लोकसभा में अमित शाह बोले- ‘अब सिर्फ पश्चिम बंगाल बचा है, चुनाव बाद वहां भी खिलेगा कमल’

0

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने लोकसभा (Lok Sabha) में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी (Tribhuvan University) की स्थापना से संबंधित बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आज प्रधानमंत्री ने इस सहकारी यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवन भाई पटेल के नाम पर कर उनको बड़ी श्रद्धांजलि देने का काम किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब सिर्फ पश्चिम बंगाल बचा है, चुनाव बाद वहां भी कमल खिलेगा।

लोकसभा में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी की स्थापना से संबंधित बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, त्रिभुवन भाई पटेल वह व्यक्ति हैं, जिनकी अगुवाई में 250 लीटर से शुरू हुआ सफर आज अमूल के रूप में हमारे सामने है. अमित शाह ने अमूल की नींव पड़ने का किस्सा भी सदन में सुनाया और अमूल के टर्नओवर की भी चर्चा की।

‘गरीबों को दिया मुफ्त अनाज’
उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री ने इस सहकारी यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवन भाई पटेल के नाम पर कर उनको बड़ी श्रद्धांजलि देने का काम किया है. 2014 में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. इस 10 साल के अंदर ही गरीब को घर, शौचालय देने का काम हुआ और पीने का पानी देने का प्रयास हुआ. पांच किलो अनाज मुफ्त में दिया गया. गैस देने का काम हुआ. पांच लाख तक का दवा का पूरा खर्च माफ कर दिया गया।

उन्होंने मोदी सरकार के आने से पहले और उसके बाद के आंकड़े बताकर कांग्रेस को घेरा और कहा कि दिल्ली बाकी था, वहां भी कमल खिल गया. अब आयुष्मान भारत दिल्ली में भी है, गरीब को इलाज की चिंता नहीं है. अब सिर्फ बंगाल बचा है, वहां भी चुनाव में कमल खिल जाएगा और आयुष्मान भारत योजना पश्चिम बंगाल में भी आएगी।

अमित शाह ने कहा कि गरीब को अब आगे बढ़ना है, कुछ उद्यम करना है, देश के विकास में योगदान देना है. लेकिन उसके पास पूंजी नहीं है. इसका एक ही रास्ता है सहकारिता. ढेर सारे अर्थशास्त्रियों के हिसाब से देश के अर्थतंत्र का एक बहुत बड़ा मानक GDP है. भारत जैसे विशाल देश में जीडीपी के साथ-साथ रोजगार भी बड़ा माध्यम है. सहकारिता ऐसा क्षेत्र है जो स्वरोजगार से भी जोड़ता है और अपने सम्मान की भी रक्षा करता है. देश के उद्यमी ये मांग करते थे कि को-ऑपरेटिव मंत्रालय होना चाहिए, लेकिन कोई नहीं सुनता था।

‘देश में हैं साढ़े आठ लाख सहकारी समितियां’
उन्होंने कहा कि मोदी जी ने साढ़े तीन साल पहले ये मंत्रालय भी बना दिया. देश में साढ़े आठ लाख सहकारी समितियां हैं. देश का हर पांचवां व्यक्ति सहकारिता से जुड़ा है. साढ़े तीन साल के अंदर कोऑपरेटिव मंत्रालय ने ढेर सारा काम किया है. 75 साल से चलता आ रहा सहकारिता आंदोलन देशभर में असमान चल रहा था. इसमें विसंगतियां भी आईं. गैप ढूंढने के लिए डेटाबेस ही नहीं था. ढाई साल में राज्य सरकारों के सहयोग से सहकारिता का पूरा डेटाबेस बन चुका है।

तय हुआ कि देश में ढाई लाख नए पैक्स बनाए जाएंगे और इसके बाद कोई गांव ऐसा नहीं होगा, जहां पैक्स न हो. हमने पैक्स के बाइलॉज बदलने का काम किया. इसके लिए इस सदन में खड़े होकर, फ्लोर पर खड़े होकर सभी राज्यों की सरकारों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं. हमने बाइलॉज बदल कर 25 से ज्यादा आर्थिक कार्यकलाप पैक्स से जोड़ा. कृषि ऋण दे पाएगा, मधुमक्खी उत्पादन कर पाएगा, पैक्स डेयरी भी होगी. पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर भी होगा. इस देश में 43 हजार पैक्स सीएससी बन चुके हैं जिसमें केंद्र और राज्य की 300 से ज्यादा योजनाएं एक क्लिक पर उपलब्ध हैं।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *