नालों की सफाई में ठेकेदार को 80 करोड़ का फर्जी भुगतान, एलजी ने दिए एसीबी को जांच के आदेश
नई दिल्ली। अब नालों की सफाई में ठेकेदार को फर्जी भुगतान का मामला तूल पकड़ रहा है। यह ठेकेदार को 80 करोड़ का फर्जी भुगतान किए जाने का मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पालम में नालों की सफाई के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से करवाने का आदेश दिया है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों पर करीब 80 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग करने का आरोप है। बताया गया कि पालम क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के साउथ वेस्ट रोड-1 और साउथ वेस्ट रोड-2 डिवीजनों में किए गए डी-सिल्टिंग कार्य में भ्रष्टाचार हुआ। इस मामले में एलजी के प्रधान सचिव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
मामले में नजफगढ़ वार्ड से पार्षद अमित खरखड़ी ने एलजी को एक शिकायत भेजी है। उनका आरोप है कि परियोजना में शामिल अधिकारी सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। सफाई के काम में गंभीर भ्रष्टचार हुआ है। इस काम में एक ही ठेकेदार सुरेन्द्र सिंह को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। उसे निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए नालों की सफाई का ठेका दिया गया। एलजी ने इस मामले की गहराई से जांच के आदेश दिए हैं। जांच अधिकारियों से मामले की कार्रवाई रिपोर्ट जल्द से जल्द सचिवालय को भेजने को कहा है।
शिकायतकर्ता ने कार्यकारी अभियंता आशीष गुप्ता, कनिष्ठ अभियंता अजय कुमार मीना, सहायक अभियंता धर्म सिंह मीना के साथ ठेकेदार सुरेन्द्र सिंह और अन्य पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों पर गलत काम करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा गया कि दोनों डिवीजन के अधीक्षण अभियंता राजपाल शिवरेन और शैलेंद्र मिश्रा, मुख्य अभियंता, दक्षिण (एम) मनोज कुमार अग्रवाल मामले में आरोपी हैं। यह परियोजना उनकी देखरेख में हुई। ऐसे में इनकी मिलीभगत की आशंका है। इसके अलावा पूर्व अभियंता और सहायक अभियंता पर भी अंगुली उठाई गई है।
शिकायत में यह सबकुछ: 2022 के मानसून के दौरान नालों की सफाई में भ्रष्टाचार। जाफरपुर में सीवरेज पंप लगाने में अनियमितता। एक ही कार्य के लिए दोहरा भुगतान। कागजों में हुए हैं कई विकास कार्य। उप-विभाग निविदाओं का दुरुपयोग। निविदा नियमों का उल्लंघन। निविदा दरों में अत्यधिक वृद्धि। चार सालों तक गलत बिल लगाना। आरटीआई अनुरोधों में बाधा डालना। नाले में डूबे मां-बेटे के परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा देगा डीडीए।
डीडीए ने कहा कि गाजीपुर पेपर मार्केट के पास खुला नाला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। लिहाजा इस नाले में गत 31 जुलाई को एक महिला व बच्चे की डूबकर मृत्यु होने के मामले में उपराज्यपाल पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं और राजधानी निवासियों को भ्रमित किया जा रहा है। वहीं डीडीए ने कोर्ट के निर्देश के तहत मृतक महिला व उनके बच्चे के परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का एलान किया है। डीडीए के अनुसार, वह मुआवजा राशि किसी प्रकार की स्वीकार्यता या दायित्व के बिना पूरी तरह से मानवता की दृष्टि से दे रहा है। इसका उद्देश्य मृतकों के परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। जबकि घटना घटने वाला खुला नाला एमसीडी के क्षेत्राधिकार में आता है।