नैनीताल में शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर उत्तराखंड सरकार को आवंटित
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अब यहां बनेगी पार्किंग
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नैनीताल स्थित शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर को अस्थायी रूप से, आगामी आदेश तक, पार्किंग के रूप में उपयोग के लिए राज्य सरकार को आवंटित कर दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र की ओर से इसकी जानकारी दी है। मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नैनीताल में पार्किंग की गंभीर समस्या को देखते हुए शत्रु संपत्ति – मेट्रोपोल होटल परिसर के खुले स्थान को पार्किंग के लिए अस्थायी रूप से आवंटित करने का अनुरोध किया था।
केंद्र के इस निर्णय के बाद मेट्रोपोल परिसर में सरफेस पार्किंग का रास्ता साफ हो गया है। जिसकी डीपीआर बन चुकी है और सरकार ने इसके लिए उत्तराखंड पेयजल संशाधन विकास निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिला प्रशासन के प्रस्ताव को आधार बनाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर को सरकार को आवंटित करने का अनुरोध किया था।
इस निर्णय से नैनीताल जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल में आने वाले पर्यटकों एवं स्थानीय नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी। पार्किंग की बढ़ती समस्या से निजात मिलने के साथ-साथ यातायात व्यवस्था में भी सुधार होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने इस निर्णय के लिए केंद्रीय गृह मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे नैनीताल में पार्किंग की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।
कभी नैनीताल का प्रसिद्ध होटल रहा है मेट्रोपोल
नैनीताल: शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर करीब नौ एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। 1880 में गौथिक शैली में बना यह होटल अब शत्रु संपत्ति के तौर पर जाना जाता है। मेट्रोपोल में एक दौर में 75 कमरे, 16 काटेज,, 24 सरवेंट क्वाटर तथा पांच टेनिस लॉन थे।
इतिहासकार प्रो. अजय रावत बताते हैं कि 1919 में पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना पत्नी रतीबाई के साथ हनीमून मनाने मेट्रोपोल होटल में आए थे। आजादी के समय में महमूदाबाद रियासत के नवाब के पास मालिकाना हक था, देश विभाजन के बाद नवाब ने भारत छोड़ दिया और पाकिस्तान की नागरिकता ले ली। 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू हुआ तो यह शत्रु संपत्ति घोषित हो गया।
नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना है कि, मेट्रोपोल में सरफेस पार्किंग की अस्थाई अनुमति गृह मंत्रालय से मिली है। शासन की ओर से पार्किंग के लिए उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास निगम को नई कार्यदाई संस्था नामित किया गया है। पार्किंग क्षमता करीब सात सौ वाहन है। कार्यदाई संस्था ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। शासन की हरी झंडी मिलने के बाद पार्किंग निर्माण शुरू हो जाएगा।