इजरायल के खौफ से भाग निकला हिजबुल्लाह का टॉप कमांडर, ईरान में छिपे होने की सूचना

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बेरुत । बीते एक साल से हमास और हिजबुल्लाह से लड़ रही जंग में इजरायल बीते कुछ दिनों से आक्रामक है। उसने एक तरफ हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर सैयद हसन नसरल्लाह को लेबनान के अंदर ही घुसकर मार गिराया तो वहीं हमास के पॉलिटिकल चीफ रहे इस्माइल हानियेह को तो तेहरान में मार डाला था। फिर बीते सप्ताह उसने हमास के नेता याह्य सिनवार को भी मार गिराया। इजरायल के इन हमलों का ऐसा खौफ है कि नसरल्लाह के बाद हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर कहे जा रहे नईम कासिम ने लेबनान ही छोड़ दिया है। वह अब तक लेबनान में ही रहता था, लेकिन इजरायली हमले में मारे जाने के डर से भाग निकला है।

इजरायल के हाथों न मारा जाए,इस लिए सेफ लोकेशन में छिपा

यूएई स्थित Erem News की रिपोर्ट के मुताबिक नईम कासिम ने ईरान में शरण ली है। उसके ठिकाने के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है और वह पूरी तरह से अंडरग्राउंड है। वह एकदम सेफ लोकेशन में छिप कर रहा रहा है ताकि इजरायल के हाथों न मारा जाए। फिलहाल वह हिजबुल्लाह का डिप्टी सेक्रेटरी जनरल है और उसके सेकेंड इन कमांड कहा जाता है। ऐसे में उसका भागना बताता है कि हिजबुल्लाह किस तरह से इजरायल के डर में है। पेजर विस्फोट और फिर वॉकी-टॉकी धमाकों के बाद से डरे हिजबुल्लाह को अब तक इजरायल बड़ा नुकसान पहुंचा चुका है।

ईरानी विदेश मंत्री के एयरक्राफ्ट से ही भागा नईम कासिम

उसकी कई सरगनाओं को उसने ठिकाने लगा दिया है तो वहीं लगातार लेबनान में हमले कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नईम कासिम 5 अक्टूबर को ही बेरूत से निकल गया था। उसने इसके लिए ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची के विमान का इस्तेमाल किया। इस विमान के जरिए वह लेबनान और सीरिया की यात्रा पर निकलते थे। इसी को उन्होंने हिजबुल्लाह कमांडर को मुहैया करा दिया। 27 सितंबर को नसरल्लाह के मारे जाने के बाद नईम कासिम ने तीन भाषण भी दिए थे। वह इजरायल पर खूब गरजा था, लेकिन अब उसके लगातार हमलों से खौफ में है। बता दें कि इजरायल हिजबुल्लाह के भी कई नेताओं को हमास की तरह ही मार चुका है।

नसरल्लाह के मारे जाने के बाद कमान संभाली

नईम कासिम को हिजबुल्लाह के संस्थापक सदस्यों में माना जाता है। नसरल्लाह के मारे जाने के उसे ही पब्लिक रोल में देखा जा रहा था। ऐसे में उसका डर से भागना इजरायल को बढ़त दिलाने वाला है। नईम कासिम बीते कई दशकों से इस्लामिक संगठनों का हिस्सा रहा है और फिर जब हिजबुल्लाह बना तो उसका संस्थापक सदस्य रहा। इजरायल उसके पीछे पड़ा है ताकि उसे मार गिराने के बाद हिजबुल्लाह की लीडरशिप को खत्म किया जा सके।

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