होतन प्रांत में चीन कर रहा निर्माण…भारत ने कहा-अवैध कब्जा कभी स्वीकार नहीं

0
  • लद्दाख सीमा के पास चीन के दो नए काउंटी का भारत ने किया कड़ा विरोध


नई दिल्‍ली। भारत ने लद्दाख की सीमा से लगते होतन प्रांत में दो नए काउंटियों की स्थापना को लेकर चीन से कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इन काउंटियों के कुछ हिस्से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं। भारत ने कहा कि इस तरह के कदमों से क्षेत्र में चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता नहीं मिलेगी। चीन ने संबंधों में कड़वाहट लाने वाला यह कदम तब उठाया है, जब साढ़े चार साल से भी अधिक समय से चले आ रहे सीमा गतिरोध को खत्म करने और विश्वास बहाली के लिए दोनों देशों के बीच कुछ दिनों पहले ही सीमा वार्ता फिर से शुरू हुई है। चीन ने शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र के होतन प्रांत में हेआन और हेकांग नाम से दो काउंटी स्थापित करने की घोषणा की है, जिनके मुख्यालय क्रमशः हॉग्लिउ और मृदुला शहर में हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जावसवाल ने शुकवार को कहा कि भारत ने कूटनीतिक के जरिये चीन की इस घोषणा पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इन काउंटियों के कुछ हिस्से लद्दाख में आते हैं। नई काउंटियों के निर्माण से न तो संबंधित क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में दीर्थकालिक और सतत स्थिति पर कोई फर्क पड़ेगा, न ही इससे चीन के अवैध व जबरन कब्जे को वैधता ही मिलेगी। भारत ने इस क्षेत्र में चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।

इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि, इस तरह के कदमों से क्षेत्र में चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता नहीं मिलेगी।

ब्रह्मपुत्र नर्दी पर बांध का भी विरोध

जावसवाल ने कहा, भारत ने तिब्बत में यारलुंग त्संगपो नदी ( ब्रह्मपुत्र ) पर चीन के बड़े बांध निर्माण और इसके असर घर चिंता जताई है। भारत ने ऐसी परियोजनाओं से जुड़ी पारदर्शिता और नदी के बहाव के निचल हिस्से से जुड़े देशों से विमर्श पर जोर दिया है।

: चीनी पक्ष से सुनिश्चित करने को कहा गया है कि नदी के ऊपरी हिस्से में उसकी गतिविधियों से निचले हिस्से में आने वाले भारतीय क्षेत्र को कोई नुकसान न पहुंचे।

: जायसवाल ने कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी और आवश्यक उपाय करना जारी रखेगा।

: आशंका है, बांध से असम व अरुणाचल के हितों को नुकसान पहुंच सकता है।

नए विवादों को जन्म दे रहा ड्रेगन…

चीन दशकों से अपने मानचित्र में भारतीय भूभाग पर दावा जताकर विवादों को जन्म देता रहा है। 2017 में चीन ने अरुणाचल में छह स्थानों के लिए मानकीकृत नामों की सूची जारी की थी। 2021 में 15 स्थानों जाली दूसरी और 2023 में 14 स्थानों के नामों वाली तीसरी सूची जारी की थी। भारत ने हमेशा चीन की इन कोशिशों का विरोध किया है।

होतन : चीन के अवैध कब्जे वाले अक्साई चिन का हिस्सा

होतन प्रांत चीन के अवैध कब्जे वाले अक्साई चिन का हिस्सा है। अक्साई चिन पहले लद॒दाख का हिस्सा था।

: 1950 के दशक में चीन ने इसके कुछ हिस्से पर कब्जा करते हुए वहां से तिब्बत तक सड़क बना ली। भारत ने इसका विरोध किया। 1962 के युद्ध में चीन ने 38,000 वर्ग किमी क्षेत्र वाले अक्साई चिन पर पूरी तरह से कब्जा कर इसे अपने शिनजियांग उइगर में मिला लिया था।

: इसके कुछ समय बाद पाकिस्तान ने भी अपने अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के 5,180 वर्ग किमी क्षेत्र को चीन को सौंप दिया।

 

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *