बकाया टैक्‍स दीजिए ब्याज और जुर्माना…दोनों हो जाएंगे माफ

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  • व्यापारियों के बचेंगे 7000 करोड़, विभाग को मिलेंगे 3000 करोड़
  • तीन साल की अवधि के करीब 10 हजार करोड़ के टैक्स विवाद होंगे खत्म


यूपी सरकार ने व्यापारियों को कई मोर्चों पर बड़ी राहत दी है। वर्ष 17-18 से वर्ष 19-20 के बकाया टैक्स पर ब्याज और पेनाल्‍टी को सशर्त माफ किया गया है। इस फैसले से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देयता खत्म होगी। दूसरी तरफ फ्रॉड वाले मामलों की जांच अवधि पांच साल से घटाकर साढ़े तीन साल कर दी गई है। इस संबंध में राज्य कर विभाग के विभिन्‍न संशोधनों को शुक्रवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

शुक्रवार को मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2024 को पास कर दिया। इसी के साथ एमनेस्टी स्कीम के जरिये वर्ष 17-18, 18-19 और 19-20 के टैक्स विवाद हल करने का रास्ता खुल गया। इसके तहत अदालतों में टैक्स से जुड़े मामले व्यापारियों को वापस लेने होंगे और मूल टैक्स चुकाना होगा।

इसके एवज में ब्याज और पेनाल्टी माफ कर दी जाएगी। इस मद में विभाग का करीब 10 हजार करोड़ रुपये फंसा है। विवाद खत्म होने से व्यापारियों के लगभग 7000 करोड़ रुपये बचेंगे वहीं विभाग को 3000 करोड़ रुपये बकाये कर के रूप में मिलेंगे।

टेक्स फ्रॉड वाले मामलों की जांच की मियाद पांच साल से घटाकर साढ़े तीन साल की गई
ऐसे मामले, जिनमें गलती से टैक्स कम जमा किया गया हो, उन्हें नॉन फ्रॉड केस की श्रेणी में रखा जाता है। बहीं जानबूझ कर कम टैक्स देंने के मामलों को फ्रॉड केस की श्रेणो में रखा जाता है। नॉन फ्रॉड केस में आदेश पारित करने की अवधि तीन वर्ष और फ्रॉड केस में आदेश पारित करने को अवधि पांच वर्ष थी।

: अब नई धारा 74क के जरिये वित्त वर्ष 24-25 और आगे के वर्षो के लिए सभी श्रेणी के कर निर्धारण आदेशों कौ अवधि एकसमान करते हुए 42 महीने (साढ़े तीन वर्ष) कर दी गईं है।

व्यापारी का प्रतिनिधि भी हो सकता है सुनवाई में पेश 
अब सुनवाई के समय व्यापारी के स्थान पर प्रतिनिधि भी पेश हो सकता है। अभी तक कर संबंधी मामलों से जुड़ी सुनवाई में व्यापारी को पेश होना पड़ता था। या उनके स्थान पर किसी सदस्य को प्राधिकृत करना पड़ता था। अब ऐसे मामलों की सुनवाई में व्यापारी की जगह अन्य व्यक्ति पेश हो सकता है।

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