कीमोथेरेपी ब्रेन पर गहरा असर डालती है, कैंसर वाले मरीजों को होती है ज्यादा परेशानी

0

नई दिल्‍ली, हाल ही में एक रिसर्च सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि कीमोथेरेपी आपके ब्रेन पर गहरा असर डालती है. आइए जानते हैं इस बारे में-

ब्रेन पर गहरा असर डालती है कीमोथेरेपी, इस कैंसर वाले मरीजों को होती है ज्यादा परेशानी
कीमोथेरेपी ब्रेन पर कैसा असर डालती है
कीमोथेरेपी कैंसर का एक ऐसा ट्रीटमेंट है, जिसमें कैंसर सेल्स को नष्ट करके उसकी वृद्धि को धीमा किया जाता है. इसके अलावा कीमोथेरेपी का प्रयोग ब्रेन ट्यूमर के इलाज में भी होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कीमोथेरेपी आपके ब्रेन की कनेक्टिविटी पर असर डाल सकती है. जी हां, हाल ही में कीमोथेरेपी को लेकर एक चौंका देना वाला खुलासा किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कीमोथेरेपी मरीजों में ब्रेन की कनेक्टिविटी को बाधित करती है. इसकी वजह से मरीजों में याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कतें आ सकती हैं. आइए जानते हैं इस रिसर्च के बारे में विस्तार से-

क्या है रिसर्च?

जर्नल ऑफ मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग में प्रकाशित एक नए रिसर्च में पता चला है कि कीमोथेरेपी ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में ब्रेन की कनेक्टिविटी को बाधित करती है और ट्रीटमेंट की प्रगति के साथ परिवर्तन और तेज होते जाते हैं.

रिसर्च में शामिल हुए 55 ब्रेस्ट कैंसर रोगी

इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कई महीनों तक कीमोथेरेपी से गुजर रहे 55 ब्रेस्ट कैंसर रोगियों के कार्यात्मक एमआरआई (एफएमआरआई) स्कैन की तुलना 38 स्वस्थ लोगों से की, जिसमें शोधकर्ताओं ने फ्रंटल-लिम्बिक सिस्टम में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे. इसमें ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में मेमोरी और कॉडिनेशन जैसे कार्यकारी कार्यों में परिवर्तन देखा गया है. इतना ही नहीं, कीमोथेरेपी जारी रहने के साथ ये स्थिति बिगड़ती गई.

कीमोथेरेपी के अन्य नुकसान

कीमोथेरेपी से मरीजों की ब्रेन कनेक्टिविटी के अलावा कई अन्य नुकसान हो सकते हैं, जैसे-

कीमोथेरेपी बालों की जड़ों को कमजोर करती है जिससे बाल झड़ने लगते हैं.
इस थेरेपी से गुजर रहे लोगों को काफी ज्यादा कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है.
पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती है, जिसमें पेट दर्द, मतली और उल्टी होना, गैस बनना, भूख कम लगना जैसी परेशानी शामिल है.
कीमोथेरेपी व्हाइट ब्लड सेल्स को भी नुकसान पहुंचाती है, जिससे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है.
मूड स्विंग्स और डिप्रेशन जैसी स्थिति काफी ज्यादा बढ़ जाना
त्वचा और नाखूनों में बदलाव नजर आना
संक्रमण का खतरा बढ़ना, इत्यादि.

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *