उत्तराखंड: IIT रुड़की के सहयोग से बनाया गया App, करेगा भूकंप आने से पहले सतर्क

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  • उत्तराखंड में अलग-अलग जगहों पर 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं

म्यानमार में आए विनाशकारी भूकंप के पूर्व ही आईआईटी रुड़की के सहयोग से आपदा प्रबंधन विभाग ने भूकंप को लेकर सतर्क करने की व्यवस्था को बनाया गया। जिसकी मदद से भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अब भूकंप से पहले चेतावनी देने वाली व्यवस्था के रूप में भूदेव एप (BhuDev) विकसित किया जा चुका है। इसमें भूकंप आने और उसकी प्रारंभिक तरंगों के निकलने (नुकसानदायक सेकेंडरी तरंग आने से पहले) पर वैज्ञानिक विधि से पता कर भूदेव एप और सायरन के माध्यम से लोगों को 15 से 30 सेकेंड पहले सतर्क किया जा सकेगा। जिससे लोगों को सुरक्षित होने का मौका मिल सकेगा। बताया जाता है कि यह एप कुछ समय पूर्व ही पूरी तरह से सक्रिय हुआ है।

ज्ञात हो कि, जनवरी में उत्तरकाशी जिले में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। जिससे लोगों में डर का माहौल बन गया था। इसको देखते हुए उत्तराखंड आपदा विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में भूकंप से बचाव और अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई थी।

यह एप उत्तराखंड में भूकंप से सुरक्षा के लिए एक नई पहल है। जो भूकंप आने से कुछ सेकंड पहले लोगों को अलर्ट करेगा। यूं तो यह फरवरी के अंत तक इसे सक्रिय होने की बात सामने आ गई थी, और इसके बाद अब इस एप को लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्य शुरू किया गया है। ऐसे में उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है।

आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान केंद्र और आपदा जोखिम एवं न्यूनीकरण विभाग के Prof. Kamal कहते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। पर भूकंप से कैसे लोगों को सुरक्षित किया जा सकता है, इसको लेकर वर्ष-2017 में राज्य सरकार ने संस्थान को जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसके तहत काम किया जा रहा था। इसी के तहत भूदेव एप को विकसित किया गया है।

जानकारों के अनुसार भूदेव एप की सफलता इस बात पर निर्भर है कि कितने लोग इसे डाउनलोड और उपयोग करते हैं। इसके चलते इस संबंध में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जा रही है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें और भूकंप के दौरान अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

उनके अनुसार राज्य में अलग-अलग जगहों पर 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं। जब भूकंप आता है तो उसमें दो तरह की प्राइमरी और सेकेंडरी तरंग निकलती है। इसमें सेकेंडरी तरंग घातक होती है। प्राइमरी तरंग तेज होती है और सेकेंडरी तरंग की गति तुलनात्मक तौर पर गति कम होती है।

भूदेव एप: कहां से डाउन लोड कर सकते
जब भूकंप आएगा और प्राइमरी तरंग निकलेगी तो उसका पता राज्य में अलग- अलग जगहों पर लगे सेंसर के माध्यम से लग जाएगा। इसके बाद ऐसी व्यवस्था की गई है, उसे तत्काल इंटरनेट के माध्यम से भूदेव एप और जगह- जगह पर सायरन तक सूचना चली जाए।


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इसके बाद भूदेव एप में चेतावनी देने वाली आवाज आयेगी, इससे करीब 15 से 30 तक सेकेंडरी तरंग आने से पहले सुरक्षित होने का समय मिल सकेगा। पर यह चेतावनी रियेक्टर स्केल पर 5 से अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर मिलेगी। यह भूदेव राज्य के भीतर ही काम करेगा। इस भूदेव एप को प्ले स्टोर व एप स्टोर के माध्यम से डाउन लोड कर सकते हैं।

150 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव

वहीं राज्य में राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत 169 सेंसर लगे हैं, इनकी संख्या बढ़ाकर 500 करने और सायरनाें की संख्या एक हजार तक करने की योजना है। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 150 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव भेजा है।

वहीं जानकारों के अनुसार उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जो भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में आता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड में पिछले कई दशकों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे यहां भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना बनी हुई है। लोगों की जागरुकता के चलते भूकंप को दौरान होने वाले बड़े नुकसान से बचाव में भूदेव एप बड़ा सहायक हो सकता है।

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