भगवान शिव और पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र व देव सेनापति भगवान कार्तिकेय की तपस्थली कार्तिक स्वामी मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। पीएमओ के दो सदस्यीय दल ने जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ कार्तिक स्वामी मंदिर का निरीक्षण किया है। अधिकारियों ने पैदल मार्ग से लेकर मंदिर तक सुविधाओं की संभावनाओं को भी तलाशा।
रुद्रप्रयाग-चोपता-पोखरी मोटर मार्ग पर जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर देश-विदेश के पर्यटकों और यात्रियों की पहली पसंद बन रहा है। यहां प्रतिवर्ष यात्रियों और पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
मूलभूत सुविधाएं देखीं
कनकचौंरी से मंदिर क्षेत्र साढ़े चार किमी सघन वन क्षेत्र से जुड़ा है। इन दिनों पूरा वन क्षेत्र बुरांश की लालिमा से सजा हुआ है। बीते दो वर्ष से यहां मई-जून माह में उत्तराखंड सरकार के सहयोग से दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं द्वारा भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की पूजा-अर्चना की जा रही है। यही नहीं, यात्राकाल में दक्षिण भारत से यहां आने वाले यात्रियों के लिए विशेष रेल सेवा भी संचालित होती है।इधर, कार्तिक स्वामी मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर तीर्थाटन का केंद्र बनाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं।
बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली से दो सदस्यीय दल ने रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डा. सौरभ गहरवार, उप जिलाधिकारी आशीष चंद्र घिल्डियाल व अन्य के साथ कार्तिक स्वामी मंदिर पहुंचकर वहां का जायजा लिया। अधिकारियों ने यहां अराध्य के दर्शन कर पूजा-अर्चना की और स्थानीय स्तर पर मूलभूत सुविधाओं का जायजा लिया। इस दौरान बताया गया कि कार्तिक स्वामी मंदिर को वायरलेस सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिससे विषम परिस्थितियों में भी यहां संपर्क होता रहेगा। यह पहला मौका है, जब पीएमओ से अधिकारियों का दल यहां पहुंचा है।
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