12 साल बाद शुरु हुई थी देहरादून की धड़कन, 5 साल बाद ही फिर हो गई बंद
- घंटाघर से कई तरह का कीमती सामान चोरी
- पूर्व में हो चुकी चोरी की शिकायत तक नहीं लिखी थी पुलिस ने
देहरादून। दून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर की घड़ी कई दिनों से फिर रुकी हुई है। साथ ही यहां लाइट भी नहीं जल रही है। इसका कारण घड़ी से जुड़ी कुछ कीमती चीजें और घंटाघर को रोशन करने वाली लाइटों की केबल चोरी हो जाना है। जिसके चलते इन चोरी की वारदातों को लेकर निगम के अधिकारियों पुलिस को शिकायत दर्ज कराई।
घंटाघर की घड़ी को ऐसे समझें
दरअसल साल 2007 से बंद शहर के ‘दिल’ घंटाघर की घड़ी की धड़कन करीब 12 साल बाद यानि 2019 में फिर से शुरू हुई थी। जिसके लिए बंगलुरू कर्नाटक से तकरीबन साढ़े नौ लाख रुपये में छह डिजिटल घड़ी मंगाई गई थीं। इसके बाद से ही घंटे की टन-टन चालू हो गई थी। तत्कालीन महापौर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने घड़ियों का शुभारंभ किया था। वहीं स्थानीय दुकानदारों और लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से घंटाघर की ‘धड़कन’ का स्वागत किया था।
घंटाघर में इस बार हुई चोरी की घटना के बारे में बताने से पहले आपको यह भी ध्यान दिला देंं कि इससे पूर्व भी घंटाघर में सामान चोरी हो चुका है। 24 घंटे व्यस्त रहने वाले घंटाघर में बार बार हो रहीं चोरियां कहीं न कहीं पुलिस को भी संदेह के घेरे में खड़ा करती हैं। सााथ ही ये घटनाएं पुलिस के उच्चाधिकारियों लिए भी बड़ी चुनौती बन रही हैं।
नगर निगम के अधिकारियों ने मौके पर जाकर जांच की तो पता चला कि फव्वारे के लिए लाई गई कीमती नोजल और घंटाघर को रोशन करने वाली लाइटों के केबल सहित अन्य कीमती सामान गायब हो चुके है। इसके बाद निगम के अधिकारियों ने मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए जांच शुरू कर दी है।
ये किस काम की पुलिस
ज्ञात हो कि घंटाघर शहर के बीच में सबसे अधिक व्यस्त रहने वाली जगह है। दिनभर तो भीड़ रहती ही है साथ ही रात में भी यहां से लोगों का आना जाना लगा रहता है।
इसके अलावा यहां पर पुलिस का पिकेट (एक अस्थायी पुलिस चौकी, जिसे किसी विशेष स्थान पर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थापित किया जाता है।) भी है। इसके बाद भी यहां चोरी होने से पुलिस पर कई तरह के सवाल तो खड़े हो ही रहे हैं। साथ ही लोगों ने भी पुलिस को लेकर तमाम तरह की बातें शुरु कर दी हैं, जिससे पुलिस की साख गिरती दिख रही है।
पहले भी हो चुकी है दो बार चोरी
घंटाघर से चोरी की यह घटना पहली नहीं है। इससे पहले भी यहां चोर दो बार चोरी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं।
मामले में नगर निगम के अधिकारियों ने उस समय भी शिकायत की थी, लेकिन इसके बावजूद आज तक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं हुई। ऐसे में अब यहां तीसरी बार भी चोरी हो गई है।
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि घंटाघर से कीमती सामान चोरी हुआ है। दो बार पहले भी यहां चोरी हो चुकी है। मामले में पुलिस को शिकायत दे दी है।
सवाल तो उठता ही है
जानकारों की मानें तो यूं भी पुलिस की छवि तकरीबन हर क्षेत्र (राज्य) में अपनी विश्वसनीयता को लेकर जूझ रही है। ऐसे में पुलिस द्वारा कार्रवाई में हिलाहवाली करना और अधिक संदेह पैदा करता है। इस पूरे घटनाक्रम में एक सवाल तो खडा होता ही है कि यदि पूर्व में हुई चोरी पर नगर निगम के अधिकारियों द्वारा शिकायत पर यदि उस समय पुलिस तेजी से एक्शन लेने का कार्य करती तो शायद चोरी दोबारा ऐसी हरक करने से बचने की कोशिश करते। लेकिन जब पुलिस के द्वारा उस पूर्व की शिकायत पर एक्शन न लेते हुए अब तक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई, ऐसे में मुमकिन है पुलिस की इसी लापरवाही ने चोरो का हौंसला बड़ाया हो साथ ही पूर्व की शिकायत पर कार्रवाई न किया जाना भी क्षेत्र की पुलिस पर कार्यप्रणाली पर सवाल व उसकी नियति पर संदेह उत्पन्न करती है।