Uttarakhand: पंत विवि के वैज्ञानिकों ने ईजाद की तकनीक, पेटेंट भी लिया

0
  • नई तकनीक: बेकार कोकून से भी सुधरेगी आर्थिकी, रेशों से बनी रेशम की डोर, कोकून से बन रहे थ्री डी उत्पाद

  • क्षेत्र की महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण, बनेंगी आत्मनिर्भर

देवभूमि उत्तराखंड के पंतनगर में​ स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि (G. B. Pant University of Agriculture and Technology) के वैज्ञानिकों मे बेकार कोकून से भी रेशम की डोर और थ्री डी संरचना वाले उत्पाद बनाने की तकनीक ईजाद की है। इसका पेटेंट भी हासिल कर लिया गया है।

वैज्ञानिक आईसीएआर परियोजना के तहत मिली वित्तीय मदद से बाजपुर, काशीपुर, सितारगंज, खटीमा गदरपुर की रेशम कीटपालक महिलाओं को कम गुणवत्ता वाले कोकून से विविध हस्तशिल्प उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं।

सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की डीन डॉ. अलका गोयल के निर्देशन में डॉ. दिव्या सिंह और डॉ. शेफालो मैसी ने रेशम के खराब कोकून का उपयोग कर विभिन्‍न प्रकार के हस्तशिल्प उत्पाद इनाए हैं। तकनीक में ऐसे क्षतिग्रस्त, छेद वाले और दागदार कोकूनों का प्रयोग किया गया, जो ऊंची कीमतों पर नहीं बिक सकते थे।

ऐसे तैयार हुए उत्पाद

सबसे पहले बेकार कोकून से रेशे निकालकर धाना तैयार किया गया। कोकून को प्रोटीन रंगाई के लिए उपयुक्त एसिड डाई में विभिन्‍न रंगों में रंग गया और छायादार स्थान में सुखाया गया। सूखने के बाद कोकून को कलात्मक अवतल और उत्तल आकृतियो में काटा गया। इन कटी हुई आकृतियों को पहले से तैयार रूपरेखा डिजाइन पर चिपकाया गया। इस पेटेंट डिजाइन की विशेषता यह थी कि यह तीनों दिशाओं से एक समान थ्री-डी संरचना प्रस्तुत करता है। यह उत्पाद बेहद टिकाऊ हैं।

महिलाओं को मिल रहे ऑर्डर

जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्याषिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि प्रशिक्षित महिला किसानों ने हस्तशिल्प क्षेत्र में अपने कौशल को उंचे मुकाम तक पहुंचाया है। इन उत्पादों के नियमित रूप से ऑर्डर मिल रहे हैं। इससे महिलाओं को अतिरिक्त आय का स्रोत मिला है। यह परियोजना रेशम कीट पालन से जुड़े अनूसूचित जनजातिय समुदायों की आय बढ़ाने में सफल रही है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *