Uttarakhand Land Law: उत्तराखंड भू कानून को लेकर धामी सरकार अब तैयारी में जुटी

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  • उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की तैयार

  • CM पुष्कर सिंह धामी ने किए बड़े ऐलान

  • अगले साल के बजट सत्र में भू कानून का प्रस्ताव पेश किया जाएगा

Uttarakhand Land Law: देवभूमि उत्तराखंड में जमीनों की खरीद को लेकर उत्तराखंड राज्य की स्थापना के साथ से ही चर्चायें होती रहीं हैं। ऐसे में इस दिशा में तत्कालीन एनडी तिवारी की सरकार ने पाबंदियों की शुरुआत की थी, जो कि खंडूड़ी सरकार में और बढ़ाई गईं थीं। भले ही औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य की सरकारों ने इस दिशा में अपनी अधिक सख्ती नहीं दिखाई।

ऐसे में अब उत्तराखंड में भूमि खरीद-फरोख्त के मुद्दे को लेकर लगातार हो रही मांगों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की है कि उनकी सरकार अगले बजट सत्र में राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक वृहद भू-कानून लेकर आएगी। यह कदम राज्य में भूमि के दुरुपयोग और बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित जमीन खरीद को रोकने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।

पहले समझते हैं अब तक क्या हुआ-

एनडी तिवारी सरकार ने पहली बार लगाई थी पाबंदी : ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक पृथक राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड में यूपी का ही कानून चल रहा था, जिसके अन्तर्गत देवभूमि उत्तराखंड में जमीन खरीद को लेकर कोई पाबंदियां नहीं थीं। वर्ष 2003 में एनडी तिवारी की सरकार ने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001 अधिनियम की धारा 154 में संशोधन कर बाहरी व्यक्ति के लिए आवासीय उपयोग के लिए 500 वर्गमीटर भूमि खरीदने को ही अनुमति देने का प्रतिबंध लगाया। इसके साथ ही कृषि भूमि की खरीद पर सशर्त प्रतिबंध भी लगा दिया था।

12 5 एकड़ तक कृषि भूमि खरीदने की अनुमति देने का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया था। चिकित्सा, स्वास्थ्य व औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था। तिवारी सरकार ने यह प्रतिबंध भी लगाया था कि जिस परियोजना के लिए भूमि ली गई है, उसे दो साल में पूरा करना होगा। इसके बाद परियोजना समय से पूरी न होने पर कारण बताने पर विस्तार दिया गया।

500 वर्ग मीटर भूमि खरीद की अनुमति को घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया : खंडूड़ी सरकार ने आवासीय उद्वेश्य को पूरा करने के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद की अनुमति को घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया। भू कानून के अन्य प्रावधान तिवारी सरकार के समय तक लागू रहे। इसके बाद 2017-18 में त्रिवेंद्र सरकार ने कानून में संशोधन किया, जिससे उद्योग स्थापित करने के लिए पहाड़ में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा और किसान होने की बाध्यता हटा दी गई। कृषि भूमि के उपयोग में बदलाव करना भी आसान कर दिया गया, और पर्वतीय क्षेत्र के साथ साथ मैदानी क्षेत्र को भी इसमें शामिल किया गया।

भू कानून की मांग बढ़ने पर 2022 में मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसने 5 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट दी। इस समिति ने सशक्त भू कानून के लिए 23 सुझाव दिए। सरकार ने इन सुझावों का अध्ययन करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया है। धामी सरकार ने कृषि और औद्योगिकरण के लिए भूमि खरीदने से पहले खरीदार और विक्रेता की सत्यापन करने के निर्देश भी दिए हैं।

धामी सरकार ने बनाई थी समिति, 2022 में आई थी रिपोर्ट : भू कानून की मांग तेज हुई तो वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने पांच सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति ने सशक्त भू काननू को लेकर 23 संस्तुतियां दीं थीं। सरकार ने समिति की रिपोर्ट और संस्तुतियों के अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय प्रवर समिति का गठन भी किया हुआ है। धामी सरकार ने कृषि और औद्योगिकरण के लिए भूमि खरीद की अनुमति देने से पहले खरीदार और विक्रेता का सत्यापन करने के निर्देश भी दिए हुए हैं।

अब आगे क्या? सीएम धामी ने ये कहा –

नए भू-कानून के तहत क्या बदलाव होंगे?
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि नए भू-कानून के तहत यदि कोई बाहरी व्यक्ति 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि खरीदता है, तो उसकी जांच की जाएगी और नियम तोड़ने पर जमीन सरकार में निहित की जाएगी। इसके अलावा, औद्योगिक या अन्य प्रयोजनों के लिए 12.50 एकड़ तक की भूमि खरीदने पर भी यही शर्त लागू होगी।  इस सख्त कानून का उद्देश्य भूमि के दुरुपयोग को रोकना है। यदि किसी व्यक्ति ने उद्योग लगाने के नाम पर जमीन खरीदी है और उसका उपयोग किसी अन्य प्रयोजन के लिए किया है, तो ऐसी जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई की जाएगी।

क्या उत्तराखंड वासियों पर भी यह कानून लागू होगा?
वर्तमान भू-कानून केवल बाहरी व्यक्तियों पर लागू होता है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी जितनी चाहें उतनी जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन बाहरी राज्यों के व्यक्तियों के लिए 250 वर्गमीटर की सीमा निर्धारित है। मुख्यमंत्री धामी ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि यदि कोई बाहरी व्यक्ति अपने परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर अलग-अलग जमीन खरीदने की कोशिश करता है, तो भी नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उद्योगों के लिए क्या प्रावधान होंगे?
नए भू-कानून के तहत, उद्योगों को जमीन की कमी नहीं होने दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में निवेशकों के लिए भूमि की कोई कमी नहीं होगी। राज्य के विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए निवेशकों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा नए भू-कानून के तहत आवासीय भूमि के लिए 250 वर्गमीटर की सीमा लागू की जाएगी, जो निकाय क्षेत्रों को छोड़कर पूरे प्रदेश में प्रभावी होगी।  इसका उद्देश्य राज्य में अनियंत्रित विकास को रोकना और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है।

उत्तराखंड में भूमि खरीद को लेकर प्रस्तावित नए भू-कानून से राज्य में बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित जमीन खरीद पर लगाम लगने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री धामी की इस घोषणा से स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और राज्य की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार एक संतुलित और सशक्त भू-कानून लाने की दिशा में काम कर रही है।

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