#व्यवहार सूत्र 01: इसे झटकना शुरू कर दीजिए
@डॉ.आशीष द्विवेदी की कलम से…
नमस्कार,
आज बात चिढ़ने की ….
इसे झटकना शुरू कर दीजिए
एक मित्र उदास थे। उनके सुपुत्र अपने साथियों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही हैल्थी हैं। इसलिए स्कूल में बच्चे मिनी एलीफेंट कहकर चिढ़ाते हैं। उन्होंने इस संबंध में स्कूल की टीचर से भी बात की किंतु कुछ दिनों बाद फिर कभी कोई बस में, कभी क्लास में या खेलते वक्त कुछ न कुछ कमेंट छोड़ ही देते। आप किस – किस को समझाएंगे ? किस – किस से उलझेंगे ? अक्सर वो खिसियाते हुए घर आता। कभी तो आंसू ही टपक पड़ते।
कल उनके यहां बैठा था। सुपुत्र महोदय को बुलाया और समझाइश दी कि यदि आप चाहते हैं कि सब शांत हो जाएं तो यह चिढ़ने की आदत तत्काल प्रभाव से बंद कर दीजिए। यदि कोई चिढ़ाने का प्रयास करे तो एकदम सहज हो जाइए। कोई प्रतिक्रिया मत दीजिए। उल्टे संभव हो तो मुस्कराना शुरू कर दीजिए। पहले तो मेरे इस सूत्र पर वह विस्मित से हुए फिर बोले भला ऐसा कैसे संभव है ? उन्हें समझाया कि जब आप किसी के चिढ़ाने पर चिढ़ते जाएंगे तो लोग आपको और चिढ़ाएंगे। यह मनोवैज्ञानिक प्रभाव है।
डॉ.आशीष द्विवेदी से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें : डॉ.आशीष द्विवेदी
जैसे ही आप चिढ़ना बंद करते हैं या चिढ़ाने वाले को एकदम से इग्नोर करना शुरू करते हैं तो फिर वह भी चिढ़ाना बंद कर देगा। कारण यह है कि वह अपने मंतव्य में सफल नहीं हो पा रहा। इस संसार के नियम बड़े ही विचित्र हैं। आप जितना चिढ़ोगे लोग और ज्यादा चिढ़ाएंगे, जितना दबोगे और ज्यादा दबाया जाएगा, जितना रोएंगे उतना ही और रुलाया जाएगा , जितना डरोगे उतना ही और डराया जाएगा। इसलिए समय रहते प्रतिकार भी कर देना चाहिए। अन्यथा जीना मुहाल हो जाएगा।
सूत्र यह है कि चिढ़ने की प्रवृत्ति , डरने, दबने और झुकने की प्रवृत्ति कमजोर आत्मविश्वास को प्रदर्शित करती हैं, यदि स्वाभिमान से जीना चाहते हैं तो कृपया इन सभी को यथासंभव नियंत्रित कीजिए।
शुभ मंगल
#व्यवहार सूत्र