ट्रंप-हेरिस में कांटे की टक्कर के बीच अमेरिका में कोई भी आए, भारत बना रहेगा खास
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भारत-अमेरिका के रिश्ते साझा मूल्यों पर आधारित
- बाइडन-हैरिस भारत से मजबूत संबंधों के पक्षधर
- पीएम मोदी के साथ ट्रंप का संबंध है खास
- कुल मिलाकर भारत के लिए बेहतर कौन
नाटकीय घटनाक्रमों से भरे इस चुनाव को दुनिया पर दूरगामी असर डालने वाला माना जा रहा है। जाहिर सी बात है भारत भी इस असर से अछूता नहीं रहेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में से भारत के लिए बेहतर हो सकता है।
विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि कोई भी जीते, हिंद प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण एशिया में उसे अपनी स्थिति मजबूत रखनी है तो भारत के साथ बेहतर संबंध बनाकर रखने होंगे। भारत के लिए भी अमेरिका के साथ बेहतर रिश्ते उसके राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय हितों के लिए अहम होंगे। भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र में सुधार की वकालत करता रहा है। ये तभी संभव है जब अमेरिकी उसके लिए तैयार हो। अमेरिका इसलिए भी अहम है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सबसे बड़ा दानदाता अमेरिका ही है। चाहे वो व्यापार हो, चाहे वो राजनयिक मामले हों, चाहे वो पर्यावरण का मामला हो, चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो या चाहे वो आतंकवाद हो, इन सभी मुद्दों पर अमेरिका में जो भी फैसला होता है उसका भारत के साथ हो पूरे विश्व की राजनीति पर असर पड़ता है।
सवाल है कि अमेरिका में अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो उसका भारत पर क्या असर पड़ेगा। एक तरफ ट्रंप हैं जो भारत के साथ मैत्रोपूर्ण संबंधों के पुराने पश्चधर हैं। उनकी और पीएम मोदी को दोस्ती जगजाहिर है। तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीवी मानते हैं। हालांकि,पिछले कुछ सपय में कई चीजों को लेकर. कुछ समय में कई चीजों को लेकर भारत व अमेरिका के बीच तल्खी आई है।
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भारत-अमेरिका संबंध स्थिर रहने की उम्मीद…
अमेरिका में चाहे कोई भी राष्ट्रपति रहा हो भारत के साथ उसके रिश्ते हमेशा सकारात्मक रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आगे भी भारत और अमेरिका के संबंध स्थिर रहेंगे। दोनों देशों की साझेदारी का आधार साझा मूल्य और आपसी रणनीतिक हित रहे हैं। भारत की रणनीतिक स्थिति, आर्थिक क्षमता और सैन्य क्षमताएं यूरेशिया और इंडो पैसिफिक में अमेरिका के लिए एक आदर्श और सबसे मजबूत भागीदार बनाती हैं।
अमेरिका के लिए भारत की अनदेखी मुश्किल
भारत ऐतिहासिक रूप से रूस के पक्ष में रहा है। यूक्रेन संघर्ष के मसले पर भी अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस का साथ नहीं छोड़ा। संयुक्त राष्ट्र में बह कभी रूस के खिलाफ नहीं गया। वहीं, अमेरिका और रूस में कई मुद्दों पर तनातनी है। एशिया में चीन भी चुनौती बना हुआ है। दुनिया का बहुत बड़ा बाजार होने के कारण भारत से अमेरिकी कंपनियों के हित जुड़े हैं। ऐसे में अमेरिका में राष्ट्रपति की कुर्सी पर चाहे कोई भी हो, वह भारत की अनदेखी नहीं कर सकता है।
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रिपब्लिकन प्रशासन भारत के लिए बेहतर…
भारत-अमेरिका के बीच जितने भी बड़े ऐतिहासिक समझौते हुए हैं, वो रिपब्लिकन प्रशासन में हुए हैं, लेकिन ट्रंप की व्यापार नीति में भारत के लिए अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। भारतीय विदेश व्यापार के लिए ट्रंप बड़ा रोड़ा हो सकते हैं।
आव्रजन पर बाधा : ट्रंप ने अवैध आव्रजन रोकने में नाकाम रहने के लिए बाइडन प्रशासन की आलोचना की है। ट्रंप के आने पर आन्रजन प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।