International Yoga Day : उत्तराखंड से मिली योग को प्रसिद्धि…पर बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला
उत्तराखंड से योग को देश-दुनिया में इतनी प्रसिद्धि मिली पर राज्य के योग प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला। राज्य में 65 हजार योग प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। इन बेरोजगारों का कहना है, योग को बढ़ावा देने के नाम पर कई बड़े दावे किए जाते हैं। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार हो या फिर वर्तमान की भाजपा सरकार।
दरअसल राज्य के योग प्रशिक्षित बेरोजगारों की ओर से इस मसले को उठाने के बाद 30 अक्तूबर 2023 की कैबिनेट बैठक में फिर से यह प्रस्ताव आया। प्रस्ताव के बाद शासनादेश जारी हुआ, लेकिन बेरोजगारों को अब तक नियुक्ति नहीं मिली।
पूर्व में दोनों सरकारों में उनके लिए नौकरी की घोषणा हुई, लेकिन नौकरी नहीं मिली। उनके लिए पूर्व में कैबिनेट में आए प्रस्ताव भी लटके हैं। उत्तराखंड योग प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित नेगी के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में 31 दिसंबर 2021 को प्रदेश के 119 राजकीय महाविद्यालयों एवं हर जिले के एक-एक इंटर कालेज में योग प्रशिक्षितों की नियुक्ति का निर्णय लिया गया था। लेकिन, वित्त विभाग की मंजूरी के बिना कैबिनेट में आया यह प्रस्ताव आपत्ति के चलते आगे नहीं बढ़ पाया।
राज्य के योग प्रशिक्षित बेरोजगारों की ओर से इस मसले को उठाने के बाद 30 अक्तूबर 2023 की कैबिनेट बैठक में फिर से यह प्रस्ताव आया। इस बार निर्णय लिया गया कि 117 राजकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छह परिसरों में योग प्रशिक्षकों को 18,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय पर रखा जाएगा।
इस प्रस्ताव के बाद शासनादेश जारी हुआ, लेकिन बेरोजगारों को अब तक नियुक्ति नहीं मिली। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक, प्रदेश के योग प्रशिक्षित बेरोजगार पिछले 17-18 वर्षों से नियुक्ति की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। नौकरी नहीं मिलने से बड़ी संख्या में योग प्रशिक्षितों की नौकरी की अधिकतम आयु सीमा भी पार हो चुकी है।
घोषणा हुई, पर रोजगार नहीं मिला
योग प्रशिक्षित बेरोजगारों का कहना है कि नौकरी के नाम पर उनके साथ मजाक हो रहा है। वर्ष 2010, 2014 और 2016 में योग प्रशिक्षितों को नियुक्ति का प्रस्ताव कैबिनेट में आया, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। इसके अलावा एक मार्च 2014 को टिहरी में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जूनियर हाईस्कूलों एवं इससे उच्च स्तर की कक्षाओं में योग शिक्षा को शामिल करने एवं योगाचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की थी, लेकिन घोषणा के बाद उनकी नियुक्ति के मसले पर कुछ नहीं हुआ।
इस बारे में योग प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित नेगी के अनुसार शहरी क्षेत्रों में कुछ योग प्रशिक्षित घर-घर जाकर लोगों को योगाभ्यास करा रहे हैं। उन्हें इससे जो मिलता है, उससे किसी तरह अपने परिवार का खर्चा चला रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के पूरी तरह से हाथ खाली हैं।
इस संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि सरकार ने हर सरकारी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय परिसर में एक-एक योग प्रशिक्षित बेरोजगार की नियुक्ति का निर्णय लिया है। जल्द ही बेरोजगारों को नियुक्ति दी जाएगी। वहीं, 1800 हेल्थ और वेलनेस सेंटरों में 500 रुपये प्रति पीरियड के हिसाब से उन्हें रखा जाएगा।