Boost Your Immunity: वैदिक ध्यान और गौस्पर्श 35 फीसदी तक बढ़ा देता है इम्युनिटी

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  • हकेंवि (Central University of Haryana) के शोधार्थी ने मेडिकल कॉलेज के 120 विद्यार्थियों पर छह माह तक किया शोध

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंबि) के छात्र ने भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर देसी गाय के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और तनाव कम करने की दिशा में शोध किया है। शोध से पता चला है कि वैदिक ध्यान व गौस्पर्श से इंसान में 25 से 35 फीसदी तक रोग प्रतिरोधक क्षमता ( इम्युनिटी) बढ़ती है। यही नहीं इससे तनाव भी कम होता है। हकेंवि के शोधार्थी नीरज मेधार्थी ने अपने शोध के पेटेंट के लिए आवेदन किया है।

शोधार्थी नीरज ने एक मेडिकल कॉलेज के 120 विद्यार्थियों पर 180 दिनों तक शोध किया। उन्होंने 40-40 विद्यार्थियों के तीन समूह बनाकर इनके इम्युनिटी स्तर की 11 पैमानों पर जांच की। इस दौरान 40 विद्यार्थियों को प्रतिदिन 35 मिनट गोस्पर्श, गो-प्रार्थना, चारा खिलाना व गाय के पीठ और सिर पर हाथ फेरने की प्रक्रिया कराई और इम्युनिटी के स्तर का आंकड़ा जुटाया। वहीं, 40 विद्यार्थियों को प्रतिदिन 40 मिनट तक वैदिक ध्यान कराया और 40 अन्य को केवल इस शोध में शामिल किया गया, लेकिन उनसे कोई भी प्रक्रिया नहीं कराई गई।

वैदिक ध्यान से 25 फीसदी बढ़ी इम्युनिटी
डॉ. नीरज ने बताया शोध में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। गौस्पर्श करने वालों में इम्युनिटी के स्तर में 35 फीसदी तक बढ़ोतरी है। हुई, जबकि वैदिक ध्यान करने बालों में 25 फीसदी तक इम्युनिटी का स्तर बढ़ा पाया गया। वहीं, जिन 40 विद्यार्थियों को इनमें से कोई भी प्रक्रिया नहीं कराई गई, उनके इम्यूनिटी स्तर में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

11 पैमानों पर परखा इम्युनिटी ओर तनाव का स्तर
नीरज ने बताया छह माह तक चली प्रक्रिया में तकनीक व अत्याधुनिक पद्धति से बनी मशीनों के माध्यम से 11 पैमानों पर इम्युनिटी स्तर को परखा गया। इनमें बायो एनर्जी मापन के लिए रूस के वैज्ञानिकों को बनाई गई मशीन जीडीबो (गैस डिस्चार्ज बिजुलाइजेशन ) का प्रयोग किया गया। तनाव मापन के लिए पीएसएस (परसीब्ड स्ट्रेस स्केल), जीबन की गुणवता मापने के लिए डब्ल्यूएचओ-क्यूओएल स्केल का उपयोग किया गया। जिन विद्यार्थियों ने देसी गायों को स्पर्श किया उनके स्वास्थ्य के लगभग सभी पहलुओं में लाभ हुआ। मुख्य रूप से उनकी इम्बुनिटी एनर्जी में जबदस्त इजाफा हुआ। शोध में एकत्रित आंकड़ों से पता चला कि देसी गायों का स्पर्श करने वाले विद्यार्थियों में तनाव बड़े ही प्रभावी रूप से घटा है। लाभ का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए नीरज ने बताया कि देसी गाय के साथ रहने से शरीर में हैप्पी हार्मोत का खाब स्वास्थ्य लाभ का एक संभावित कारण है, इसके साथ ही साइको, न्यूरो, एंडो इम्बूनिटो पाथबे इसका एक पहलू है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जिसका मन प्रसन्न है तो उसको इम्यूनिटी भी अच्छी होती है, देसी देशी गाय का संग मन की प्रसन्‍नता के लिए एक अहम पहलू है।

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी,डॉ. नीरज मेधार्थी ​का कहना है कि जैसे-जैसे देसी गाय की संख्या घटती गई, वैसे-वैसे समाज में तनाव, अनिद्रा, जैसी अनेक समस्याओं में भारी इजाफा हुआ है। वर्तमान में तनाव व कमजोर रोग है प्रतिरोधक क्षमता पर बहुत अधिक शोध हो रहे हैं। देश के प्रत्येक विवि में एक गौस्पर्श केंद्र स्थापित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भी भेजा है। देसी गाय के माध्यम से वर्तमान समय में सेहत में बड़े पैमाने पर सुधार किया जा सकता है।

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