क्या ऐसे बनेगा देहरादून स्मार्ट सिटी? कहीं मकान के सामने फुटपाथ की जमीन को हथियाने का प्लान तो नहीं है ये!
देहरादून एक ऐसा शहर है जो कई मायनों में बेहद खास है। लेकिन सरकारों व निगम की अनदेखी के चलते ऐसा लगता है कि धीरे धीरे इस शहर में कुछ लोग नए तरीकों को अपनाते हुए सड़क पर भी कब्जा कर रहे हैं। मामला नेहरू कॉलोनी के आई ब्लाक का है। वहीं देहरादून जैसे शहर में इस ओर निगम व प्रशासन की अनदेखी किसी दूसरी ही तरफ इशारा करती दिख रही है।
ज्ञात हो एक ओर जहां पीएम मोदी का देश में कई जगह स्मार्ट सिटी बनाने का सपना है, वहीं राज्य सरकारों व विभागों की गलती उनके इस स्वप्न पर पलीता लगाती दिख रही है। कारण ये है कि क्या देहादून या ऐसे कुछ शहर फुटपाथों पर कब्जे के आधार पर स्मार्ट सिटी के निर्माण का ख्वाब देख रहे हैं।
ऐसे समझें मामला
दरअसल देहरादून की नेहरु कॉलोनी के आर्ठ ब्लॉक में जहां एक मकान के सामने सड़क की जगह को कुछ इस तरह से खास तौर पर खुद के लिए आरामदायक बनाकर लोगों के लिए दिक्कतें पैदा की जा रही हैं। जिसके संबंध में देश के कई क्षेत्रों में देखा गया है, कि इसी विधि से लोग धीरे धीरे सड़क की जमीन भी दबा लेते हैं।
दरअसल इस बात से तो हर कोई वाकिफ है कि सड़क के किनारे पर फुटपाथ की जगह होती है। लेकिन यहां मकान के आगे कुछ जगह पर सीमेंट करवाने के बाद उसके आगे एक छोटी दीवार सी बना दी गई है। ऐसे में जहां यहां मकान वालों को गाड़ी खड़ी करने की सुविधा तो मिलती दिख रही है, लेकिन लोगों का यहां से आना जाना मुश्किल बना हुआ है। और जो वाहन सड़क के किनारे पर खड़े होने चाहिए थे वे इस छोटी सी दीवार के कारण कोने में न आ सकने के कारण सड़कों पर ही खड़े रहते हैं। वहीं जानकारों का ये भी मानना है कि यदि ये हरकत विभाग द्वारा की गई है तो ये और भी ज्यादा शर्मनाक है, कारण ऐसा करने के पीछे कहीं न कहीं लाभ की सुविधा भी मददगार होती है।
सामान्यत: इन जगहों की निगरानी सदैव नगर निगम के हाथ में होनी चाहिए, लेकिन कुंभकर्णीय नींद में सो रहा प्रशासन व शासन को इन बातों की ओर ध्यान देता ही नहीं दिख रहा यहां तक की लोगों को ये भी मानना है कि इस संबंध में शासन प्रशासन को या तो कोई जानकारी ही नहीं है, या इस मकान वाले कुछ ज्यादा ही उंची पहुंच के हैं, जो शासन प्रशासन सहित किसी को भी अपने से कमजोर ही मानते हैं।
इस पूरे मामले की स्थिति को इस वीडियो से समझें…
कुछ सवाल तो पैदा होते ही हैं। पहला चूंकी ये एक कॉलोनी की सड़क है अत: इस पर पहला अधिकार जनता का है। लेकिन इसकी देखरेख का जिम्मा निगम का है। ऐसे में यहां फुटपाथ का निर्माण करने की जिम्मेदारी भी उनकी ही है। साथ ही ये भी याद रहे कि सड़क भी इन्हीं की है न किसी किसी एक व्यक्ति की, लेकिन यदि कोई अपनी तरफ से मदद के तहत फुटपाथ का निर्माण करता है तो ऐसी स्थिति में तो कोइ बात नहीं है, लेकिन यदि केवल अपनी सुविधा के लिए जनता की परेशानी को बढ़ाता है तो यह ठीक नहीं है। कारण फुटपाथ का निर्माण ठीक है लेकिन उसके आगे एक दीवार का निर्माण समझ के परे है।
वहीं इस मकान के आसपास भी कई जगह उंची बनी हैं, लेकिन वह कमशियल एरिया है। ऐसे में उनके सामने बना फुटपाथ ठीक है जो अन्य शहरों में भी देखने को मिलता है।
दूसरा यदि ये केवल फुटपाथ के ही निर्माण का मामला होता तो आगे छोटी सी दीवार और उठा देना कहा कि समझदारी है, ऐसी स्थिति सवाल इसलिए पैदा करती है क्योंकि देश के कुछ अन्य शहरों में भी पूर्व में ऐसे मामले सामने आ चुके है जहां इस तरह से करके धीरे—धीरे फुटपाथ हो ही लोगों ने अपने मकान के प्लाट में मिलाकर इस पर कब्जा कर लिया।
सुझाव : जानकारों का मानना है कि ऐसे में अच्छा होगा कि या तो सरकार ऐसे मकानों को चिह्नित कर उन पर एक्शन ले या जो विभाग सड़क को संभालता है वह इस मामले में हस्तक्षेप कर स्थिति को ठीक करें।