Samvidhan Par Charcha: निर्मला सीतारमण ने नेहरू और इंदिरा गांधी पर निशाना साधा
- बोलीं, ‘सत्ता में बैठे लोगों को बचाने के लिए लाए गए संशोधन’
Samvidhan Par Charcha: संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) में संविधान पर बहस करते हुए, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सहित पूर्व कांग्रेस नेताओं पर तीखा हमला किया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वे जो संवैधानिक संशोधन लाए थे, वे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे। सीतारमण ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए और उनके पास लिखित संविधान था, लेकिन कई देशों ने अपना पूरा संविधान बदल दिया, लेकिन भारत का संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा।
‘1951 में जब पहला संवैधानिक संशोधन पारित किया गया, तो…’
#WATCH | Constitution Debate | Rajya Sabha LoP Mallikarjun Kharge says, “…In 1949, RSS leaders opposed the Constitution of India because it was not based on Manusmriti… Neither did they accept the Constitution nor the tricolour. On 26 January 2002, for the first time, the… pic.twitter.com/q9QqdKRon1
— ANI (@ANI) December 16, 2024
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “भारत के अनुभव से पता चला है कि एक संविधान कई संशोधनों के बावजूद मजबूत बना रहता है, जो समय की मांग थी। मैं 1951 के पहले संविधान संशोधन अधिनियम के बारे में बात करना चाहूंगी। 15 अगस्त, 1947 से लेकर अप्रैल 1952 तक अंतरिम सरकार थी, जिसके बाद एक निर्वाचित सरकार ने कार्यभार संभाला। लेकिन 1951 में जब पहला संवैधानिक संशोधन पारित किया गया, तो वह एक अंतरिम सरकार थी, न कि एक निर्वाचित सरकार। संशोधन ने अनुच्छेद 19 (2) में तीन और शीर्षक जोड़े, जिसमें कहा गया कि सार्वजनिक व्यवस्था अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने का एक कारण हो सकती है, विदेशियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कारण हो सकते हैं या किसी अपराध के लिए उकसाना भी एक कारण हो सकता है। ये उस समय लाए गए संशोधन थे।”
नेहरु ने मजनू सुल्तानपुरी और बलराज साहनी को जेल में डाल दिया
निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, लेकिन पहली अंतरिम सरकार ने संविधान संशोधन लाया, जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था और वह भी संविधान को अपनाने के एक वर्ष के भीतर। संसद में भी यह सुचारू रूप से नहीं चल पाया और कई प्रतिष्ठित सदस्यों ने तीखी टिप्पणियां कीं, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे जारी रखा। अंतरिम सरकार ने संशोधन से पहले और उसके पहले भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना जारी रखा। मजनू सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ कविता सुनाने के लिए जेल में डाल दिया गया था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं है।”
इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण: फैसले पर भी किया हमला
निर्मला सीतारमण ने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण के बीच आए फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए संवैधानिक संशोधनों की ओर इशारा किया। इसमें इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।