युवा आपदा मित्र योजना: देवभूमि में चार हजार से अधिक स्वयंसेवकों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

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देवभूमि उत्तराखंड में में युवा आपदा मित्र योजना के तहत 4310 स्वयंसेवकों को आपदाओं का सामना करने में सक्षम तथा फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में दक्ष बनाया जाएगा। सोमवार को सचिव, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास वीके सुमन ने योजना को लागू करने को लेकर एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र तथा भारत स्काउट एवं गाइड के स्वयंसेवकों के संगठनों के प्रतिनिधियों व यूएसडीएमए के अधिकारियों के साथ बैठक कर दिशा-निर्देश दिए।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास वीके सुमन के अनुसार इस योजना का उद्देश्य समुदायों को व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से आपदाओं का सामना करने में सक्षम बनाना है। ताकि किसी भी आपदा के समय वे राहत और बचाव कार्यों के साथ ही आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन के प्रयासों में अपना योगदान दे सकें।

प्रशिक्षित: 50 प्रतिशत महिलाओं को किया जाएगा 

युवा आपदा मित्र योजना के तहत स्वयंसेवकों की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। संबंधित जनपद का निवासी होना चाहिए तथा एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र या भारत स्काउट-गाइड में नामांकन होना चाहिए। कम से कम 7वीं कक्षा उत्तीर्ण हों। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। इसके साथ ही महिला स्वयंसेवकों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 50 प्रतिशत महिला स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किए जाने के प्रयास किए जाएंगे।

योजना: राज्य के 11 जिलों में लागू 

यह योजना राज्य के 11 जनपदों में लागू की गई है, जिसके तहत 4310 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और 20 प्रशिक्षित आपदा मित्रों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा करने वाले स्वयंसेवकों को एक आपातकालीन किट भी दी जाएगी। किट में लाइफ जैकेट, सौर ऊर्जा से भी चार्ज हो सकने वाली टॉर्च अथवा आपातकालीन लाइट, सुरक्षा दस्ताने, चाकू, फर्स्ट एड किट, गैस लाइटर, सीटी, पानी की बोतल, मच्छरदानी, यूनिफॉर्म, बरसाती गम बूट, सेफ्टी गौगल्स, सेफ्टी हेलमेट तथा बहु उपयोगी रस्सी शामिल रहेगी। इसका इस्तेमाल वह आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए कर सकेंगे। इसके साथ ही स्वयं सेवकों का तीन साल के लिए लाइफ एवं मेडिकल इंश्योरेंस भी कराया जाएगा।

निर्धारित रहेगा पाठ्यक्रम 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसके लिए पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया है। स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन, आपदा पूर्व तैयारी, भूकंप सुरक्षा, खोज एवं बचाव, अग्नि सुरक्षा, बाढ़, आकाशीय बिजली, समुदाय आधारित प्रथम उपचार, सीपीआर आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।


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सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सुमन ने कहा कि राज्य आपदाओं का लेकर संवेदनशील है, इसका प्रभावी तौर पर सामना करने में समुदायिक भागीदारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सामुदायिक जागरूकता से आपदाओं से होने वाली क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इसी उद्देश्य से यह योजना केंद्र सरकार ने लागू की है।

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