उच्च टैरिफ लगाने की ट्रंप की घोषणा से भारत के लिए पैदा होंगे बड़े निर्यात अवसर
- नीति आयोग के सीईओ ने कहा, शुल्क लगाने से अमेरिकी व्यापार में आएगी बड़ी गिरावट
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन समेत तीन व्यापारिक साझेदारों पर उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा से भारत के लिए निर्यात के बड़े अवसर पैदा होंगे। घरेलू उद्योग को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।
ज्ञात हो कि ट्रंप ने पिछले सप्ताह मेक्सिको व कनाडा से आयात पर 25 फीसदी सीमा शुल्क और चीन से आयात पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात कही थी।
नीति आयोग के सीईओ बीबीआर सुब्रमण्यम ने बुधवार को कहा, ट्रंप ने जो भी घोषणा की है, मुझे लगता है कि वह भारत के लिए अवसर है। हम पहली स्लिप में खड़े हैं और गेंद हमारी तरफ आ रही है। हम इसे पकड़ेंगे या छोड़ देंगे, यह हमें देखना है। उन्होंने कहा, ट्रंप की इस घोषणा पर अमल से अमेरिकी व्यापार में बड़ी रुकावटें आने वाली हैं, जिससे भारत के लिए बहुत बड़े अवसर पैदा होंगे।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा, भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए व्यापार को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने को जरूरत है। अब सवाल यह है कि अगर हम वास्तव में खुद को तैयार करते हैं, तो इससे निर्यात में बहुत बड़ा उछाल आ सकता है,क्योंकि व्यापार में बदलाव होने वाला है।
टिप्पणी इसलिए अहम: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने भारत को बताया था टेरिफ किंग
सुन्नमण्यम को यह टिप्पणी इसलिए अहम है कि ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में भारत को आयात शुल्कों का दुरुपयोग करने वाला और अक्टूबर,2020 में भी भारत को “टैरिफ किंग’ करार दिया था।
: ट्रंप ने कारोबारी मुद्रा के तौर पर अमेरिकी डॉलर को बदलने के किसी भी कदम के खिलाफ ब्रिक्स समूह को चेतावनी दी है।
: अमेरिका सबसे बड़ा साझेदार: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 77.57 अरब डॉलर का निर्यात किया था। भारत को आईटी निर्यात से मिलने वाले राजस्व में भी अमेरिका की हिस्सेदारी 70 फीसदी है।
व्यापार घाटे को लेकर अत्यधिक चिंता नहीं
भारत के व्यापार परिदृश्य पर जारी रिपोर्ट के अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा, व्यापार घाटे को लेकर अधिक चिंता की जरूरत नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था को आयात से अधिक लाभ होता है। उन्होंने कहा,व्यापार सिर्फ निर्यात के बारे में न होकर आयात से भी जुड़ा है।
: बेरी ने कहा, हमारे पास एक अस्थिर विनिमय दर होने से संरचनात्मक रूप से हमारा व्यापार घाटा होगा। हम निवेश करना चाहते हैं, इसलिए हमारे पास संरचनात्मक रूप से चालू खाता घाटा भी होगा। ये अच्छे हैं, बुरे नहीं।
भारत को अब तक ‘चीन प्लस वन रणनीति’ में मिली सीमित सफलता
भारत को ‘चीन प्लस बन रणनीति’ को अपनाने में अब तक सीमित सफलता मिली है, जबकि वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलयेशिया को इसका बड़ा फायदा मिला है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्ता श्रम, सरल कर कानून, कम शुल्क और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने में तेजी जैसे कारकों से इन देशों को अपनी निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिली।
: नीति आयोग की रिपोर्ट ‘ट्रेड वॉच क्वार्टरली’ में कहा गया है कि हाल के वर्षों में श्रम आधारित क्षेत्रों के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी घटी है। भारत को प्रमुख
उत्पाद श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की जरूरत है।
: अमेरिका ने चीन की वृद्धि और तकनीकी प्रगति पर होने वाले खर्च को सीमित करने के लिए चीनी वस्तुओं पर सख्त निर्यात नियंत्रण एवं उच्च शुल्क लागू किया है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बड़ा बदलाव आया और बहुराष्ट्रीय निगमों को चीन के विनिर्माण का विकल्प तलाशना पड़ा।