन के कुछ भागों थाइलेंड व वियतनाम में भी देखा जा सकता है।

पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार फायर ब्रेस्टेड फ्लावर पैकर पक्षी ऊँचाई और फल-फूल वाले वनों के आसपास पाया जाता है। रानीखेत में इसकी मौजूदगी खास होने के साथ ही सुखद भी है। यह इतना सुंदर होता है कि पक्षी प्रेमियों के साथ ही अन्य लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।

विशिष्ट पहचान
: नर पक्षी की छाती पर चमकीली लाल-नारंगी पट्टी होती है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाती है।
: वहीं मादा पक्षी का रंग हल्का होता है। यह उपर की ओर जैतूनी हरा और नीचे की ओर फीका होता है।

प्रजनन व घोंसला
: इनका प्रजनन काल जून से जुलाई के मध्य होता है।
: मादा 2-3 अंडे देती है, जिन्हें 12-14 दिनों तक सेती है।
: बच्चे करीब 2 सप्ताह में उड़ने लायक हो जाते हैं।
: यह घोंसला पत्तियों और कोमल तनों से बनाता है, जो झाड़ियों या छोटे पौधों पर टंगा होता है।

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