कांग्रेस हुई सतर्क: महाराष्ट्र में टूटा एमवीए! इंडिया ब्लॉक में नेता बदलने पर चर्चा

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मौसम में बदलाव के साथ-साथ इंडि एलाइंस ब्लॉक में शामिल दलों ने भी बदलने के संकेत देने शुरू कर दिए हैं। यह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का नतीजा माना जा सकता है। संसद के मानसून सत्र से शीतकालीन सत्र तक आते-आते नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। सबसे पहले ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यदि अवसर मिला तो वह गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। इसके बाद कांग्रेस ने सतर्क प्रतिक्रिया दी कि विपक्षी गठबंधन के लिए नेतृत्व का निर्णय सार्वजनिक घोषणाओं के बजाय सभी सदस्य दल सामूहिक रूप से करेंगे। उधर, इंडिया ब्लॉक की ही समाजवादी पार्टी ने शनिवार को महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से संबंध तोड़ लिया। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी पहले ही कह दिया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।

ममता की बात पर इंडिया ब्लॉक के कई दलों के नेताओं ने समर्थन जताया और उनके इस बयान पर उनसे बातचीत करने की बात कही। फिर क्या था ममता का यह बयान जंगल में आग की तरह फैला और सियासी सूरमाओं की इसको लेकर प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने तो कह दिया कि वे भी चाहते हैं कि वह (ममता बनर्जी) इंडिया ब्लॉक की प्रमुख भागीदार बनें, इसके लिए वह जल्द ही कोलकाता में ममता बनर्जी से बात करने जाएंगे। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ममता के इस बयान का समर्थन किया।
दरअसल, भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए तमाम विपक्षी दल एक साथ मंच पर तो आए। लेकिन, इस गठबंधन के नेतृत्व को लेकर सबकी महत्वाकांक्षा दिखी। राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस के हिस्से में यह जिम्मेदारी थी और कांग्रेस की तरफ से इस गठबंधन के नेतृत्व का चेहरा राहुल गांधी थे। ऐसे में विपक्षी गठबंधन के घटक दल भीतर खाने ही सही इस गठबंधन की विफलता के पीछे राहुल गांधी के नेतृत्व को ही जिम्मेदार मानते हैं।

ममता बोलीं, बंगाल से ही कर सकती हूं नेतृत्व

चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए गठित इंडिया ब्लॉक में दो दर्जन से अधिक विपक्षी दल शामिल हैं। कांग्रेस गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। टीएमसी लगातार ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन में बड़ी भूमिका दिए जाने की वकालत करती आ रही है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल छोड़कर नहीं जाएंगी, लेकिन वह वहां से इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर सकती हैं। उनकी यह टिप्पणी टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद की ओर से ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का प्रमुख बनाए जाने के बयान के बाद आई है।

बाबरी विध्वंस का समर्थन अस्वीकार्यः सपा

राज्य सपा प्रमुख अबू आजमी ने शनिवार को कहा कि ‘हमने एमवीए छोड़ दिया है। ऐसे मोर्चे में बने रहने का क्या मतलब है, जहां मुद्दों पर कोई एकरूपता नहीं है और न ही सहयोगियों के साथ पर्याप्त सलाह-मशवरा होता है?’ बाबरी विध्वंस की बरसी पर ठाकरे के करीबी एमएलसी मिलिंद नार्वेकर के एक्स पर डाले गए एक पोस्ट को मुद्दा बनाते हुए आजमी ने कहा एमवीए से बाहर आने की घोषणा की। नार्वेकर के पोस्ट में एक फोटो साझा किया जिसमें शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे, उद्धव और उनके बेटे आदित्य भी दिखाई दे रहे हैं। कैप्शन है, ‘जिन्होंने यह किया, मुझे उन पर गर्व है।’ ये वही पंक्तियां हैं जो दिवंगत बाल ठाकरे ने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में मस्जिद के विध्वंस के कुछ घंटों बाद कही थीं। आजमी ने कहा कि उद्धव 2019 में एमवीए में होते समय धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया था। अब अपने पुराने रुख पर लौट आए हैं।

गठन के समय से ही चल रही है खटपट

  • इंडिया ब्लॉक के गठन के साथ ही इसके घटक दलों के बीच खटपट शुरू हो गई थी। इसके सही आकार लेने से पहले ही नीतीश कुमार ने अपना पल्ला झाड़ लिया और लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वह एनडीए के साथ हो लिए।
  • पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस और वाम दलों को सीट देने से इंकार कर गईं। दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को सीट दे दिया। लेकिन, पंजाब में आप और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पाया।
  • समाजवादी पार्टी ने यूपी में और बिहार में राजद ने मनमाने तरीके से सीटों का बंटवारा किया और कांग्रेस जितनी हिस्सेदारी चाह रही थी उतनी उसके हिस्से नहीं आई।
  • लोकसभा चुनाव में एनडीए की सरकार की वापसी के बाद इस खेमे के घटक दलों के बीच खींचतान और बयानबाजी तेज हो गई। इसके बाद के हुए राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो इंडिया ब्लाॉक बिखरता ही नजर आया।
  • कई राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव में उन राज्यों की सत्ता पर काबिज क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को सीटें नहीं दी। वहीं हरियाणा जैसे राज्य में कांग्रेस, आप और सपा का गठबंधन नहीं हो पाया।
  • आम आदमी पार्टी ने तो दिल्ली विधानसभा को लेकर साफ ऐलान कर दिया कि वह अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। यूपी में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने जो सीट कांग्रेस के हिस्से के लिए छोड़ी, कांग्रेस को उससे ही संतोष करना पड़ा।
  • अब कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर भी घटक दल सवाल उठाने लगे हैं। खासकर राहुल गांधी के नेतृत्व में गठबंधन की जो स्थिति महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में हुई है। उससे गठबंधन के दल ही संतुष्ट नहीं हैं।

कौन क्या बोला

टीएमसी ने छेड़ी रारः वे नहीं चला सकते तो मैं क्या करूं
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का कहना है कि, मैंने इंडिया ब्लॉक का गठन किया था। अब इसे संभालने की जिम्मेदारी उन लोगों पर है जो इसका नेतृत्व कर रहे हैं। अगर वे इसे नहीं चला सकते, तो मैं क्या कर सकती हूं?”
कांग्रेस का पलटवारः नीतीश ने भी जताई थी इच्छा
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी का कहना है कि, नीतीश कुमार ने भी इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जताई थी। लेकिन इतने बड़े गठबंधन में नेतृत्व के फैसले एकतरफा नहीं लिए जाते। ऐसे निर्णय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से संबंधित नहीं होते।
भाजपा ने ली चुटकीः ‘राहुल को कोई गंभीरता से नहीं लेता’
भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी के अनुसार “कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में गठबंधन सहयोगियों के बीच विश्वास की कमी है। भाजपा राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेती। इससे साफ पता चलता है कि राहुल गांधी के नेतृत्व को इंडिया ब्लॉक भी गंभीरता से नहीं ले रहा है।”
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