चीन को संदेश…समझौतों पर अमल ईमानदारी के साथ हो

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  • ब्रिक्स आउटरीच सत्र में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, सुरक्षा परिषद में सुधार बेहद जरुरी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नाम लिए बिना चीन को समझौतों पर ईमानदारी से अमल करने का संदेश देते हुए एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि, स्थायी और अस्थायी दोनों परिषदों में नई विश्व व्यवस्था के अनुरूप बदलाव जरूरी है। इसके साथ ही बहुपक्षीय विकास बैंकों व अन्य बहुपक्षीय संगठनों में भी सुधार लाना होगा, क्योंकि इनकी कार्यप्रणाली भी संयुक्त राष्ट्र की तरह पुरानी ( आउटडेटेड) हो गई है।

कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व करते हुए जयशंकर ने दुनिया के विभिन्‍न हिस्सों में चल रहे संघर्षों पर कहा, इन संघों और तनावों का प्रभावी ढंग से समाधान करना आज की विशेष जरूरत है। पीएम मोदी के पहले के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह युद्ध का बाग नहीं है। विवादों, मतभेदों को बातचीत और कूटनीति के जरिये सुलझाया जाना चाहिए एक बार समाधान पर सहमति बन जाए तो ईमानदारी से इसका पालन होना चाहिए।

विदेश मंत्री के ईमानदारी वाले इस बयान को चीन के लिए संदेश माना जा रहा है जो अतीत में बातचीत से निकले समाधान से मुकरता रहा है। जयशंकर ने औपनिवेशक
सत्ता से आजाद हुए देशों की सामाजिक-आर्थिक तरक्की के कारण वैश्विक संतुलन में आए बदलाव की भी चर्चा की।

बहुत असमान रहे हैँ वैश्वीकरण के फायदे…
जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स फोरम को यह स्वीकार करना होगा कि वैश्वीकरण के फायदे बहुत असमान रहे हैं। कोबिड महामारी और कई संघषों ने वैश्विक दक्षिण पर बोझ बढ़ा दिया है और स्वास्थ्य, खाद्य और ईधन सुरक्षा को चिंताएं विशेष रूप से गंभीर हैं। साथ हो कहा कि हम इस विरोधाभास को कैसे सुलझा सकते हैं और हम अधिक समतापूर्ण वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए पांच सूत्री मंत्र दिया।

उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक युग से विरासत में मिली वैश्विक अवसंरचना में विकृतियों को ठीक कर, दुनिया को तत्काल अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की आवश्यकता है जो रसद को बढ़ाए और जोखिमों को कम करे। साथ ही यह सामान्य भलाई के लिए एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए, जिसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए।

हर तरह के वैश्विक संकट में अपनी भूमिका निभाता रहा है भारत…
भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और अन्य पहलों की पेशकश करते हुए जयशंकर ने कहा कि प्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में, चाहे वह प्राकृतिक आपदाएं हों, स्वास्थ्य आपात स्थिति हो या आर्थिक संकट हो, भारत अपनी उचित भूमिका निभाने का प्रयास करता है। इसका लाभ पड़ोसियों को भी मिला है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरस से की मुलाकात…
जयशंकर ने आउटरीच सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियों गुटेरस के अलावा वैश्विक दक्षिण के कई नेताओं के साथ अनौपचारिक मुलाकात की। जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, ईरान के बिदेश मंत्री अव्बास अधंची से क्षेत्रीय घटनाक्रम पर बातचीत हुईं।

बैठक शुरू होने से पहले जयशंकर ने इंडोनेशिया के अपने समकक्ष सुगियानो, सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैजल बिन फरहान, यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद बिन अल भाहयान व थाईलैंड के विदेश मंत्री मैरिस सांगियाग्गोंगसा ये अनौपचारिक बातचीत की। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से भी बातचीत की।

दुनिया में उत्पादन व उपभोग का लगातार हो रहा विविधीकरण…
जयशंकर ने कहा, द्वतिया में उत्पादन और उपभोग का लगातार विविधीकरण हो रहा है। जिन राष्ट्रों ने उपनिवेशवाद से स्वांत्रता प्राप्त की, उन्होंने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है। नई क्षमताएं सामने आई जिससे अधिक प्रतिभाओं को सामने लाने में मदद मिली। ब्रिक्स अपने आप में नह विश्व व्यवस्था का सबूत है। विदेश मंत्री ने कहा, हम मुश्किल परिस्थितियों में मिल रहे हैं। विश्व को वीबकालिक चुनौतियों पर नए सिरे से सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमारा वहां जुटना इस बात का संदेश है कि हम ऐसा करने के लिए वाकई तैयार हैं।

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