अब ड्रैगन के ही सहारे पाक, अमेरिका ने छोड़ा साथ, भारत की ताकत के आगे कितना टिकेगा

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नई दिल्‍ली, चीन से रिश्ते गहरे करने की होड़ में पाकिस्तान अपनी फौज को तो मजबूत करने की सोच रहा है, लेकिन ये भूल रहा है कि एक ही मुल्क पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता उसे कभी भी भारी नुकसान में डाल सकती है।

अमेरिका ने छोड़ा साथ, अब ड्रैगन के ही सहारे पाक; भारत की ताकत के आगे कितना टिकेगा?

पाकिस्तान की फौज अब हथियारों के लिए पूरी तरह चीन के भरोसे बैठी है। अमेरिका ने जब से पाकिस्तान से कन्नी काटी है, तब से पाकिस्तान की नजर सिर्फ अपने सबसे अजीम दोस्त ड्रैगन पर टिक गई है। ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि बीते पांच सालों में पाकिस्तान ने जितने भी हथियार खरीदे हैं, उनमें से 81 फीसदी सिर्फ चीन से आए हैं। पहले ये आंकड़ा 74 फीसदी था। यानि ड्रैगन की मुट्ठी में अब पाकिस्तान और कसकर फंस चुका है।

चीन से रिश्ते गहरे करने की होड़ में पाकिस्तान अपनी फौज को तो मजबूत करने की सोच रहा है, लेकिन ये भूल रहा है कि एक ही मुल्क पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता उसे कभी भी भारी नुकसान में डाल सकती है। सिपरी की रिपोर्ट साफ कहती है कि पाक फौज की हर जरूरत अब बीजिंग की मेहरबानी पर टिकी है, चाहे वो राइफल हो, जेट फाइटर या फिर युद्धपोत, अब पाकिस्तान का चीन की निर्भरता के बिना एक कदम भी चलना मुश्किल है।

चीन की चाल में फंस चुका है पाक

इस्लामाबाद अभी जे-35ए जैसे स्टेल्थ लड़ाकू विमानों की खरीद को अंतिम रूप देने में जुटा है, जिसकी कीमत अरबों डॉलर हो सकती है। साथ ही, ‘जे-17’ जेट, वीटी-4 टैंक, दूरदर्शी ड्रोन और गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, सब कुछ चीन से ही आया है। मगर इस बढ़ती दोस्ती का एक स्याह पहलू भी है। भारतीय पूर्व सैन्य अफसरों की मानें तो ये निर्भरता पाकिस्तान को लंबे वक्त में भारी फंसा सकती है।

आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से बढ़ रहा भारत

एक तरफ जहां पाकिस्तान ड्रैगन से गले मिल रहा है, वहीं भारत आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। मोदी सरकार की नीति अब खरीद में नहीं बल्कि अपने देश में ही तैयार करने की है, जिसका जीता जागता नमूना- मेक इन इंडिया है। भारत अब खुद के बनाए हथियारों पर फोकस कर रहा है, जैसे कि तेजस, पिनाका रॉकेट सिस्टम, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल आदि। सिर्फ यही नहीं, भारत अब हथियार निर्यात में भी कदम जमा रहा है। फिलिपींस को ब्रह्मोस बेचने के बाद अब इंडोनेशिया, म्यांमार और वियतनाम जैसे देश भी लाइन में हैं।

चीन की गोद में बैठा पाक करा रहा अपनी दुर्दशा

आज जहां पाकिस्तान को हथियार बनाने के लिए भी चीन की टेक्नोलॉजी और कच्चे माल की दरकार है, वहीं भारत राफेल, अपाचे, और आईएनएस तुशील जैसे हथियारों को न केवल विदेश से खरीद रहा है बल्कि तकनीक ट्रांसफर के साथ घरेलू निर्माण पर भी जोर दे रहा है। मतलब साफ है, जहां भारत भविष्य के लिए मजबूत बुनियाद तैयार कर रहा है, वहीं पाकिस्तान चीन की गोद में बैठ कर अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता खुद गिरवी रख चुका है।

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