देवभूमि उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थल और जानें इनकी विशेषताएं
UK Reporter August 3, 2024 0- इनके कारण न केवल यह भूमि देवभूमि कहलाती है, बल्कि ये हमें अपनी जड़ों से जोड़ने के साथ ही हमें अपनी प्राचीनता से जोड़ते हुए खुद पर गर्व भी महसूस करते हैं।
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां के मंदिर और तीर्थ स्थल पूरे देश से श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। हिमालय की पहाड़ियों और गंगा नदी के किनारे बसे इन तीर्थ स्थलों की यात्रा करना एक अद्वितीय अनुभव है। केदारनाथ का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है। यहां की यात्रा करना एक चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन श्रद्धालु पूरे साल यहां आते हैं।
केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और यह कहा जाता है कि का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था।
बद्रीनाथ का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो आलकापुरी में स्थित है। बद्रीनाथ को ही आंठवा बैकुंठ भी माना जाता है।
यहां की यात्रा करने के लिए श्रद्धालु पूरे साल इंतजार करते हैं। बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था और यह भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशों में से एक है।
हरिद्वार, जो गंगा नदी के किनारे बसा है, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां कुंभ मेला आयोजित किया जाता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक सम्मेलन है। हरिद्वार में गंगा नदी में स्नान करना एक पवित्र अनुभव है।
ऋषिकेश, जो गंगा नदी के किनारे बसा है, योग और ध्यान का केंद्र है। यहां के आश्रम और मंदिर श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। ऋषिकेश में योग और ध्यान की शिक्षा देने वाले कई आश्रम हैं।
यमुनोत्री और गंगोत्री, जो हिमालय की पहाड़ियों में स्थित हैं, भगवान यमुना और गंगा को समर्पित हैं। यहां की यात्रा करना एक अद्वितीय अनुभव है। यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिरों का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था। हेमकुंड साहिब, जो सिख धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है। यहां की यात्रा करना एक चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन श्रद्धालु पूरे साल यहां आते हैं। हेमकुंड साहिब मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था।
इन तीर्थ स्थलों के अलावा, उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। हिमालय की पहाड़ियों और गंगा नदी के किनारे बसे इन तीर्थ स्थलों की यात्रा करना एक अद्वितीय अनुभव है। उत्तराखंड की यात्रा करने के लिए पूरे साल श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
इनके अलावा पंच केदार पांच मंदिरों का समूह है, जो भगवान शिव को समर्पित हैं और हिमालय की पहाड़ियों में स्थित हैं। जबकि पंच बद्री भी पांच मंदिरों का समूह है, जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं और हिमालय की पहाड़ियों में स्थित हैं।
उत्तराखंड के अन्य कुछ खास मंदिर : —
जागेश्वरधाम
जागेश्वरधाम एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है।
जागेश्वरधाम की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: जागेश्वरधाम का मंदिर बहुत प्राचीन है और इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था।
2. शिवलिंग: मंदिर में भगवान शिव का एक प्रसिद्ध शिवलिंग है जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है और इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय है।
4. पौराणिक कथाएं: जागेश्वरधाम के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: जागेश्वरधाम श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है और यहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
जागेश्वरधाम की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। यहां के लिए हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
हाटकालिका मंदिर, गंगोलीहाट ( पिथौरागढ़ )
उत्तराखंड में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव की पत्नी माता काली को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
हाटकालिका मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता काली की मूर्ति: मंदिर में माता काली की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर गंगोलिहाट की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: हाटकालिका मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
हाटकालिका मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– पातालभूवनेश्वर
पातालभूवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
पातालभूवनेश्वर मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. भगवान शिव की मूर्ति: मंदिर में भगवान शिव की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर पिथौरागढ़ की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: पातालभूवनेश्वर मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
पातालभूवनेश्वर मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– पूर्णागिरी माता मंदिर
पूर्णागिरी माता मंदिर उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता पूर्णागिरी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
पूर्णागिरी माता मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता पूर्णागिरी की मूर्ति: मंदिर में माता पूर्णागिरी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर चंपावत की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: पूर्णागिरी माता मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
पूर्णागिरी माता मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– धारी देवी
धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता धारी देवी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
धारी देवी मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता धारी देवी की मूर्ति: मंदिर में माता धारी देवी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर श्रीनगर गढ़वाल की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: धारी देवी मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
धारी देवी मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– नंदा देवी, अल्मोड़ा
नंदा देवी मंदिर अल्मोड़ा, उत्तराखंड में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता नंदा देवी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। नंदा देवी को माता पार्वती की बहन माना जाता है।
नंदा देवी मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता नंदा देवी की मूर्ति: मंदिर में माता नंदा देवी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: नंदा देवी मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
नंदा देवी मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– कसार देवी
कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता कसार देवी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
कसार देवी मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 2वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता कसार देवी की मूर्ति: मंदिर में माता कसार देवी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: कसार देवी मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
कसार देवी मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– बानड़देवी, अल्मोड़ा
बानड़देवी मंदिर अल्मोड़ा, उत्तराखंड में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता बानड़देवी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
बानड़देवी मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 10वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता बानड़देवी की मूर्ति: मंदिर में माता बानड़देवी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: बानड़देवी मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
बानड़देवी मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
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– जाखनदेवी मंदिर
जाखनदेवी मंदिर उत्तराखंड के रानीखेत में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता जाखनदेवी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
जाखनदेवी मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता जाखनदेवी की मूर्ति: मंदिर में माता जाखनदेवी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर रानीखेत की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: जाखनदेवी मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
जाखनदेवी मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– गर्जिया देवी
गर्जिया देवी मंदिर उत्तराखंड के रामनगर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माता गर्जिया देवी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
गर्जिया देवी मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 10वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. माता गर्जिया देवी की मूर्ति: मंदिर में माता गर्जिया देवी की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर रामनगर की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: गर्जिया देवी मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
गर्जिया देवी मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
– त्रियुगीनारायण मंदिर
त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है।
प्राचीन मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
दिव्य विवाह: इस मंदिर को भगवान विष्णु द्वारा देवी पार्वती के शिव से विवाह के स्थल के रूप में जाना जाता है।
प्राचीन मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
दिव्य विवाह: इस मंदिर को भगवान विष्णु द्वारा देवी पार्वती के शिव से विवाह के स्थल के रूप में जाना जाता है।
अखंड ज्योति: मंदिर की एक विशेष विशेषता एक अखंड ज्योति है, जो मंदिर के सामने जलती है।
पुजारी: त्रियुगीनारायण मंदिर के पुजारी रविग्राम नामक गांव के जमलोकीब्राह्मण हैं।
विशेषता: यह मंदिर भगवान विष्णु के पांचवेंं अवतार भगवान वामनअवतार को समर्पित है।
पुजारी: त्रियुगीनारायण मंदिर के पुजारी रविग्राम नामक गांव के जमलोकीब्राह्मण हैं।
विशेषता: यह मंदिर भगवान विष्णु के पांचवेंं अवतार भगवान वामनअवतार को समर्पित है।
– कटारमल मंदिर
कटारमल मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
कटारमल मंदिर की विशेषताएं:
1. प्राचीन मंदिर: यह मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है।
2. भगवान सूर्य की मूर्ति: मंदिर में भगवान सूर्य की एक प्रसिद्ध मूर्ति है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
4. पौराणिक कथाएं: कटारमल मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं।
5. श्रद्धालुओं का केंद्र: यह मंदिर श्रद्धालुओं का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं।
कटारमल मंदिर की यात्रा करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, जैसे कि हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
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