LCH प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी डिजाइन और डेवलप कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में कारगर

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नई दिल्‍ली, बता दें कि LCH प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी डिजाइन और डेवलप कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है, जो 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर ऑपरेट कर सकता है। यह सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में कारगर है।

सेना को 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर सौंपने की तैयारी तेज, डील में अब प्राइवेट कंपनियां भी शामिल
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रविवार को 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) सौदे को लेकर रविवार को बड़ा ऐलान किया। इसके मुताबिक, इस डील में अब निजी क्षेत्र की कंपनियों को 25,000 करोड़ रुपये का कार्य हिस्सा मिलेगा। सौदे की कुल कीमत 62,500 करोड़ रुपये है, जो भारत सरकार के सबसे बड़े रक्षा समझौतों में से एक है। रक्षा मंत्रालय और एचएएल के बीच हाल ही में करार हुआ था, जिसे कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने मंजूरी दे दी है। इस डील के तहत भारतीय सेना को 90 और वायुसेना को 66 प्रचंड हेलीकॉप्टर सौंपे जाएंगे।

HAL इस प्रोजेक्ट में निजी क्षेत्र को बड़े पैमाने पर शामिल करने के लिए टेंडर जारी करेगा। इस सौदे का लगभग 40% हिस्सा (25 हजार करोड़ रुपये) निजी कंपनियों को दिया जाएगा। इससे पहले HAL ने अपने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) प्रोजेक्ट में भी निजी कंपनियों जैसे लार्सन एंड टुब्रो, वेम टेक्नोलॉजीज को फ्यूजलेज और विंग जैसे हिस्सों के लिए आउटसोर्स किया था। अब इसी मॉडल को LCH प्रोग्राम में अपनाया जा रहा है। इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण HAL की बेंगलुरु और तुमकुर में किया जाएगा। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने वाला है, क्योंकि इसमें 250 से अधिक घरेलू कंपनियां शामिल होंगी। खासकर MSME (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) की हिस्सेदारी होगी।

LCH प्रचंड सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख में कारगर
बता दें कि LCH प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी डिजाइन और डेवलप कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है, जो 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर ऑपरेट कर सकता है। यह सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में कारगर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते दिनों LCA Mk1A के लिए पहला रियर फ्यूजलेज सौंपे जाने के मौके पर निजी उद्योग की क्षमताओं पर भरोसा जताया था। HAL का मौजूदा ऑर्डर बुक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है, जिसमें 83 LCA जेट और 12 Su-30 विमानों के ऑर्डर शामिल हैं। इस सौदे से न सिर्फ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार सृजन और एयरोस्पेस इकोसिस्टम के विस्तार में भी मदद मिलेगा।

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